निस्वार्थ भाव से की गई मदद किसी न किसी रूप में वापस जरूर प्राप्त होती है

जिन्दगी की सबसे खुबसूरत नैमत यह है कि जब भी किसी का भला किया जाए तो अपना भला कुदरती रूप से अपने आप हो जाता है
 

जब आप दूसरों के लिए अच्छे बन जाते हैं, तो खुद के लिए और भी बेहतर बन जाते हैं..

बेंजामिन फ्रैंकलिन [Benjamin Franklin]

 

हमारे विचार हों, या व्यवहार हों, आज नहीं तो कल वे उसी रूप में तेजी से वापस लौटते हैं, जीवन में ऊपर उठते समय लोगों से अदब से पेश आयें क्योंकि नीचे गिरते समय आप इन लोगों से दोबारा जरूर मिलेगे.

आइये एक छोटी-सी रियल लाइफ से जुडी दिलचस्प कहानी पढ़ते है-

बहुत साल पहले दो लड़के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे.. एक बार उन्हें पैसों की कमी पड़ गयी तो उनके मन में विचार आया कि इगनेसी पैडेरेस्की को पियानो बजाने के लिए बुलाया जाए. इससे जो भी पैसे इकठ्ठे होंगे, उन्हें वे अपने पढाई और रहने के खर्चे में लगायेगे.

उस महान पियानोवादक के मैनेजर ने 2000 डॉलर की गारंटी मांगी. उन दिनों यह एक बहुत बड़ी रकम मानी जाती थी.. मगर उन दोनों लड़कों ने इसे स्वीकार कर लिया और संगीत समारोह का प्रचार करना शुरू कर दिया. उन्होंने मेहनत तो बहुत की लेकिन 1600 डॉलर ही जमा कर पाए.

समारोह के बाद इन दो लड़कों ने उस कलाकार को यह मुश्किल बताई. उन्होंने उसे 1600 डॉलर दे दी और 400 डॉलर का एक करारनामा भी दिया और कहा कि वे यह बाकी रकम कमा कर जल्दी से जल्दी उनके पास भेज देंगे..  अब तो उन्हें अपने कॉलेज की पढाई का भी अंत दिखने लगा.

लेकिन पैडेरेस्की ने कहा, “नहीं बच्चों ऐसा नहीं हो सकता.

उन्होंने वह करारनामा फाड़ दिया और सारा पैसा लौटाते हुए कहा, “इस 1600 डॉलर में से अपने सारे खर्च के पैसे निकाल लो और बची रकम में से 10 प्रतिशत अपने मेहनताना के तौर पर ले लो, बाकी बची रकम मैं ले लूँगा. साल गुजरते गये. पहला विश्वयुद्ध हुआ और समाप्त हो गया.  पैडेरेस्की अब पोलैंड के प्रधानमंत्री थे और अपने देश के हजारों भूखे लोगों के लिए खाना जुटाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. उनकी मदद केवल एक आदमी ही कर सकता था और वह था  यु.एस.फूट एंड रिलीफ ब्यूरो का अधिकारी हर्बर्ट हूवर.

हूवर ने बिना देर किये कदम उठाया और हजारों टन अनाज पोलैंड भिजवा दिया. पैडेरेस्की भूखे लोगों की समस्या समाप्त होने पर हर्बर्ट हूवर को इस सहायता के लिए धन्यवाद देने के लिए पेरिस पहुंचे. हूवर का जवाब था, “धन्यवाद की कोई जरूरत नहीं मि. पैडेरेस्की. आपको शायद याद नहीं होगा, जब मैं कॉलेज में विद्यार्थी था और मुश्किल में था तब एक बार आपने मेरी मदद की थी.”