आज (शनिवार) शाम को होगा मिल्खा सिंह का अंतिम संस्कार, यैसे मिला था फ्लाइंग सिख का खिताब।।
ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क
शख्सियत, 19 जून:- मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवम्बर 1929 गोविंदपुरा (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा हैं) में एक सिख परिवार में हुआ था, उनका बचपन बेहद कठिन दौर से गुजरा। भारत के विभाजन के बाद हुए दंगों में मिल्खा सिंह ने अपने मां-बाप और कई भाई-बहन को खो दिया, उनके अंदर दौड़ने को लेकर एक जुनून बचपन से ही था। वो अपने घर से स्कूल और स्कूल से घर की 10 किलोमीटर की दूरी दौड़ कर पूरी करते थे।
In the passing away of Shri Milkha Singh Ji, we have lost a colossal sportsperson, who captured the nation’s imagination and had a special place in the hearts of countless Indians. His inspiring personality endeared himself to millions. Anguished by his passing away. pic.twitter.com/h99RNbXI28
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2021
ऐसे मिला ‘फ्लाइंग सिख’ का खिताब:- मिल्खा सिंह को मिले ‘फ्लाइंग सिख’ के खिताब की कहानी बेहद दिलचस्प है और इसका संबंध पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है, 1960 के रोम ओलिंपिक में पदक से चूकने का मिल्खा सिंह के मन में खासा मलाल था। इसी साल उन्हें पाकिस्तान में आयोजित इंटरनेशनल एथलीट कम्पटिशन में हिस्सा लेने का न्योता मिला, मिल्खा के मन में लंबे समय से बंटवारे का दर्द था और वहां से जुड़ी यादों के चलते वो पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे। हालांकि बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समझाने पर उन्होंने पाकिस्तान जाने का फैसला किया।
राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने मिल्खा सिंह को ‘फ्लाइंग सिख’ का नाम दिया:- पाकिस्तान में उस समय एथलेटिक्स में अब्दुल खालिक का नाम बेहद मशहूर था, उन्हें वहां का सबसे तेज धावक माना जाता था। यहां मिल्खा सिंह का मुकाबला उन्हीं से था, अब्दुल खालिक के साथ हुई इस दौड़ में हालात मिल्खा के खिलाफ थे और पूरा स्टेडियम अपने हीरो का जोश बढ़ा रहा था लेकिन मिल्खा की रफ्तार के सामने खालिक टिक नहीं पाए। रेस के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने मिल्खा सिंह को ‘फ्लाइंग सिख’ का नाम दिया और कहा ‘आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो। इसलिए हम तुम्हें फ्लाइंग सिख का खिताब देते हैं, इसके बाद से ही वो इस नाम से दुनिया भर में मशहूर हो गए, खेलों में उनके अतुल्य योगदान के लिये भारत सरकार ने उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित किया है।
कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को स्वर्ण पदक जीताने वाले पहले भारतीय:- मिल्खा सिंह ने साल 1958 में कटक में आयोजित नेशनल गेम्स में उन्होंने 200 मीटर और 400 मीटर स्पर्धा में रिकॉर्ड बनाए, इसके बाद उसी साल टोक्यो में आयोजित हुए एशियन गेम्स में उन्होंने 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़ में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया। साल 1958 में ही इंग्लैंड के कार्डिफ में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में मिल्खा ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए 400 मीटर की रेस में गोल्ड मेडल अपने नाम किया, उस समय आजाद भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को स्वर्ण पदक जीताने वाले वे पहले भारतीय थे।
मिल्खा सिंह को आर्मी में जूनियर कमीशन का पद मिला:- 1958 के एशियाई खेलो में मिली सफलता के बाद मिल्खा सिंह को आर्मी में जूनियर कमीशन का पद मिला, साल 1960 में रोम में आयोजित ओलंपिक खेलों में उन्होंने 400 मीटर की रेस में शानदार प्रदर्शन किया लेकिन अंतिम पलों में वे जर्मनी के एथलीट कार्ल कूफमैन से सेकेंड के सौवें हिस्से से पिछड़ गए थे और कांस्य पदक जीतने से मामूली अंतर से चूक गए थे। इस दौरान उन्होंने इस रेस में पूर्व ओलंपिक कीर्तिमान भी तोड़ा और 400 मीटर की दौड़ 45.73 सेकेंड में पूरी कर नेशनल रिकॉर्ड भी बनाया, 400 मीटर की रेस में उनका ये रिकॉर्ड 40 साल बाद जाकर टूटा। 1960 के रोम ओलंपिक और टोक्यो में आयोजित 1964 के ओलंपिक में मिल्खा सिंह अपने शानदार प्रदर्शन के साथ दशकों तक भारत के सबसे महान ओलंपियन बने रहे, 1962 के जकार्ता एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर और चार गुना 400 मीटर रिले दौड़ में भी गोल्ड मेडल हासिल किया था।
आज शनिवार शाम को होगा अंतिम संस्कार:- स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक मिल्खा सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को शाम यहां किया जायेगा। उनका कोरोना संक्रमण से एक महीने तक जूझने के बाद कल देर रात निधन हो गया। परिवार के एक प्रवक्ता ने कहा, अंतिम संस्कार शनिवार को शाम पांच बजे होगा।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उनके निधन पर शोक जताया:- मिल्खा के परिवार में पुत्र गोल्फर जीव मिल्खा सिंह और तीन बेटियां हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उनके निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मिल्खा सिंह जी के निधन से दुखी और स्तब्ध हूं। इससे भारत और पंजाब के लिये एक युग का अंत हो गया। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदना। वह आने वाली पीढियों के लिये प्रेरणास्रोत रहेंगे।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि भारत ने एक महान खिलाड़ी को खो दिया:- उन्होंने कहा, ‘‘मिल्खा जी हमारे बीच नहीं रहे लेकिन वह देश का नाम रोशन करने के लिये हर भारतीय को प्रेरित करते रहेंगे। फ्लाइंग सिख हमेशा भारतीयों के दिल में रहेगा।।