पत्रकारों के नाम रहा इस वर्ष का शांति का नोबेल पुरस्कार।।

 
पत्रकारों के नाम रहा इस वर्ष का शांति का नोबेल पुरस्कार।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली, 08 अक्टूबर:- इस साल के नोबेल शांति पुरस्कारों की घोषणा हो गई है। वर्ष 2021 के लिए फिलिपिंस की मारिया और रूस के दिमित्री को शांति का नोबेल पुरस्कार मिला है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उनके प्रयासों को देखते हुए उन्हें यह सम्मान दिया गया है। नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने पुरस्कारों का ऐलान करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र और स्थायी शांति के लिए एक पूर्व शर्त है। इसकी रक्षा के लिए उनके प्रयासों को सम्मानित किया गया है।

अभिव्यक्ति की आजादी बीच बढ़ती चुनौतियों को बचाने में दिया योगदान:- कमेटी की ओर से रूसी पत्रकार दिमित्री मुरातोव को बढ़ती चुनौतियों के बीच रूस में बोलने की आजादी को बचाने के उनके योगदान की बात भी कही गई। दुतर्ते शासन की गड़बड़ियां उजागर कीं कमेटी ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, “मारिया रेसा ने साल 2012 में रैपलर नाम की एक न्यूज वेबसाइट की शुरुआत की थी, जो राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतर्ते के शासनकाल की विवादास्पद, जानलेवा, एंटी-ड्रग अभियान पर गंभीरता से नजर रखती थी” रेसा और रैपलर के बारे में कमेटी ने यह भी कहा कि उन्होंने यह भी दर्ज किया कि फेक न्यूज फैलाने, विपक्षियों को परेशान करने और वहां की आम बहसों से छेड़छाड़ करने के लिए कैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा है। मारिया को एक पत्रकार के तौर पर तीन दशकों का अनुभव है, वह एशिया के लिए सीएनए की प्रमुख खोजी रिपोर्टर और फिलीपीन ब्रॉडकास्टर एबीएस-सीबीएन की समाचार प्रमुख भी रह चुकी हैं।

साल 1993 में नोवाया गजेटा की स्थापना की थी:- दुनिया के प्रतिष्ठित अवॉर्ड रूसी समाज का स्याह पक्ष दिखाने वाला दिमित्री मुरातोव रूसी अखबार नोवाया गजेटा के एडिटर-इन-चीफ हैं। दिमित्री के अखबार को कमेटी ने ‘आज के रूस में सच्चा आलोचनात्मक नजरिया रखने वाला अकेला अखबार’ बताया, दिमित्री ने साल 1993 में नोवाया गजेटा की स्थापना की थी। उनके बारे में कमेटी कहा, “अखबार की तथ्यपरक पत्रकारिता और पेशेवर निष्ठा ने इसे रूसी समाज के निंदनीय पहलुओं के बारे में जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना दिया है, जिसके बारे में शायद ही कभी अन्य मीडिया में चर्चा भी होती है” इस समाचार पर प्रतिक्रिया देते हुए दिमित्री मुरातोव ने कहा, “हम उन लोगों की मदद करने की कोशिश करते रहेंगे, जिन्हें अब (रूस में) विदेशी एजेंट करार दिया जा रहा है, जिन पर हमले हो रहे हैं और जिन्हें देश से निकाल दिया जा रहा है” पहले भी हुए सम्मानित पुरस्कारों की घोषणा करते हुए नोबेल कमेटी की प्रमुख बेरिट रीस ने कहा, “दबाव रहित, आजाद और तथ्यों पर आधारित पत्रकारिता ताकत, झूठ और युद्ध प्रोपेगेंडा से बचाव करती है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की आजादी के बिना, देशों के बीच भाईचारे, निरस्त्रीकरण और एक बेहतर वैश्विक व्यवस्था को सफलतापूर्वक बढ़ावा देना मुश्किल होगा” इससे पहले मारिया रेसा को इसी साल यूनेस्को का गुइलेर्मो कैनो विश्व प्रेस स्वतंत्रता पुरस्कार भी मिल चुका है। दिमित्री भी साल 2007 में सीपीजे इंटरनेशनल प्रेस फ्रीडम अवार्ड जीत चुके हैं। उन्हें यह पुरस्कार हमलों, धमकियों और कैद के खिलाफ प्रेस की स्वतंत्रता बचाने के लिए दिया गया था।।