अखिलेश यादव राजा भैया को नही जानते, आखिर राजा भैया को क्यो भूल गए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष।।

एक दौर था जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के बीच खूब बनती थी, मगर बीएसपी सुप्रीमो मायावती की वजह से राजा और अखिलेश के रिश्तों में खटास आ गई।।
 
अखिलेश यादव राजा भैया को नही जानते, आखिर राजा भैया को क्यो भूल गए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रतापगढ़, 29 नवंबर:- प्रतापगढ़ जिले में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सपा नेता जीतलाल यादव के घर निजी समारोह में शामिल हुए, पत्रकारों से बात करते समय उन्होंने यूपी की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा, मुख्यमंत्री योगी नाथ पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा की मार्च से भाजपा पैदल मार्च करेगी। साथ मे उन्होंने राजा भैया को लेकर बड़ा बयान भी दिया है। जिसमे उन्होंने कहा कि कौन है राजा, कौन है राजा आखिर क्यों वह राजा भैया को नही जानने की बात कर रहे है।

आखिर सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यो भूल गए राजा भैया को:- एक दौर था जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के बीच खूब बनती थी, मगर बीएसपी सुप्रीमो मायावती की वजह से राजा और अखिलेश के रिश्तों में खटास आ गई। राजा भैया को लेकर अखिलेश यादव ने एक चुनावी रैली में कहा था कि जब उनका वचन ही नहीं रहा तो हमने भी मन बना लिया है कि वो जहां जाना चाहें जाएं, लेकिन अब समाजवादी पार्टी उनके लिए दोबारा दरवाजे नहीं खोलेगी।

कुंडा के बाहुबली विधायक राजा भैया का यूपी में है दबदबा:- कुंडा के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का यूपी के कई जिलों में दबदबा आज भी कायम है। बता दें कि एक समय में राजा भैया को समाजवादी पार्टी के बेहद करीबी माना जाता था। यूपी की सपा सरकार में वो मंत्री भी रहे। कई मौकों पर जब राजा भैया संकट में घिरे तो मौजूदा सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव उनके लिए मसीहा भी साबित हुए। लेकिन इन सबके बाद आज अखिलेश यादव से उनके संबंध ठीक नहीं हैं।

क्यो आई रिश्तों में खटास:- अखिलेश यादव और राजा भैया के रिश्तों में खटास आने का कारण बसपा प्रमुख मायावती को माना जाता है। दरअसल यूपी में साल 2019 में राज्यसभा चुनाव होने थे। राजा भैया भले निर्दलीय विधायक थे और अप्रत्यक्ष तौर पर समाजवादी पार्टी के साथ थे। उस दौरान सपा और बसपा के बीच गठबंधन के चलते राजा भैया ने मायावती के विरोध में अखिलेश की बात नहीं मानी और उन्होंने बीजेपी के कैंडिडेट को अपना वोट दे दिया। वही अखिलेश चाहते थे कि गठबंधन के चलते बसपा प्रत्शाशी को राजा भैया अपना वोट दें। लेकिन मायावती के विरोध में राजा भैया ने अपना वोट भाजपा प्रत्याशी को दिया। इससे अखिलेश यादव काफी खफा हो गए। उन्होंने उस दौरान प्रतापगढ़ में एक चुनावी रैली में कहा था कि, क्षत्रियों के लिए एक पुरानी कहावत है कि रघुकुल रीति सदा चल आई, प्राण जाए पर वचन ना जाई। इशारों में अखिलेश यादव ने कहा कि लेकिन उनका (राजा भैया) वचन ही चला गया, कैसे लोग हैं, जिनका वचन ही चला गया। अखिलेश ने कहा था कि उन्होंने(राजा भैया) वादा किया था कि वोट देंगे, पता नहीं उनका वो वचन कहां ध्वस्त हो गया, कहां उड़ गया। उन्होंने कहा कि जो आदमी झूठ बोलता है, उससे खराब आदमी कोई नहीं हो सकता। अखिलेश यादव ने दो टूक में कह दिया था कि जब उनका वचन ही नहीं रहा तो हमने भी मन बना लिया है कि वो जहां जाना चाहें जाएं, लेकिन अब समाजवादी पार्टी उनके लिए दोबारा दरवाजे नहीं खोलेगी। ये नई समाजवादी पार्टी है, उनके लिए दरवाजे बंद हो गए हैं। हालांकि राजा भैया मायावती के विरोध में अपना मत साफ कर चुके थे कि उनका सपा से कोई विरोध नहीं है, बल्कि सपा के राजनैतिक गठबंधन वाले दल बसपा से है। उन्होंने कहा था कि जहां बसपा थी, वहां मैं नहीं रह सकता। मैं अपने सिंद्धांतों से समझौता नहीं करता। इसीलिए वो सपा के उस गठबंधन का हिस्सा नहीं बने।

मायावती के शासन काल मे राजा भैया पर पोटा लगाया गया था:- गौरतलब है कि राजा भैया और मायावती के बीच पुरानी राजनितिक रंजिश है। इसके चलते वो मायावती के शासन काल में एक साल तक जेल में भी रह चुके हैं। मायावती ने 2002 में राजा भैया पर पोटा लगा दिया था। इसके अलावा उनके पिता उदय प्रताप सिंह व भाई अक्षय प्रताप सिंह पर भी कानूनी शिकंजा कसा था। हालांकि जब यूपी में 2012 में सपा सरकार आई और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो राजा भैया के ऊपर से पोटा हटाया गया।

विधानसभा चुनाव के पहले राजनीतिक बयानबाजी का दौर प्रारंभ:- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले सभी राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपने जनाधार और सियासी गणित को ध्यान में रखते हुए गठबंधन, दल-बदल पर काम करना शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव इसी रणनीति के क्रम में प्रदेश की छोटी-छोटी पार्टियों से गठबंधन की कवायद में जुटे हैं। ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा से वह गठबंधन का एलान कर चुके हैं, राष्ट्रीय लोकदल से भी गठबंधन की चर्चा है, वहीं कृष्णा पटेल की अपना दल भी अब सपा के साथ खड़ी दिख रही है। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह की भी अखिलेश से कई मुलाकात हो चुकी है। इस बीच गुरुवार 25 नवंबर को लखनऊ से बड़ी खबर तब आई, जब सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मिलने जनसत्ता दल के प्रमुख रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पहुंचे।

मुलाकात के बाद राजा भैया ने कहा:- उन्होंने कहा कि वह मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के मौके पर हमेशा आते रहे हैं। उनसे आर्शीवाद लेते रहे हैं, शुभकामनाएं देते रहे हैं। इस बार वह जन्मदिन पर बाहर थे इसलिए नहीं आ सके थे। आज इसीलिए वह आए थे। इसके और कोई निहितार्थ न निकाले जाएं। वहीं सपा से गठबंधन की गुंजाइश को लेकर पूछे गए सवाल पर राजा भैया ने कुछ नहीं कहा। बता दें कुछ समय पहले राजा भैया ने एलान किया था कि उनकी पार्टी जनसत्ता दल ने अभी 100 सीटों को चिन्हित किया है। वहां से लड़ने की तैयारी है। हालांकि उन्होंने साथ ही ये भी कहा था कि यह संख्या अभी और बढ़ भी सकती है। सपा या किसी और दल के साथ गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा था कि अभी उनकी किसी से भी बात नहीं हुई है।

जनपद प्रतापगढ़ में निजी कार्यक्रम में शामिल होने पहुँचे थे राष्ट्रीय अध्यक्ष:- आपको बता दें यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज निजी कार्यक्रम में शामिल होने प्रतापगढ़ के पट्टी थाना क्षेत्र रामकोला गांव में एक शादी समारोह में शामिल होने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने और उनके साथ फोटो खिंचवाने की होड़ सपाइयों में जमकर दिखी। मीडिया से बातचीत करते हुए सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा की यूपी में विकास ना के बराबर हो रहा है, आज नकल माफियाओं ने यूपी टेट की परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक कर दिया जिससे योगी सरकार की कड़ी सुरक्षा के दावे फेल नजर आए। आगे बात करते हुए उन्होंने कहा की सपा कार्यकर्ताओं पर जितने भी झूठे मुकदमे दर्ज हुए हैं, वह दिखता है न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और वह उचित न्याय प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पर तंज कसते हुए कहा कि वह आज पैदल मार्च कर रहे हैं, और मार्च आने के बाद जनता उन्हें पैदल कर देगी। प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी और भाजपा का सफाया होगा। राजा भैया से नाराजगी और उनकी पार्टी से गठबंधन के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि यह कौन है, कौन है यह इनको हम नही जानते।।