अचानक आया पानी का सैलाब, चारो तरफ मची चीखपुकार के बीच सुरंग से रेस्क्यू करके बचाये गए लोगो ने बताया भयानक मंजर का हाल।।

 
अचानक आया पानी का सैलाब, चारो तरफ मची चीखपुकार के बीच सुरंग से रेस्क्यू करके बचाये गए लोगो ने बताया भयानक मंजर का हाल।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

चमोली/तपोवन, 09 फरवरी:- समय सुबह के 9 बजे तक सब कुछ सामान्य था पर थोड़ी देर बाद लगभग 9:15 मिनट पर कुदरत ने कहर बरपाते हुए भारी तबाही मचाई। नीती घाटी में रैणी गांव के शीर्ष भाग में ऋषिगंगा के मुहाने पर सुबह करीब 9:15 बजे ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटकर ऋषिगंगा में गिर गया, जिससे नदी में भीषण बाढ़ आ गई। इस भयानक मंजर को अपनी आंखों से देखने वाले लोगो ने आपदा में फंसे लोगों की जान की सुरक्षा के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे, जिसने भी यह सैलाब देखा वही सहम सा गया। जिसको जहाँ भी जगह मिली अपने आप को बचाने के लिए वो वही शिफ्ट हो गया किसी की जान बची पर कई इस आपदा के काल के शिकार हो गए।

सुरंगों में फंसे लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा:- सुरंगों में फंसे लोगों को बचाने के लिए रेसक्यू ऑपेरशन चल रहा है, पूरा देश प्रभावितों के लिए प्रार्थना कर रहा है। इस बीच, जिन लोगों को सुरंग से निकाला जा चुका है उन्होंने तबाही के मंजर की कहानी बयां की, टनल से बचाये गये राजेश कुमार ने बताया कि देखते ही देखते सीटी की आवाज पानी के शोर में तब्दील हो गई और दर्जनों लोग सुरंग में फंस गए, रविवार को ग्लेशियर टूटने के बाद अलकनंदा और धौली गंगा नदियों में विकराल बाढ़ आ गई, पानी के तेज प्रवाह ने पास स्थित हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना के परिसर को तबाह कर दिया, जहां कुमार और उनके साथी सुरंग के 300 मीटर अंदर काम कर रहे थे।

अस्पताल में भर्ती राजेश ने बताया कि जैसे हॉलीवुड फिल्म की शूटिंग हो रही थी:- अस्पताल में भर्ती 28 वर्षीय राजेश कुमार ने एएफपी को बताया, “अचानक, हमें सीटी की आवाज सुनाई दी, लोगों के शोर मचाने की आवाज सुनाई दी, लोग हमसे बाहर निकलने के लिए कह रहे थे। हमें लगा कि आग लग गई है, हमने भागना शुरू किया, लेकिन पानी ने हमारे कदम थाम दिए, यह बिल्कुल हॉलीवुड फिल्म के जैसा था।

जान बचाने के लिए सुरंग की ऊपर की रॉड पकड़ कर लटक गए:- इस दौरान कुछ लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए सुरंग में ऊपर की तरफ लगी रॉड को पकड़ लिया और चार घंटों तक लटके रहे, अपने सिर को पानी और मलबे के ऊपर रखा और एक-दूसरे को हिम्मत बंधाते रहे। कुमार ने कहा, “हम लोग सिर्फ एक दूसरे को समझाते रहे और कहते रहे कि अगर रॉड को छोड़ दिया तो क्या होगा। भागवन का शुक्र है कि हमारे हाथ की पकड़ ढीली नहीं पड़ी” जैसे जैसे बाढ़ की रफ्तार धीमी पड़ी, पानी सुरंग से निकलने लगा और सुरंग में 1.5 मीटर तक कीचड़ और मलबा भर गया।

मलबे पर चढ़ कर बाहर निकलने का रास्ता तलाश करने लगे:- कुमार ने कहा, “हम मलबे पर चढ़ गए और सुरंग के मुहाने पर रास्ता बनाने की कोशिश करने लगे, वहां हमें एक छोटी सी खुली हुई जगह दिखाई दी” उसी दौरान हम में से एक शख्स के फोन में सिग्नल आ गया और हमने मदद के लिए गुहार लगाई। जब इन लोगों को सुरंग की सतह पर बने छोटे से होल से बाहर निकाला गया तो वह लम्हा बहुत ही भावुक हो गया, घंटों की जद्दोजहद के बाद वे मामूली चोटों के साथ बाहर निकलने में कामयाब रहे।

सुरंग से बाहर निकले एक शख्स ने बताया:- सुरंग से बच निकलने में कामयाब रहे एक और शख्स मंगरा ने कहा कि उसे अब भी नींद नहीं आ रही है, रविवार को जब हादसा हुआ तो उसे चारों तरफ साथ तेज आवाजें और साथ काम करने वालों की चीखें सुनाई दीं- भागो, भागो भागो, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के रहने वाले 28 वर्षीय मंगरा खुद जरूर सुरंग से बाहर निकल आए, लेकिन उसके 6 दोस्त और गांव के पड़ोसी अब भी सुरंग में फंसे हुए हैं और वह लगातार उनकी सलामती के लिए दुआ कर रहे हैं।।