एटीएस द्वारा गिरफ्तार मोहम्मद उमर ने कानपुर में भी धर्मान्तरण का नेटवर्क बनाकर अपने कार्य को अंजाम दिया।

मोहम्मद उमर और उसके साथियों ने कानपुर में काकादेव निवासी मूक-बधिर छात्र आदित्य को भी अब्दुल बना दिया। इस गिरोह ने आदित्य को दो हजार रुपये देकर उसका खतना भी करवाकर उसे भी इसी काम में लगा दिया।
 
एटीएस द्वारा गिरफ्तार मोहम्मद उमर ने कानपुर में भी धर्मान्तरण का नेटवर्क बनाकर अपने कार्य को अंजाम दिया।

डाo शक्ति कुमार पाण्डेय
विशेष संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 23 जून।

एटीएस द्वारा गिरफ्तार मोहम्मद उमर ने कानपुर में भी धर्मान्तरण का नेटवर्क बनाकर अपने कार्य को अंजाम दिया।

मोहम्मद उमर और उसके साथियों ने कानपुर में काकादेव निवासी मूक-बधिर छात्र आदित्य को भी अब्दुल बना दिया। इस गिरोह ने आदित्य को दो हजार रुपये देकर उसका खतना भी करवाकर उसे भी इसी काम में लगा दिया।

एटीएस की लखनऊ, नोएडा और कानपुर यूनिट के अफसरों ने सांकेतिक भाषा की एक्सपर्ट के साथ आदित्य के घर पहुंचकर कई घंटे तक पूछताछ की।

यह भी पता चला कि धर्मांतरण के तार नेशनल डेफ एसोसिएशन दिल्ली से जुड़े हुए हैं। आदित्य को वहां ले जाया गया था। नौकरी, पैसे और शादी का लालच दिया गया था। आदित्य ने एटीएस को अलीगढ़ निवासी एक मूक बधिर छात्र की फोटो भी दी और बताया कि अब इसका धर्मांतरण होना है। एटीएस ने एक्सपर्ट की मदद से तीन घंटे तक आदित्य से पूछताछ की।

आदित्य ने बताया कि ज्योति बधिर स्कूल में शिक्षित करने आए एक शिक्षक ने उसको इस्लाम अपनाने के लिए सबसे पहले प्रेरित किया। इसके बाद चमनगंज निवासी मो. वासिफ से संपर्क कराया। मैसेंजर और टेलीग्राम पर वासिफ उसे मोहम्मद उमर के वीडियो भेजकर उसका माइंड वॉश करता रहा। आखिर में उसका संपर्क सीधे उमर से कराया। लगभग 10 महीने तक उसको मोटिवेट किया गया। तब जाकर उसने इस्लाम धर्म अपनाया। धर्मांतरण सर्टिफिकेट के मुताबिक 14 जनवरी 2021 को आदित्य इस्लाम अपनाकर अब्दुल कादिर बना।

उसने बताया कि जब वह घर से भागकर गया था तो दिल्ली में उमर गौतम और जहांगीर ने ही उसको रखा था। एक नौकरी भी दिलाई थी।

एटीएस की टीम ने आदित्य से पूछताछ कर कई साक्ष्य जुटाए। इंस्टाग्राम पर उमर के तमाम वीडियो मिले। इसमें वह धर्म परिवर्तन के लिए लोगों को प्रेरित करते सुनाई व दिखाई दे रहा है। कुछ वीडियो आदित्य के भी मिले। वह सांकेतिक भाषा में कुछ बातें समझाने का प्रयास कर रहा है।

इस्लाम से संबंधित तमाम किताबें भी आदित्य के पास से मिली हैं। ये किताबें उसको उमर ने उपलब्ध कराई थीं। लोगों में ये किताबें बांटी जाती थीं। एटीएस ने इन किताबों और आदित्य के मोबाइल को सीज कर दिया है।

आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि मूक-बधिर छात्र आदित्य गुप्ता के धर्म परिवर्तन करने की एक-एक बात परिजनों ने कल्याणपुर पुलिस को बताई थी। कार्रवाई के बजाय पुलिस अपहरण का केस दर्ज कर हाथ पर हाथ धरकर बैठी रही।

आदित्य की मां लक्ष्मी के मुताबिक उनका बेटा 10 मार्च को घर से लापता हुआ था। 12 अप्रैल को उन्होंने कल्याणपुर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। उन्हें पता चला था कि वह केरल निवासी साबिर और शाहिद के संपर्क में हैं। पुलिस उसी समय सक्रिय हो जाती तो धर्मांतरण के खेल का खुलासा पहले ही हो जाता

घर लौटने पर आदित्य को पता चला कि परिजनों ने पुलिस को जानकारी देकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसे लेकर उसने घरवालों पर नाराजगी जताई। पूछा कि ऐसा क्यों किया, शिकायत वापस ले लो। यह भी कहा कि अब पुलिस से कोई बात नहीं की जाएगी।

आरोपियों ने आदित्य का जबरदस्त तरीके से माइंड वॉश कर दिया है। आदित्य ने परिजनों से कहा कि अगले साल ईद पर वह वापस उन्हीं लोगों के पास चला जाएगा। जाते समय उसे कोई न रोके। इससे आशंका है कि उसको आतंकी संगठन से जुड़े लोग ट्रेंड कर रहे थे।

परिजनों ने बताया कि नौ मार्च को आदित्य ने कहा था कि जरीब चौकी के पास एक गल्ले की दुकान पर उसकी नौकरी लग गई है। परिजनों ने उससे कहा था कि वे खुद पहले मालिक से मिलेंगे, तब नौकरी शुरू करना।

10 मार्च को आदित्य यह बोलकर निकला कि पहले दिन काम कर लूं, फिर ले चलूंगा। तभी वह लापता हो गया था। वह सीधे केरल पहुंच गया। किराये पर रहने से लेकर पूरी व्यवस्था आरोपियों ने ही कराई थी।

परिजनों ने बताया कि जब आदित्य ने फोन से सम्पर्क किया तो उसको बताया गया कि उसकी मां बीमार हैं और हालत नाजुक है। तब आदित्य का दिल पसीजा। उसने मैसेज में आई लव यू मम्मी लिखा और इसी वजह से वह घर लौटा। फिलहाल वो सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में रहेगा।

घर लौटने पर आदित्य पूरी तरह मुस्लिम तहजीब और लिबाज में था और उसने सबसे पहले अपनी मां का मोबाइल फोन चोरी से लेकर सारा डाटा डिलीट किया। आदित्य ने घर वापसी के बाद किसी से बात नहीं की थी। उसने टीवी पर न्यूज देखी तो उसे पता चला कि एटीएस ने बड़ी कार्रवाई की है। स्वजनों के अनुरोध पर उसने मुस्लिम दाढ़ी बनवा ली।

उसने बताया कि उमर और उनकी टीम लगातार उसके साथ जुड़ी हुई थी। फंडिंग करने के साथ ही उसे प्राइवेट नौकरी भी वहां पर दिला दी थी। 10 मार्च को घर से भागने के बाद वह दिल्ली में जहांगीर और उमर गौतम के पास रुका। इनमें एक वकील है। उसके बाद केरल में वह एक कारखाने में नौकरी करता था।

मुस्लिम मत के प्रति उसका नजरिया अभी बदला नहीं है। बार-बार दोहराता है कि वह केवल अल्लाह से डरता है और किसी से उसे डर नहीं है। आदित्य भले ही घर लौट आया है, लेकिन उसकी चाल ढाल अभी भी संदिग्ध है।

रविवार की रात जब पूरा घर सो रहा था तो उसने चुपचाप मां का मोबाइल लिया और अपने से जुड़ा सारा डाटा डिलीट कर दिया। मां लक्ष्मी के मोबाइल पर आदित्य गुप्ता के कई चरमपंथी साथियों के मोबाइल नंबर उनकी फोटोग्राफ, वाट्सएप चैटिंग के स्क्रीन शाट व वीडियो थे।

कानपुर पुलिस को पता चला है कि धर्मान्तरण के लिए शहर में बड़ा नेटवर्क सक्रिय है। तमाम लोग स्थानीय स्तर पर हिंदू युवाओं, खासकर मूक बधिरों को अपना निशाना बनाते हैं। इनमें से कई हिंदू से मुस्लिम बनने के बाद अन्य को जाल में फंसाने का काम कर रहे हैं।

आदित्य के स्वजनों से पूछताछ में कानपुर के दो ऐसे युवाओं का पता चला है, जो पूर्व में धर्मान्तरण कर चुके हैं। गरीबी के चलते दोनों ने ऐसा किया। एक जूही का निवासी है और दूसरा बाबूपुरवा का रहने वाला बताया जा रहा है। दोनों को हिंदू युवाओं को मोटिवेशन कैंप में लाने की जिम्मेदारी दी गई थी।

जब आदित्य प्रकरण में तत्कालीन एसपी पश्चिम की टीम जांच कर रही थी तो उसने जूही निवासी युवा से भी पूछताछ की थी, लेकिन उससे कुछ हासिल न होने का दावा करते हुए जांच बंद कर दी थी।

सूत्र बताते हैं, एजेंटों को मोटिवेशन कैंप तक लाने के लिए पांच हजार रुपये और धर्मान्तरण के बाद 20 से 25 हजार रुपये दिए जाते थे। आदित्य की मां भी स्वीकार कर चुकी हैं कि करीब पांच साल पहले उनका बेटा चमनगंज में रहने वाले मूक बधिर वासिफ के संपर्क में आया था।

बाद में उन्हें पता चला कि वासिफ चमनगंज क्षेत्र के एक नामी स्कूल में मूक बधिर हिंदू बच्चों को मुस्लिम धर्म के प्रति मोडऩे के लिए मोटिवेशन कैंप चलाता था। इसके अलावा इसी स्कूल में अन्य मोटिवेटर भी आते थे और हिंदू किशोर व युवाओं को नौकरी व पैसों का लालच देकर मुस्लिम बनाने का दबाव डालते थे।

धर्मान्तरण के मामले में नोएडा स्थित नेशनल डीफ सोसाइटी सबसे अधिक चर्चाओं में है। आदित्य भी बिठूर के जिस मूक बधिर विद्यालय में पढ़ता था, उसे इस सोसाइटी की मान्यता मिली हुई थी। असल में मतांतरण का पूरा खेल इस स्कूल में पढ़ाने वाले एक मुस्लिम शिक्षक का बताया जा रहा है। आदित्य की मां के मुताबिक, यह शिक्षक कुछ समय के लिए कानपुर भी आया था।

इस बीच उसकी संदिग्ध गतिविधियों का पता चला। उसी वक्त सामने आया था कि शिक्षक बच्चों को मुस्लिम धर्म के बारे में बढ़ा चढ़ाकर बताता था।

आदित्य गुप्ता से अब्दुल कादिर बने मूक बधिर छात्र ने धर्म परिवर्तन के लिए दूसरों को भी प्रेरित करना शुरू कर दिया था। कानपुर में बिठूर के ज्योति बधिर स्कूल के दसवीं के छात्र का उसने काफी हद तक माइंड वॉश कर भी लिया था। वह भी नमाज पढ़ने लगा था। हालांकि धर्म परिवर्तन से पहले ही मामला खुल गया। यह भी पता चला है कि आदित्य कई बार हलीम मुस्लिम कॉलेज में जाकर छात्रों को सांकेतिक भाषा में संबोधित भी कर चुका है। यहां भी कुछ गैर मुस्लिम लोग इकट्ठा किए जाते थे।

आदित्य के धर्म परिवर्तन के बाद मो. उमर ने आदित्य का इस्तेमाल करना शुरू किया। उसने आदित्य को जिम्मेदारी सौंपी कि बिठूर स्थित ज्योति बधिर स्कूल के छात्रों को इस्लाम के बारे में बताए। इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित करे।

अगस्त 2020 में जब ऑनलाइन क्लास शुरू हुईं तो वीडियो कॉल से आदित्य ने एक छात्र का माइंड वॉश करना शुरू किया। नौकरी, शादी और पैसों का लालच दिया। व्हाट्सएप चैट पर भी इसी तरह की बातचीत करता था। स्कूल के प्रिंसिपल रामदास पाल के मुताबिक आदित्य के संपर्क में जो छात्र आया था, उसका व्यवहार काफी हद तक बदल गया था। वह नमाज पढ़ने लगा था।

जांच में पुष्टि हुई है कि आरोपी पहले छात्रों का माइंड वॉश करते हैं फिर धर्मांतरण कराते हैं। जब पूरी तरह से वो उनके वश में हो जाते हैं तो यही काम इन छात्रों से करवाना शुरू कर देते हैं। टारगेट दिया जाता था कि अधिक से अधिक लोगों को धर्मांतरण के लिए तैयार करें। मूक बधिर बच्चे होने की वजह से उन पर किसी का शक नहीं जाता।

एटीएस की जांच में पता चला कि बिठूर स्थित मूक बधिर स्कूल में डेढ़-दो साल पहले एक शिक्षक आया था। एक-दो बार उसे कमरा बंदकर बच्चों को पढ़ाते देखा गया। पता चला कि वह इस्लाम के बारे में बताता था। वीडियो भी दिखाता था। इसके बाद उसे स्कूल से हटा दिया गया था।