कोरोना : प्रतापगढ के जनप्रतिनिधियों द्वारा मदद का ऐलान साबित हुआ महज़ छलावा,तीन प्रतिनधियों के निधि से खारिज़ हुआ सिर्फ₹45 लाख।

 
प्रतापगढ- कोविड-19 के महामारी के दृष्टिगत देश मे घोषित लॉक डाउन के बाद जिले के प्रतिनिधियों ने सोसल मीडिया के माध्यम से वाहवाही लूटने के लिए अपनी निधि से  करोंडो रुपये की मदद का एलान तो कर दिया लेकिन विभाग में अब तक सिर्फ तीन जनप्रतिनिधियों के ₹45 लाख रुपये ही खारिज़ हुआ।
कैबिनेट मंत्री डॉ महेंद्र सिंह की निधि से ₹25 लाख, रामपुर खास विधायक आराधना मिश्र”मोना”की निधि से  ₹10 लाख और सदर विधायक राज कुमार पाल की निधि से  ₹10 लाख रुपये  विभाग द्वारा खारिज़ कर दिया गया।मिली जानकारी के अनुसार कई ऐसे प्रतिनिधि भी है जिनका पत्र सिर्फ सोसल मीडिया तक ही सीमित रहा औऱ वह सीडीओ के कार्यालय तक नही पहुंचा।
गौरतलब है जिले के विश्वनाथगंज विधायक डॉ आर.के.वर्मा ने अपनी निधि से ₹10 लाख,रानीगंज विधायक धीरज ओझा ने ₹10 लाख जबकि कैबिनेट मंत्री मोती सिंह ने निधि से ₹10लाख देने के लिए सीडीओ को पत्र लिखकर कोविड-19 में मदद का ऐलान किया था।इसके अलावा विभाग में किसी जनप्रतिनिधि का पत्र नही पहुँचा।
हालांकि कोविड -19 की मदद के लिए जिले के सांसद संगम लाल गुप्ता ने निधि से ₹15 लाख, पूर्व मंत्री व्  कुंडा  विधायक राजा भैया ने ₹ 25 लाख,बाबागंज विधायक विनोद सरोज ₹25 लाख ,एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी ने  ₹25 लाख और जिला पंचायतअध्यक्ष के निधि से सोसल मिडीया पर पत्र वायरल करके  ₹25 लाख की मदद करने का एलान किया गया था जिसके सम्बंध में विभाग को कोई जानकारी नही है वही जनप्रतिधि भी मदद के एलान के बाद यह भूल गए की उनके निधि का पैसा आखिर क्यों नहीं खारिज हुआ। 
मिली जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 में जनप्रतिनिधियों के निधि में पर्याप्त धनराशि नही होने के कारण विभाग पैसा खारिज़ नही कर पाया। हालांकि पीडी प्रतापगढ ने जिले के दो जनप्रतिनिधियो के निधि का पैसा  न खारिज़ होने के पीछे  ट्रेज़री ऑफिस का बन्द होना बता रहे है और जल्द ही निधि का पैसा खारिज़ करने का दावा भी कर रहे है लेकिन शायद वह भूल गए है कि खारिज़ किये तीन जनप्रतिनिधियों के लिए आखिर ट्रेज़री कार्यालय कैसे खुला था जाहिर है कि सत्ता के दबाव में अधिकारी ऐसे मामलों में कुछ बोलने से बच रहे है।
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विश्वनाथगंज विधायक की 2019-20 के निधि में महज़ ₹ 2 लाख रुपये की निधि शेष है जबकि रानीगंज विधायक धीरज ओझा और कैबिनेट मंत्री मोती सिंह के निधि की जानकारी बताने से विभाग कतराता रहा ,सूत्रों की माने तो जनप्रतिनिधियों ने विभाग को दुबारा पत्र लिखकर पूर्व में प्रस्तावित धनराशि में कटौती करते हुए  कोविड-19 में मदद करने को कहा है जिसे करना विभाग के लिए बड़ी चुनौती है तो वही ऐसे भी प्रतिनधि है जिन्होंने कोविड-19 की मदद के लिए पत्र तो भेज दिया लेकिन बाद में दूसरा पत्र लिखकर  बैक डेट में अपनी निधि से सड़क निर्माण हेतु प्रस्ताव देकर धन अवमुक्त करने को कहा है।
बता दे कि कोविड-19 के महामारी को देखते हुए जनप्रतिनिधियों को  2020-21 की कोई निधि नही मिलेगी और उसे मुख्यमंत्री राहत कोष में सीधे भेज दिया जाएगा ।
इस आपदा की घड़ी में जिले के जनप्रतिनिधियों द्वारा वाहवाही लूटने के लिए सोसल मिडीया पर पत्र लिखकर न सिर्फ वायरल किया गया बल्कि सीडीओ कार्यालय तक भी पहुंचाया गया जबकि कई जनप्रतिनिधियों को यह बखूबी  पता था कि उनके निधि में अवशेष राशि पर्याप्त मात्रा में नही है और आगे दो वर्षों तक उनके निधि में पैसा भी नही आएगा ऐसे में अब बड़ा सवाल यह उठता है कि यदि आम आदमी का चेक बाउंस होता है तो उसके लिए सज़ा का प्रावधान है तो ऐसे प्रतिनधियों की निधि बाउंस होने पर भी कानून बनना चाहिए जो आम जनता के विश्वास को तोड़ते है।