सड़कें बनवाने में असफल होने पर गौरीगंज विधायक ने दिया विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा।

राकेश प्रताप सिंह ने रविवार सुबह 11 बजे विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मिलकर विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने के बाद पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सीधे लखनऊ स्थित जीपीओ पहुंचे और बेमियादी धरने पर बैठ गए।
सड़कें बनवाने में असफल होने पर गौरीगंज विधायक ने दिया विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा।

सड़कें बनवाने में असफल होने पर गौरीगंज विधायक ने दिया विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 1 नवम्बर।

गौरीगंज (अमेठी) से 2012 के बाद 2017 में भी सपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचने वाले विधायक राकेश प्रताप सिंह ने जनहित को मुद्दा बनाकर अपना पद छोड़ दिया।

राकेश ने रविवार सुबह 11 बजे विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मिलकर विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने के साथ ही उसे स्वीकार करने का अनुरोध किया।

इसके बाद विधायक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सीधे लखनऊ स्थित जीपीओ पहुंचे और बेमियादी धरने पर बैठ गए।

स्थानीय तहसील व ब्लॉक क्षेत्र के मऊ गांव निवासी राकेश प्रताप सिंह समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2012 के विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक चुने गए थे।

पांच वर्ष बाद वर्ष 2017 में वे सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और भारी मतों से जीतकर दोबारा विधानसभा पहुंचे।

2017 में भाजपा के प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के बाद से उनके पहले कार्यकाल में बनी कई सड़कें जर्जर हो गईं।

इन्हीं सड़कों में शामिल कादूनाला थौरी मार्ग (9.15 किलोमीटर) व मुसाफिरखाना-पारा मार्ग (5.650 किलोमीटर) भी हैं। दोनों सड़कों को दुरुस्त कराने की मांग राकेश प्रताप ने शासन-प्रशासन से कई बार किया।

उन्होंने विधानसभा में इस पर प्रश्न उठाने के अलावा प्राक्कलन समिति का गठन भी कराया। बावजूद इसके सड़कों का पुनर्निर्माण नहीं हुआ। इससे नाराज विधायक ने दो अक्तूबर को डीएम अरुण कुमार को ज्ञापन देकर सड़कों का पुनर्निर्माण कार्य शुरू कराने के लिए 31 अक्तूबर सुबह 11 बजे तक का समय दिया‌

उनकी अंतिम चेतावनी का भी कोई असर नहीं हुआ तो 31 अक्तूबर को सुबह 11 बजे वे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के पास पहुंचे और विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।

त्यागपत्र देने के बाद विधायक अपने समर्थकों के साथ जीपीओ पहुंचे और बेमियादी धरना शुरू कर दिया।

राकेश प्रताप सिंह विधानसभा की सदस्यता छोड़ने वाले अपने जिले के पहले विधायक हैं। आजादी के बाद से अब तक के चुनावी इतिहास में किसी विधायक ने जनहित या किसी अन्य मुद्दे पर अपने कार्यकाल के दौरान न इस्तीफे की पेशकश की न इस्तीफा दिया। राकेश के इस्तीफे की पेशकश व इसे पूरा कराने का लोग अपने-अपने तरीके से विश्लेषण करते नजर आए।

2012 में पहली बार विधायक चुने गए राकेश प्रताप की गिनती सपा सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबियों में होती है। अखिलेश परिवार के अलावा पार्टी के तकरीबन सभी वरिष्ठ नेताओं से भी राकेश के संबंध बेहद मधुर हैं।

2017 के विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश के चाचा व तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नाम से नई पार्टी बना ली थी। विधानसभा चुनाव के दौरान राकेश प्रताप को समाजवादी पार्टी के अलावा प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने भी टिकट दिया। हालांकि वे सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीतकर दोबारा विधानसभा पहुंचे।

2006 में हुए ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में रवींद्र प्रताप सिंह को हराकर राकेश प्रताप सिंह पहली बार ब्लॉक प्रमुख बने थे ‌

2006 से 2011 तक ब्लॉक प्रमुख संघ के जिलाध्यक्ष व प्रदेश संगठन में उपाध्यक्ष रहे।
2012 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर गौरीगंज से विधायक चुने गए। कांग्रेस प्रत्यराशी मो. नईम को मामूली अंतर से हराया।
2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर दोबारा विधानसभा पहुंचे। कांग्रेस के मो. नईम को 26479 से अधिक वोटों से हराया।
31 अक्तूबर 2021 को कार्यकाल पूरा होने से पहले जनहित के मुद्दे पर दिया इस्तीफा।