चंदौली- छत्तीसगढ़ नक्सली हमले में शहीद का पार्थिव शव पहुँचा शहीद के घर, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी हज़ारों की भीड़।।

 
चंदौली- छत्तीसगढ़ नक्सली हमले में शहीद का पार्थिव शव पहुँचा शहीद के घर, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी हज़ारों की भीड़।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

रिपोर्ट- रामकुमार जायसवाल संवाददाता

चंदौली, 06 अप्रैल:- खबर यूपी के जनपद चंदौली से है जहाँ छत्तीसगढ़ नक्सली हमले में शहीद ठेकहां गांव निवासी धर्मदेव गुप्ता का पार्थिव शरीर मंगलवार को सैकड़ों वाहनों के काफिले के साथ उनके घर पहुँचा। इस दौरान हजारों लोग शहीद की शव यात्रा में शामिल हुए, लेकिन इस बीच शहीद के पिता रामआश्रय गुप्ता और छोटे भाई सीआरपीएफ के जवान धनंजय ने शव का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था। ग्रामीण भी परिजनों के इस फैसले के साथ लामबंद होकर खड़े रहे। परिजनों का कहना है कि सीएम या रक्षामंत्री के आने के बाद ही शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा, इस बीच मान मनौवल का एक लंबा दौर चला, और आखिरकार 6 घण्टे बाद शहीद के परिजन माने अंतिम संस्कार को राजी हुए, जिसके बाद सीआरपीएफ की गाड़ी से उनका पार्थिव शरीर वाराणसी के मणिकर्णिका घाट ले जाया गया। जहां उनका राजकीय सम्मान के साथ किया गया।

नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुआ था चंदौली का लाल:- दअरसल शनिवार को छतीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों से लोहा लेते हुए सीआरपीएफ के 22 जवान शहीद हो गए थे, जिसमें से एक चन्दौली के लाल धर्मदेव गुप्ता भी शामिल है। घटना की जानकारी सीआरपीएफ हेडक्वार्टर के जरिये जिला प्रशासन को हुई। जिसके बाद फिर औपचारिक कन्फर्मेशन के बाद डीएम संजीव सिंह और एसपी अमित कुमार शहीद के शहाबगंज स्थित पैतृक आवास पहुँचे और धर्मदेव की शहादत की जानकारी दी, घटना की जानकारी के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। वहीं गांव में मातम पसर गया।

बेटे के साथ हुई पुरानी बातों को याद करके पिता बार बार हो जाते थे बेसुध:- शहीद के पिता अपने बेटे की मौत होने की खबर सुनकर बेसुध अवस्था में पड़े है, उन्होंने बताया कि घटना से एक दिन पूर्व रात में पत्नी से बात हुई थी। परिवार का कुशलक्षेम पूछने के बाद बताया कि उन्हें एक ऑपरेशन पर जाना है, लेकिन क्या पता था कि यह उनका आखिरी नक्सल ऑपरेशन होगा। जिसके बाद अगले दिन जब उनका फोन लगाया गया तो नम्बर बंद बता रहा था, उनके दोस्तों अन्य से लोगों से बातचीत भी की गई। तो पता चला कि वे असम से छत्तीसगढ़ चले गए, फिर देर शाम उनके मौत की खबर मिली। शहीद के पिता ने रामाश्रय गुप्ता ने बेटे की बात याद करते हुए बताया कि घर से जाते समय धर्मदेव ने कहा था कि कोई दिक्कत नहीं है। हमारा निशाना एकदम ठीक है, जहां मारेंगे वहीं लगेगा। लेकिन न जाने कैसे फंस गया। यह कहते ही फफक पड़े और आँखों में सैलाब उमड़ पड़ा।

छोटे भाई ने सरकार से गुजारिश की ऐसे जगहों पर लड़ने के लिए जवानों को अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध कराए:- वहीं शहीद धर्मदेव के छोटे भाई धनंजय जो खुद भी सीआरपीएफ में जवान है। नक्सलियों की इस कायराना हरकत से गुस्से में है। उन्होंने धर्मदेव की शहादत को गर्व की बात बताया, साथ ही मौका मिलने पर उनसे बदला लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस घटना से वे डरे नहीं है बल्कि और मजबूत हुए। सीआरपीएफ कल उन्हें भेज दे तो वे अपने वहां चले जायेंगे, भाई की मौत बदला लेंगे। यहीं नहीं उन्होंने सरकार से गुजारिश भी की है की ऐसे जगहों पर लड़ने के लिए जवानों को अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध कराए जाएं, ताकि वे दुश्मनों का मुकाबला कर सके।

करीब 6 घण्टे तक परिजनों ने शव को स्वीकार नहीं किया था:- हालांकि शहीद के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार से पूर्व परिवार को शव सुपुर्दगी के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। करीब 6 घण्टे तक परिजनों ने शव को स्वीकार नहीं किया। हालांकि बाद में परिजन माने उनका अंतिम संस्कार के लिए माने, प्रभारी मंत्री रमाशंकर पटेल, जिलाधिकारी संजीव सिंह, एसपी अमित कुमार समेत सीआरपीएफ के कमाण्डेन्ट रामलखन समेत जनप्रतिनिधियों ने पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और राजकीय सम्मान के सम्मान के गॉड ऑफ ऑनर दिया गया। बता दें कि छत्तीसगढ़ नक्सली हमले में शहीद धर्मदेव अपने पीछे बूढ़े पिता रामआश्रय गुप्ता, माता कृष्णावती देवी के अलावा पत्नी मीना और दो बेटियों ज्योति और साक्षी को छोड़ गए है।।