यूपी एटीएस ने अंतर्राष्ट्रीय साइबर क्राइम गैंग के 14 अभियुक्तों को अलग-अलग जिलों से गिरफ्तार किया।

यह गैंग फर्जी कागजातों के आधार पर प्री-ऐक्टिवेटेड सिमों के माध्यम से आनलाइन बैंक खाते खोलकर पैसों का लेन-देन कर रहा था।
 
यूपी एटीएस ने अंतर्राष्ट्रीय साइबर क्राइम गैंग के 14 अभियुक्तों को अलग-अलग जिलों से गिरफ्तार किया।

डा. एस. के. पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 18 जनवरी।
प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने रविवार को अंतर्राष्ट्रीय साइबर क्राइम गैंग का पर्दाफाश किया।

गैंग के 14 अभियुक्तों को अलग-अलग जिलों से गिरफ्तार किया गया है। यह गैंग फर्जी कागजातों के आधार पर प्री-ऐक्टिवेटेड सिमों के माध्यम से आनलाइन बैंक खाते खोलकर पैंसों का लेन-देन कर रहा था।

इन बैंक खातों में अज्ञात स्रोतों से भारी मात्रा में धन जमा किए गए, जिसे प्री-ऐक्टिवेटेड मोबाइल नंबरों पर कार्ड-लेस मोड से एटीएम या अन्य माध्यमों से निकाला गया।

इन खातों में अब तक 50 लाख रुपये जमा होने और निकाले जाने की जानकारी मिली है। साथ ही अब तक ऐसे 1500 सिम जारी होने की सूचना मिली है।

एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने रविवार को पुलिस मुख्यालय में बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि गिरोह के नौ सदस्यों को गिरफ्तार कर लखनऊ लाया गया है।

शेष पांच अभियुक्तों की गिरफ्तारी एटीएस की नोएडा यूनिट द्वारा की गई है, जिन्हें अभी लखनऊ लाया जा रहा है।

इनके अलावा दो विदेशी अभियुक्त भी हैं, जिनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। उनके विरुद्ध लुक आउट नोटिस जारी करने की कार्रवाई चल रही है।

जिन नौ अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लखनऊ लाया गया है उनमें मोहम्मद फहीम निवासी खग्गू सराय थाना नखासा जिला संभल, सैमुल हसन निवासी रकनुद्दीन सराय थाना नखासा जिला संभल, हरिओम अरोड़ा निवासी स्टेशन रोड थाना चंदौसी जिला संभल, प्रेम सिंह निवासी नंगला गुर्जर थाना हजरतनगर गढ़ी जिला मुरादाबाद, चंद्र किशोर निवासी ज्ञानपुर सिसौना थाना संभल जिला संभल, अंशुल कुमार सक्सेना निवासी हसनपुर थाना सहादन गली जिला अमरोहा (मूल निवासी जिला बदायूं), तरुण सूर्या निवासी मोहल्लाचाह धोबियान थाना कोतवाली चंदौसी जिला संभल, पीयूष वार्ष्णेय निवासी मोती चंदौसी थाना चंदौसी जिला संभल तथा प्रशांत गुप्ता निवासी गणेश कॉलोनी थाना चंदौसी जिला संभल शामिल हैं।

प्रेस कांफ्रेंस में आईजी एटीएस डॉ. जीके गोस्वामी भी मौजूद रहे।

एडीजी कानून-व्यवस्था ने बताया कि अभियुक्त प्रेम सिंह गिरोह का सरगना है। वह इन सभी डिस्ट्रीब्यूटरों-रिटेलरों से प्री-ऐक्टिवेटेड सिम लेकर दिल्ली में विभिन्न लोगों को बेचता था।

इनसे उसे प्रति सिम 40 रुपये का अतिरिक्त लाभ होता था। जुलाई 2020 से जनवरी 2021 के बीच प्रेम सिंह ने लगभग 1500 प्री-ऐक्टिवेटेड सिम दिल्ली के लोगों को दिए हैं। इन सिमों से अभियुक्तों ने विभिन्न बैंकों में खाते खोलकर अज्ञात स्रोतों से धनराशि स्थानान्तरित कराई।

पकड़े गए डिस्ट्रीब्यूटर अपने यहां सिम लेने आने वाले ग्राहकों को धोखा देकर प्री-ऐक्टिवेटेड सिम प्राप्त करते थे। वे ग्राहकों के आईडी प्रूफ व फोटो का दुरुपयोग कर बिना उनकी जानकारी के दूसरा सिम ऐक्टिवेट कर लेते थे, जबकि प्री-ऐक्टिवेटेड सिम बेचना अवैधानिक कार्य है। ऐसे सिम को वे 260 रुपये में बेचते थे, जबकि सिम की कीमत लगभग 20 रुपये है। दरअसल एक ग्राहक को दो सिम लेने की छूट होती है और वह मात्र एक सिम लेकर चला जाता था।