दोनों में बस एक ही समानता है, जब ये चलती है तो जान लेती है, आख़िर बंदूक़ की गोली में ऐसा क्या होता है कि जिस्म में घुसते ही इंसान की मौत हो जाती है?

 
दोनों में बस एक ही समानता है, जब ये चलती है तो जान लेती है, आख़िर बंदूक़ की गोली में ऐसा क्या होता है कि जिस्म में घुसते ही इंसान की मौत हो जाती है?

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

हटके, 14 अक्टूबर:- आजकल घरों में कई लोग लाइसेंसी हथियार रखते हैं, पहले के जमाने में बड़ी दो नाली बंदूक रखने का चलन था लेकिन मौजूदा दौर में पिस्टल और रिवॉल्वर जैसे छोटे हथियारों ने इसकी जगह ले ली है। पुलिस कर्मियों से लेकर आत्मरक्षा के लिए हस्तियों के प्राइवेट गार्ड्स भी पिस्टल या फिर रिवॉल्वर का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन लगभग एक जैसे दिखने वाले इन दोनों हथियारों के बीच का अंतर हम आज आपको बताते हैं। वैसे तो पिस्टल और रिवॉल्वर दोनों ही हैंडगन मतलब हाथ में आसानी से आने वाले हथियार हैं, लेकिन इनके सिस्टम और आकार के बीच काफी फर्क है जो जानना बेहद जरूरी है। गोलियों को गन में डालने और उनके स्टोरेज का तरीका भी अलग है, इसके अलावा फायर करने का तरीका भी इन्हें एक-दूसरे से जुदा करता है।

क्या होती है पिस्टल:- एक पिस्तौल एक छोटी दूरी की हैंडगन होती है, जिसका काफ़ी छोटा बैरल होता है। मतलब ये 10 इंज से ज़्यादा नहीं होता। छोटी होती है, तो पकड़ने में भी आसानी रहती है, पिस्टल तीन तरह की होती है। ऑटोमैटिक, सिंगल शॉट और मल्टी चेंबर, वहीं, ऑटो में सेमी ऑटोमैटिक और फुल ऑटोमैटिक शामिल है। पिस्टल में गोलियां मैगज़ीन में लगी होती हैं, जो ग्रिप के पास ही होती है। इसमें 8 से ज़्यादा गोलियां भरी जा सकती हैं, इससें एक के बाद एक फ़ायर किये जा सकते हैं। दरअसल, स्प्रिंग के ज़रिए गोलियां फायर पॉइंट पर सेट होती जाती है, ऐसे में लोडिंग टाइम में समय ज़ाया नहीं होता और फ़ायरिंग की स्पीड तेज़ रहती है। आमतौर पर इसकी प्रभावी रेंज लगभग 100 गज होती है।

क्या होती है रिवाल्वर:- माना जाता है कि रिवॉल्वर को 1835 में सैमुअल कॉल्ट ने विकसित किया था, इसका नाम एक रिवाल्विंग सिलेंडर की वजह से पड़ा है। दरअसल, इसमें बंदूक के बीच में एक सिलेंडर लगा होता है, इसमें गोलियां भरनी होती है. आपने गौर किया होगा कि बंदूक के बीच में एक गोल सिलेंडर होता है, जो घूमता है। ये ठीक बैलर के पीछे होता है, इसी सिलेंडर में गोलिया भरी जाती हैं। आमतौर में इस सिलेंडर में 6 गोलियां होती हैं, जब ट्रिगर दबाते हैं तो पीछे लगा एक हैमर गोली पर हिट करता है, जिससे गोली आगे निकलकर जाती है। एक गोली चलाने पर सिलेंडर अपने-आप घूम जाता है और दूसरी गोली बैरल के सामने आ जाती है। ये प्रोसेस इसी तरह काम करता है। बता दें, एक रिवॉल्वर, पिस्टल की तुलना में भारी होती है। दरअसल, सिलेंडर के कारण रिवॉल्वर का वज़न बढ़ जाता है, वहीं, मिसफ़ायर होने पर कारतूस को रिवॉल्वर से आसानी से निकाला जा सकता है। जबकि पिस्टल में ये थोड़ा मुश्किल होता है।

दोनों में बस एक ही समानता है, जब ये चलती है तो जान लेती है, आख़िर बंदूक़ की गोली में ऐसा क्या होता है कि जिस्म में घुसते ही इंसान की मौत हो जाती है?

क्या होती है बंदूक की गोली:- एक छोटी सी गोली जिस्म में घुसती है और ज़िंदगी को शरीर से बाहर फेंक देती है। ठंडी लाश और गर्म ख़ून दोनों ज़मीन पर एक-दूसरे से अलग होते नज़र आते हैं। फ़िल्म हो या हक़ीक़त, अमूमन ऐसा ही होता है, मगर कभी आपने सोचा है कि आख़िर एक गोली में ऐसा क्या होता है कि उसके लगते ही इंसान की मौत हो जाती है?

कैसे काम करती है गोली:- पहले ये समझना ज़रूरी है कि एक गोली काम कैसे करती है। दरअसल, बंदूक का ट्रिगर दबने पर जो कार्टिज निकलती है, उसके तीन हिस्से होते हैं। प्राइमर, खोखा या केस और बुलेट। कार्टिज का सबसे पिछला हिस्सा प्राइमर होता है, ये ही फ़ायरिंग के वक्त बारूद में विस्फोट करता है। बीच में खोखा होता है, इसी में गन पाउडर भरा होता है। गोली चलते ही ये खोखा बंदूक से निकलकर गिर जाता है। अब आता है वो हिस्सा जो किसी इंसान के शरीर को चीरता अंदर घुस जाता है। कार्ट्रिज के सबसे आगे वाले हिस्से को बुलेट कहते हैं, ये लेड या सीसे की बनी होती है। जब बंदूक का ट्रिगर दबाया जाता है, तो प्राइमर पर तेज़ से चोट लगती है। इस टक्कर से बुलेट केस में चिंगारी उत्पन होती है और खोखे के बारूद में विस्फ़ोट हो जाता है। इस वजह से खोखा बुलेट से अलग होकर ज़मीन पर गिर जाता है और तेज़ बल के कारण बुलेट रफ़्तार से आगे निकल जाती है।

सीसा एक ज़हरीला पदार्थ होता है:- हालांकि, इससे मौत होने की संभावना कम होती है, वैसे भी गोली से मौत होने के कई कारण होते हैं। एक बुलेट तेज़ रफ़्तार के साथ एकदम सीधी शरीर के अंदर घुसती है। अपने रास्ते में आने वाली जिस्म की खाल और शरीर के अंदर के अंगों को चीरती हुई बाहर निकल जाती है। कई बार हड्डी से टकराकर शरीर में भी धंसी रह जाती है, ऐसे में गोली लगने पर शरीर से ख़ून निकलना शुरू हो जाता है। ज़्यादा ख़ून बह जाने पर इंसान की मौत हो जाती है, कई बार ऐसे पार्ट पर गोली लग जाती है, जिससे तुरंत ही शरीर निष्क्रिय पड़ने लगता है, जैसे- दिल या दिमाग़ पर। कई बार अधचले बारूद के कारण मौत होती है। बुलेट शरीर में जब घुसती है तो काफ़ी गर्म होती है, ऐसे में अंग डैमेज भी हो सकते हैं, जो बाद में मौत का कारण बनते हैं। वैसे ज़्यादातर मामलों में ख़ून का अधिक रिसाव और इंफ़ेक्शन ही मौत का कारण बनते हैं।।