किसानों के भेष में गुंडे और देशद्रोहियों की जमात, आठ-आठ लाशें बिछाने वाले तथाकथित किसानो को सबक देना जरूरी।।

 
किसानों के भेष में गुंडे और देशद्रोहियों की जमात, आठ-आठ लाशें बिछाने वाले तथाकथित किसानो को सबक देना जरूरी।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

लखीमपुर, 05 अक्टूबर:- अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की तथाकथित किसान आंदोलन के प्रति नरम नीति काल बन रही है, देश की सुरक्षा, मानवता की सुरक्षा, निर्दोष लोगों की जान की सुरक्षा पर आंच आ रही है, आने-जाने के अधिकार का हनन जैसे गुनाह सामने आ रहे हैं। इसी का दुष्परिणाम है कि लखीमपुर खीरी में तथाकथित किसानों ने कोई एक-दो नहीं बल्कि आठ-आठ लाशें बिछा दी। अखिलेश यादव के घर पर पुलिस की गाड़ी सरेआम जला दी गयी, कानून और संविधान को बंधक बनाया जा रहा है। विपछी दल और राष्टविरोधी शक्तियां की करतूत अब निर्दोष लोगों की जानें ले रही हैं।

किसानों के भेष में गुंडों और देशद्रोहियों की जमात:- जब आप किसी चालक के ऊपर लाठियां बरसायेंगे, पत्थर बरसायेंगे तो फिर वाहन पर से चालक का नियंत्रण कैसे रह पायेगा? चालक अपने आप को कैसे बचा पायेंगे। जब किसी के उपर अचानक आफत आती है तो फिर वह बचने की कोशिश करता ही है। चालक ने भी बचने की कोशिश की थी, बचने की कोशिश में उसने अपने वाहन को भगाने की कोशिश की थी, सामने हिंसक किसान आ गये। किसान क्या यह नहीं जानते थे कि हम किसी वाहन पर पत्थर फेंकेगे और वाहन चालक पर सरेआम लाठियां बरसायेगें तो फिर वह बचने के लिए अपने वाहन को दौड़ाने का प्रयास नहीं करेगा? हर व्यक्ति को अपनी जान प्यारी होती है। किसानों की लड़ाई सरकार से है। उस वाहन चालक से आपकी लड़ाई थोडेे थी? फिर आपने उस वाहन चालक पर पत्थर क्यों बरसाने लगे, उस वाहन चालक पर लाठियां क्यों बरसाने लगे? क्या आपको कानून हाथ में लेने का अधिकार है, क्या आपको कानून और संविधान को बंधक बना कर रखने का अधिकार है, क्या आपको सड़कों को घेर कर बैठने का अधिकार है, क्या आपको तिरंगे को रौंदने का अधिकार है, क्या आपको तिरंगे को उतार फेंक कर अपना मजहबी झंडा लगाने का अधिकार है? क्या आपको भिडरावाले की प्रशंसा में कसिदे पढ़ने का अधिकार है, क्या आपको दुश्मन देश की वकालत करने का अधिकार है, क्या आपको विदेशी पैसे लेने का अधिकार है, क्या आपको किसी एक पार्टी के कार्यकर्ताओं को बंधक बनाने का अधिकार है? क्या आपको महिलाओं के साथ बदसूलकी का अधिकार है, क्या आपको महिलाओं के साथ बलात्कार करने का अधिकार है, क्या आपको मीडिया कर्मियों के साथ बदतमीजी करने का अधिकार है, क्या आपको मीडिया कर्मियों को धमकी देने का अधिकार है, क्या आपको मीडियाकर्मियों को सरेआम पिटने का अधिकार है? आखिर किसान के नाम पर ऐसी गुंडागर्दी कब तक चलती रहेगी?

वाहन चालक सहित पांच भाजपा कार्यकर्ताओं को मौत का घाट उतार दिया:- चोरी और सीनाजोरी इसी को कहते हैं, पहले इन्होंने परिस्थितिजन्य घटना को अंजाम देने के लिए बाध्य किया और यह कहना गलत नहीं होगा कि वाहन चालक को इन्होंने वाहन भगाने के लिए मजबूर किया। फिर इन्होंने ही हिंसा फैलायी। हिंसा किस तरह से फैलायी वह भी स्पष्ट है। इनकी हिंसा डराने वाली थी, इनकी हिंसा देश को अस्थिर करने वाली थी, इनकी हिंसा मानवता का खून करने वाली थी। इन्होने न केवल गाड़ियों को पलट दिया और उसमें आग भी लगायी। इन्होंने वाहन चालक सहित पांच भाजपा कार्यकर्ताओं को मौत का घाट उतार दिया। मृत शरीर पर अंधाधुंध लाठियां बरसाते रहे। क्या भाजपा के कार्यकर्ताओं की जानें प्यारी नहीं थी, क्या भाजपा के मारे गये कार्यकर्ताओं के परिजनों के सामने पहाड़ नहीं टूट आया है। मारे गये सभी भाजपा कार्यकर्ता कोई धनाढ़य वर्ग के तो थे नहीं, ये भी मध्यम वर्ग के थे। अगर इसी तरह आपके खिलाफ भी भाजपा के कार्यकर्ता हथियार उठा लेंगे तो फिर आपकी स्थिति क्या होगी?

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अनिल मिश्र टेनी ने कहा:- उन्होंने कहा है कि किसानों के नाम पर उपद्रवी तत्वों ने हिंसा फैलायी है। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अनिल मिश्र टेनी चूकि जिम्मेदार पद पर बैठे हैं, इसलिए उन्होंने संयमित प्रतिक्रिया दी है, अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने अन्य तत्वों के नाम का उल्लेख नहीं किया। पर लखीमपुर खीरी की घटना में कई प्रकार के तत्व पर पहले से ही उपस्थित थे। तत्वों के प्रकार जानेंगे तो आप हैरानी में पड़ जायेंगे? यह सोचने के लिए मजबूर हो जायेंगे कि हमारे राष्ट के खिलाफ इतने बड़े-बड़ते तत्व खड़े हैं और साजिश में लगे हुए हैं। एक तत्व भिंडरावाले का है, वही भिंडरावाले जो भारत की एकता और अखंड़ता को तोड़कर खालिस्तान का निर्माण करना चाहता था, वही भिंडरावाले जिसने हमारे दुश्मन देश पाकिस्तान और आईएसआई के इशारों पर लट्टू की तरह नाचता था, वही भिंडरावाले जिसे राजीव गांधी ने आतंकवादी मानने से इनकार कर कहा था कि वे एक महान संत हैं और जिसे इन्दिरा गांधी ने राजनीतिक संरक्षण दे रखा था, वही भिंडरावाले जिसे मारने के लिए इन्दिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर मे सेना भेजकर ब्लू स्टार आपरेशन की थी। जानना यह भी जरूरी है कि जो किसान वाहन पर पत्थर बरसा रहे थे और भाजपा कार्यकर्ताओं पर लाठियां बरसा कर उनकी जान ली थी वे सभी भिंडरावाले लिखे हुए टीशर्ट पहने हुए थे और साथ ही साथ भिड़रावाले का नारा भी लगा रहे थे। वीडीओ फूटेज की अगर गहनता के साथ जांच होगी तो फिर इस तथ्य की सत्यता सामने आ जायेगी।

किसानों को उपद्रवी, किसानो को हिंसक बनाने में कितने सहयोगी:- यह स्पष्ट है। पहले किसानों को उकसाया, हिंसक बनाया और अब उन पर आंसू बहाने का कार्य भी अन्य राजनीतिक पार्टियां कर रही है। लखनऊ की घटना तो नोटिस मे लिया ही जाना चाहिए। लखनऊ की घटना में अखिलेश यादव ने किस प्रकार से हिंसा का सहारा लिया है, यह भी स्पष्ट हो गया। अखिलेश यादव के घर के सामने सपा के कार्यकर्ताओं ने एक पुलिस गाड़ी को सरेआम जला दिया, पुलिस वालों पर बल का प्रयोग किया। अखिलेश यादव अपने घर पर नजरबंद हैं। उन्हें लखीमपुर खीरी जाकर हिंसा फैलाने की स्वीकृति नहीं मिली। इसी कारण अखिलेश यादव के इशारे पर पुलिस की गाड़ी में आग लगायी गयी। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब में बलात्कार और मुस्लिम लोमहर्षक हिंसा की दर्जनों घटनाएं हुई हैं, राजस्थान में मुस्लिम उग्रपंथियों और सांप्रदायिक तत्वो ने कई दलितों की हत्याएं की है पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी उन हताहत दलितों के घर नहीं गये। पर राजनीतिक लाभ के लिए लखीमपुर खीरी तक दौड़ लगा रहे है और हिंसा करने वाले और देश विरोधी तत्वों का उत्साह भी बढ़ा रहे हैं।

राकेश टिकैत की मानसिकता कौन नहीं जानता:- राकेश टिकैत को कौन सा जन समर्थन है? इस तथ्य को हमेशा नकारा क्यो जाता है कि राकेश टिकैत का नजरिया और सक्रियता राजनीतिक है। वे विधानसभा का एक नहीं बल्कि दो-दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। दोनों बार विधान सभा चुनाव में जमानत जब्त करा चुके हैं। ये अजित सिंह की पार्टी के सदस्य हैं। हरियाणा में एक खास लोगों के वर्चस्व टूटना इन्हें पंसद नहीं है। दस महीनो से इनका आंदोलन चल रहा है। दस महीनों तक दिल्ली में नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने कोई बल प्रयोग नहीं किया, बलप्रयोग होता तो निश्चित तौर पर किसानों के वेश में हिंसा कर रहे देश द्रोहियों को आठ-आठ लाशें बिछाने का अवसर नहीं मिलता? इनकी साजिश तो पहले दिन से ही हिंसा कराने की थी और नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने की थी। यह सबको पता है कि यह तथाकथित आंदोलन उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव तक चलना है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार निशाने पर है। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश में देशद्रोहियों का जो संहार किया है, अपराधियो को सही जगह पर रखा है उससे कांग्रेस, सपा और अन्य दलो की नींद उड़ी हुई है और तथाकथित किसानों के माध्यम से उत्तर प्रदेश में भाजपा का सफाया करना चाहते हैें। पर अब कड़े कदम की आवश्यकता है। तथाकथित किसानों को आठ-आठ लाशें बिछाने जैसी छूट नहीं मिलनी चाहिए।।