कोरोना ने छीन लिया माँ-बाप का साया, सात साल की बच्ची भीख मांग कर पाल रही अपने चार छोटे भाई बहनो को।।

 
कोरोना ने छीन लिया माँ-बाप का साया, सात साल की बच्ची भीख मांग कर पाल रही अपने चार छोटे भाई बहनो को।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

मध्यप्रदेश, 28 अगस्त:- वैश्विक महामारी कोरोना कई हंसते खेलते परिवारों पर कहर बनकर टूटी है। कोरोना ने किसी का पिता छीन लिया तो किसी का बेटा। कई बच्चों के सिर से माता-पिता दोनों का साया उठ गया। कहीं तो एक ही परिवार में कुछ दिन के अंतराल में दो-दो लोगों की जान चली गई। ऐसे में परिवार के शेष सदस्यों के पालन पोषण की समस्या इस समय सबसे बड़े चुनौती बनकर सामने आ रही है। कहीं बच्चों की पढ़ाई जारी रखने में परेशानी आ रही है तो कहीं पेट पालने की। यह मामला भी कुछ यैसा ही है जहाँ कोरोना की वजह से माँ-बाप का साया उठ जाने के बाद एक सात साल की मासूम भीख मांग कर अपने छोटे भाई बहनों को पाल रही है। जिस शमशान में लोग दिन में भी जाने से डरते है वही शमशान बना है इन मासूमो का आशियाना।

कोरोना ने छीना माँ-बाप का साया:- मध्य प्रदेश के भिंड जिले में रहने वाला एक परिवार कोरोना के चलते पूरी तरह टूट चुका है, दबोह थाना क्षेत्र के अमहा गांव में रहने वाले इस परिवार की कहानी बेहद दिल को कचोट देने वाली है। दस महीने पहले कोरोना के कारण पांच बच्चों के सिर से पिता का साया उठा, फिर 7 महीने बाद मां भी करोना कि चपेट में आ कर चल बसी। अब इस परिवार में तीन बच्ची और दो बच्चे हैं, सबसे बड़ी बच्ची की उम्र सात साल है सबसे छोटा बच्चा सात महीने का है, सात साल की बच्ची अपने चार भाई-बहनों को पाल रही है।

गांव में घर-घर जाकर मांगती है खाना:- बड़ी बहन गांव में घर-घर जाकर अपने भाई-बहनों के लिए खाना लाती है, गांव वालों की मदद से वह अपने भाई-बहनों की देखभाल व भरण पोषण कर रही है। यह छोटे-छोटे मासूम बच्चे श्मशान के बगल में एक टूटी-फूटी झोपड़ी में रहते हैं, जो उनके माता-पिता ने ही बनाई थी। जो तेज बारिश या आंधी तूफान से कभी भी धराशायी हो सकती है। बारिश पड़ने पर यह बच्चे श्मशान घाट की टीन के नीचे अपना समय काटते हैं, बड़ी बहन गांव वालों से खाना मांगकर अपने भाई-बहनों का पेट भरती है।

नही मिल पाया सरकारी योजनाओं का लाभ:- पीएम केयर फॉर चिल्ड्रन योजना और सीएम कोविड बाल कल्याण योजना का लाभ भी इन बेसहारा और अनाथ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है, सचिव अशोक पारासर का कहना है की इन बच्चों के पास कोई भी दस्तावेज नही हैं। गांव में कनेक्टिविटी नहीं होने से इन बच्चों के ना तो परिवार ID बन पायी, ना ही आधार कार्ड, जिसकी वजह से कोरोना के तहत मृत्यु में चल रहीं योजनाओं का लाभ इन बच्चों को नहीं दिला पा रहे हैं। वहीं विपक्षी विधायक पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने बच्चों के बीच पहुंच कर ऊंट के मुंह में जीरे के सामान दो हजार रुपये की आर्थिक सहायता की, सांसद ने भी जल्द कलेक्टर से बात करने का आश्वासन दिया है।।