पीएम आवास के अधूरे सपने, आवास की दूसरी किश्त न मिलने पर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर।।

 
पीएम आवास के अधूरे सपने, आवास की दूसरी किश्त न मिलने पर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

रिपोर्ट- दिनेश विश्वकर्मा नरसिंहपुर मप्र

मध्यप्रदेश/नरसिंहपुर, 19 अगस्त:- पीएम आवास योजना यानी की सिर पर पक्की छत का साकार होता सपना, लेकिन यही यदि अधूरे गृह प्रवेश की दास्तान बनकर रह जाए और कही तिरपाल के नीचे तो कही सेप्टिक टैंक के पीछे पीएम आवास योजना के हितग्राही सालो रहने मजबूर हो तो इसे आप क्या कहेंगे। नरसिंहपुर की गाडरवारा तहसील की चीचली जनपद के इन घरो को देखिये और सोचिये की जब किसी गरीब के सपने टूटते हैं तो उस गरीब की आंखों से आंसू तक नहीं निकलते हैं ये वो लोग हैं जिन्होनें अपनी तमाम उम्र कच्चे घरों मे बिता दी लेकिन फिर उन्हें आशियाने का सपना दिखाया गया और इसी सपने ने उन्हें अब कहीं का नहीं छोडा शायद ये लोग पक्के आशियाने का सपना देखते तक नहीं यदि PM आवास योजना ना शुरु होती 2015 मे MODI सरकार ने गरीबों के लिये इस योजना की शुरुवात की नरसिंहपुर के चीचली के जीवनलाल ने भी इसी योजना के तहत पक्के घर का सपना देखा इस योजना के तहत सरकार ढाई लाख तीन किस्तों मे देती है जिसमें से पहली किस्त एक लाख रुपय की होती है जीवन लाल को पहली किस्त मिली तो उन्होनें अपनी झोपड़ी तोड माकन का काम शुरु कर दिया कुछ ही दिनों मे दीवारें खड़ी हो गई लेकिन दूसरी किस्त अटक गई और आज तक घर अधूरा है।

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01- जीवन लाल मजदूर हैं और मजदूरी कर कर अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं पीएम आवास योजना की आस में उन्होंने पहले अपना घर तोड़ लिया अब आठ से नो महीनों से दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन मकान की दूसरी किस्त ना आने से अब उन्हें भी बारिश मे तिरपाल तान कर रहना पड़ रहा है।

02- खुले आसमान के नीचे बिना छत के जिंदगी गुजार रहे इन लोगों को लगता है कि इस अधूरे पड़े घर से तो अच्छा वहीं कच्चा घर था कम से कम छत तो थी, यह बेबी हैं जिनको बताया गया था कि उन्हें पीएम आवास योजना का लाभ मिलेगा जिसके चलते उन्होंने अपना कच्चा मकान तोड़ लिया और पीएम आवास योजना की पहली किस्त से मकान बनाना शुरू किया लेकिन साल बीत गया बेबी का ना तो मकान बना ना ही दूसरी किस्त निकली अब वे कैमरे के सामने गुस्सा जाहिर कर रही हैं।

03- इसी इलाके मे रहने वाली वृंदा का घर देखिए दीवारें हैं लेकिन छत नहीं वृंदा ने हमें अपना घर दिखाया जो अधूरा पड़ा है और वो घर भी दिखाया जिसमें वो अपने परिवार के साथ रहती हैं, वो भी सिस्टम पर अपना गुस्सा जाहिर कर रही हैं बता रही हैं कि बीते 1 साल से उन्हें कोई किस्त नहीं मिली जिससे उनका मकान अधूरा पड़ा हुआ है और वह अपने पूरे परिवार के साथ सेप्टिक टैंक के गड्ढे के ऊपर रहने को मजबूर है वृंदा आरोप लगाती हैं कि वह गरीब है अगर थोड़ा बहुत पैसा होता तो उनकी किस्त भी जल्द निकल जाती।

04- चीचली मे PM आवास योजना के तहत बनने वाले दर्जनों मकान ऐसे ही अधूरे पड़े हैं योजना की अगली किस्त लेने लोग सरकारी दफ्तरों मे चक्कर लगा रहे हैं पर उन्हें कोई जबाब नहीं मिलता किरण बताती है कि वे विधवा है और मजदूरी करके अपना घर चलाती हैं बेटा 3 महीने से बीमार है और लॉकडाउन में उनका काम भी छीन गया है बीते 1 साल से उन्हें भी पीएम आवास की दूसरी किस्त का इन्तजार है जो नहीं मिली जिससे वे भी अपने बीमार बेटे के साथ खुले आसमान के नीचे त्रिपाल लगाकर रहने को मजबूर है।

05- यही हाल सरिता का भी है और बाकी लोगों की तरह इनका भी यही आरोप है कि इन्हें भी बीते 1 साल से पीएम आवास योजना की किस्त नहीं मिली अब यह भी अपने पूरे परिवार के साथ त्रिपाल के नीचे झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं सरिता बताती है कि वो सालों से दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं लेकिन अधिकारी उन्हें कुछ जवाब नहीं दे रहे ऐसा ही कुछ हाल छोटी बाई का भी है।

अधूरे आवास खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर:- ऐसा नहीं है कि जिम्मेदार जनप्रतिनिधि पीएम आवास जैसी महत्वकांक्षी योजना के प्रति सजग नहीं है खुद क्षेत्र की स्थानीय विधायक पीएम आवास में हो रही धांधली और भ्रष्टाचार को लेकर लगातार विरोध कर रहे हैं यहां तक की कलेक्टर से मुलाकात कर उन्हें भी वस्तु स्थिति से अवगत करा चुकी है लेकिन कहानी फिर भी ढाक के तीन पात जैसी ही है। हाल ही नरसिंहपुर जिला पंचायत सीईओ से जब पीएम आवास की हितग्राहियों के संबंध में बात की तो उन्होंने मामला संज्ञान में आने और संबंधित दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही एवं हितग्राहियों को जल्द से जल्द बकाया किस्त दिलाने की बात कहते हुए मीडिया को भरोसा दिलाया कि जल्द ही अधूरे आवासों को पूर्ण कराया जाएगा। अब सवाल वहीं उठता है कि एक तरफ देश के PM लोगों को दिन मे सपने दिखाते हैं लेकिन दूसरी तरफ तस्वीर कुछ और कहनी वयां कर रही है अब देखने वाली बात होगी कि इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अधिकारी क्या कदम उठाते हैं या फिर इन गरीबों को उनके हाल मे ऐसे ही छोड़ दिया जाता है।।