मानवता हुई शर्मसार- मारपीट में घायल गरीब की मृत्यु के बाद, परिजनों ने उसका शव किराए के हाथठेला पर रखकर लाया घर।।

 
मानवता हुई शर्मसार- मारपीट में घायल गरीब की मृत्यु के बाद, परिजनों ने उसका शव किराए के हाथठेला पर रखकर लाया घर।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

रिपोर्ट- दिनेश विश्वकर्मा संवाददाता

मध्यप्रदेश/नरसिंहपुर, 07 सितंबर:- आजादी के 75 वर्षों बाद जहां एक और सरकार अमृत महोत्सव मना रही है वही देश में गरीब की दुर्दशा दिखाता और शासकीय योजनाओं की पोल खोलता एक वीडियो इन दिनों नरसिंहपुर जिले में सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें कुछ परिजन एक शव को हाथ ठेले में ले जाते नजर आ रहे हैं।

पूरा मामला:- नरसिंहपुर जिले में दिल को झकझोर देने वाला एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ है जिसने शासन, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के गरीबों के प्रति असंवेदनशील और मानवीय रवैये को उजागर किया। जब इस वीडियो की जानकारी ली गई तो यह वीडियो 30 अगस्त नरसिंहपुर के कोतवाली थाना अंतर्गत का बताया गया। पूरे मामले को समझने के लिए जब परिजनों से बातचीत की गई तो परिजनों ने बताया कि मृतक मनोज नरसिंहपुर में कई सालों से जनपद मैदान में पन्नी के सहारे अपनी टपरिया बना रहता था और पन्नी और कबाड़ बीनने का काम करता था जिससे उसका और उसके परिवार का पालन पोषण होता था। 28 अगस्त की रात कुछ लोग मनोज के घर पहुंचे और उन्होंने मनोज के साथ मारपीट की और उसे ले गए सुबह परिजनों को ढूंढते समय मनोज घायल अवस्था में पोस्ट ऑफिस नरसिंहपुर के पास पड़ा मिला जिसके बाद परिजनों उसे हॉस्पिटल ले गए गौरतलब है ले जाते समय भी परिजनों को एंबुलेंस मुहैया नहीं हो सकी जिसके चलते उन्हें घायल मनोज को हाथ ठेले पर ले जाना पड़ा अस्पताल पहुंचने पर जानकारी लगेगी मनोज अब जीवित नहीं है जिसके बाद मनोज के शव को मुर्दाघर में रखा गया पूरी रात मुर्दा घर में रखे रहने के बाद दूसरे दिन सुबह पोस्टमार्टम किया गया पोस्टमार्टम करते समय कर्मचारियों को जरा भी इनकी गरीबी और परिजनों पर हुए इस वज्रपात का कोई असर नहीं पड़ा और उन्होंने पोस्टमार्टम करने के एवज में ₹300 और शव की फोटोग्राफी कराने के लिए ₹500 की मांग की गई, परिजनों ने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला दिया तब कुल मिलाकर ₹500 में डेडबॉडी का पोस्टमार्टम किया गया।

शव घर ले जाने के लिए गरीब परिजनों को नही मिला शव वाहन:- इसके बाद शव को ले जाने के लिए परिजनों के द्वारा शववाहन मांगने पर शव वाहन नहीं उपलब्ध कराया गया जिसके बाद मजबूरी के मारे परिजन शव को किराए पर हाथठेला ला अपने घर ले जाना पड़ा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया:- जब इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी मुकेश जैन से बात की गई तो उन्होंने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा पोस्टमार्टम के पश्चात शव को पुलिस को सुपुर्द किया जाता है और पुलिस नगरपालिका के माध्यम से शव वाहन उपलब्ध कराती है इसमें अस्पताल का कोई लेना देना नहीं, वही पोस्टमार्टम करने वाले कर्मचारियों के द्वारा पैसे लिए जाने की बात पर साहब ने हल्के लहजे में कार्यवाही करने की बात कही साथ ही पूरे घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण और अमानवीय बताया।

तो देखा आपने कैसे जहां एक और सरकार बड़े-बड़े दावे करती हैं और राज्य में मृत्यु और अंत्येष्टि के लिए योजनाएं चलाती हैं लेकिन इन सारी योजनाओं की सच्चाई को बयां करती यह खबर सरकारी कार्यप्रणाली और स्वास्थ्य विभाग की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।।