जब एक वोट से गिर गई थी अटल बिहारी की सरकार तीसरी पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि।।

 
जब एक वोट से गिर गई थी अटल बिहारी की सरकार तीसरी पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

राजनीति, 16 अगस्त:- देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तीसरी पुण्यतिथि आज है। इस मौके पर आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। उनके साथ ही उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी पूर्व पीएम की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।

एक साधारण अध्यापक के पुत्र थे जो देश के प्रधानमंत्री बने:- धूल और धुएँ की बस्ती में पले एक साधारण अध्यापक के पुत्र अटल बिहारी वाजपेयी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बने। उनका जन्म 25 दिसंबर 1925 को हुआ। अपनी प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता के कारण वे चार दशकों से भी अधिक समय से भारतीय संसद के सांसद रहे। उनका उद्‍घोष था- हम जिएँगे तो देश के लिए, मरेंगे तो देश के‍ लिए। इस पावन धरती का कंकर-कंकर शंकर है, बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है। भारत के लिए हँसते-हँसते प्राण न्योछावर करने में गौरव और गर्व का अनुभव करूँगा।

जब बाजपेयी सरकार ने पोखरण में अणु-परीक्षण करके संसार को भारत की शक्ति का एहसास करा दिया था:- कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाले तथा उसे पराजित करने वाले भारतीय सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए अटल बिहारी बाजपेयी अग्रिम चौकी तक गए थे। उन्होंने अपने एक भाषण में कहा था- ‘वीर जवानो! हमें आपकी वीरता पर गर्व है। आप भारत माता के सच्चे सपूत हैं। पूरा देश आपके साथ है। हर भारतीय आपका आभारी है।

जन्म, बाल्यकाल और शिक्षा:- उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद के सुप्रसिद्ध प्राचीन तीर्थस्थान बटेश्वर में एक वैदिक-सनातन धर्मावलंबी कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार रहता था। श्रीमद्‍भगवतगीता और रामायण इस परिवार की मणियाँ थीं। ग्वालियर में शिंदे की छावनी में 25 सितंबर सन् 1925 को ब्रह्ममुहूर्त में अटल बिहारी बाजपेयी का जन्म हुआ था। पं. कृष्ण बिहारी के चार पुत्र अवध बिहारी, सदा बिहारी, प्रेम बिहारी, अटलबिहारी तथा तीन पुत्रियाँ विमला, कमला, उर्मिला हुईं। परिवार भरा-पूरा था। परिवार का विशुद्ध भारतीय वातावरण अटल बिहारी की रग-रग में बचपन से ही रचने-बसने लगा। वे आर्यकुमार सभा के सक्रिय कार्यकर्ता थे। परिवार ‘संघ’ के प्रति विशेष निष्ठावान था।

जब वाजपेयी सरकार सिर्फ 13 महीने के बाद गिर गई थी:- वह एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार व लेखक के रूप में जाने जाते रहे हैं। एक दौर में उनकी भाषाण शैली का भारतीय राजनीति में डंका बजता था। वह जब जनसभा या संसद में बोलने खड़े होते तो उनके समर्थक और विरोधी दोनों उन्हें सुनना पसंद करते थे। वाजपेयी के राजनीतिक सफर की एक घटना ज़रूर याद आती है जो 1999 में लोकसभा में घटित हुई थी। जब वाजपेयी सरकार सिर्फ 13 महीने के बाद गिर गई थी। क्योकि 1998 के आम चुनाव में किसी भी पार्टी को पूरी तरह बहुमत नहीं मिला था लेकिन AIADMK के समर्थन से एनडीए ने केंद्र में सरकार बनाई थी लेकिन 13 माह बाद अम्मा ने समर्थन वापस ले लिया तो अटल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश हो गया। सरकार को नंबर गेम पर भरोसा था इसलिए प्रस्ताव स्वीकार हो गया।

मायावती ने अटल सरकार के खिलाफ दिया था वोट:- उधर मायावती ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने की घोषणा की थी। लेकिन ऐन वक्त पर मायावती ने माया दिखाई और उनके सांसदों ने अटल सरकार के खिलाफ वोट दिया। जब वोटिंग हुई तो अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार एक वोट से हार गयी। जी हां एक वोट से और यह वोट था गिरधर गमांग का, अटल बिहारी बाजपेयी इससे इतने हतप्रभ हुए थे कि काफी देर तक चुपचाप सदन में अपनी सीट पर बैठे रहे थे और उसके बाद बाहर निकल गए थे। दरअसल उन्हें विश्वास ही नहीं था कि उनकी सरकार अविश्वास प्रस्ताव हार जाएगी।।