जिनके चलने से थर्रा जाती थी धरती, उन विशालकाय हाथियों का होगा पुनर्जन्म।।

 
जिनके चलने से थर्रा जाती थी धरती, उन विशालकाय हाथियों का होगा पुनर्जन्म।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

हटके, 16 सितंबर:- जानकारों के अनुसार पृथ्वी पर लगभग 4-5 हजार वर्ष पूर्व हाथी जैसा दिखने वाला लेकिन उससे भी कहीं ज्यादा विशाल एक जानवर रहता था। उसके दांत बहुत अधिक बड़े और घुमावदार होते थे और शरीर पर ऊन की तरह लंबे-लंबे बाल होते थे। आम और प्रचलित भाषा में इस जानवर को मैमथ कहा जाता है, लेकिन मैमथ नाम का यह विशाल और शायद सबसे प्राचीन हाथी आधुनिक सभ्यता की शुरूआत से काफी पहले ही दुनिया से लुप्त हो चुका है। हिमयुग के दौरान ऊनी मैमथ उत्तरी अमेरिका और यूरेशिया में घूमते थे। ये जीव लगभग 10,000 साल पहले विलुप्त हो गए थे। वैज्ञानिकों को अबतक यह नहीं पता है कि उनके विलुप्त होने का कारण क्या था। कई लोग मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन और मानव शिकारियों में वृद्धि इसका कारण थी।

फिर से इनके पुनर्जन्म का किया जा रहा है प्रयास:- हजारों साल पहले धरती पर पाए जाने वाले विशालकाय मैमथ हाथी (बड़े-बड़े दांतों वाला विशालकाय हाथी) अब एक बार फिर जंगलों में घूमते नजर आ सकते हैं। नई फंडिंग और साइंस की मदद से एक अद्भुत और क्रांतिकारी प्रोजेक्ट को गति मिली है। इकोसिस्टम से विशालकाय जीवों के गायब होने के हजारों साल बाद वैज्ञानिक छह साल के भीतर इन्हें आर्कटिक जंगलों में वापस लाना चाहते हैं। वैज्ञानिकों को भरोसा है वह हजारों साल पुरानी क्रब से मैमथ को वापस लाने में कामयाब होंगे। वैज्ञानिक मैमथ डीएनए से लैब में भ्रूण पैदा कर हाथी-मैमथ हाइब्रिड बनाएंगे। ये भ्रूण सरोगेट या कृत्रिम गर्भ की मदद से विकसित हो सकते हैं। उनका उद्देश्य आर्कटिक में जीवित रहने में सक्षम मैमथ बनाने का है। उन्होंने कहा कि हमारा टारगेट एक ठंड प्रतिरोधी हाथी बनाना है लेकिन यह दिखने और व्यवहार में मैमथ की तरह ही होगा।

वैज्ञानिको ने बताया:- वैज्ञानिको कहा कि हम किसी को धोखा नहीं दे रहे। हम कुछ ऐसा बनाना चाहते हैं जो मैमथ जैसा हो, जो -40 डिग्री सेल्सियस पर जीवित रह सके और वह सब कुछ कर सके जो हाथी और मैमथ करते हैं। लैम ने कहा कि हमारा लक्ष्य सिर्फ एक मैमथ को वापस लाने का नहीं है बल्कि हम पूरे झुंड को आर्कटिक क्षेत्र में वापस लाना चाहते हैं।।