मॉस्को ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम को स्वर्ण पदक दिलाने वाले रविन्दर पाल सिंह कोरोना से हार गए।

रविन्दर पाल सिंह को कोरोना पॉजिटिव होने के बाद विवेकानंद अस्पताल में 24 अप्रैल की रात 2:30 बजे गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया था। तब से वह वेंटिलेटर पर थे।
मॉस्को ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम को स्वर्ण पदक दिलाने वाले रविन्दर पाल सिंह कोरोना से हार गए।

डाo शक्ति कुमार पाण्डेय
विशेष संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 9 मई।

मॉस्को ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम को स्वर्ण पदक जीतने में अहम भूमिका अदा करने वाले रविन्दर पाल सिंह कोरोना वायरस संक्रमण से जंग हार गए।

बेहद ही जुझारू प्रवृति के खिलाड़ी रहे रविन्दर पाल सिंह ने भी लखनऊ के कई अस्पतालों में कोरोना वायरस संक्रमण से संघर्ष किया और करीब 22 दिन का उनकी जंग शनिवार को सुबह समाप्त हो गई।

उन्होंने लखनऊ के विवेकानंद हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली, जहां पर वह दो दिन से वेंटिलेटर पर थे।

रविन्दर पाल सिंह को कोरोना पॉजिटिव होने के बाद विवेकानंद अस्पताल में 24 अप्रैल की रात 2:30 बजे गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया था। तब से वह वेंटिलेटर पर थे।

विवेकानंद पॉलीक्लिनिक के मीडिया प्रभारी डॉ विशाल ने बताया कि 5 मई को उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी। इसके बाद 6 को उन्हें नेगेटिव वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था।

वह बाईपेप पर थे। मगर उनका बीपी और ऑक्सीजन सैचुरेशन अनियंत्रित होने के चलते शुक्रवार की रात दोबारा वेंटिलेटर पर लेना पड़ गया।

शनिवार को सुबह 5:00 बजकर 34 मिनट पर उनका निधन हो गया। पता चला है कि इलाज में धन की कमी भी आड़े आ रही थी।

रविन्दर पाल सिंह आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे, जिसके बाद उनकी मदद के लिए हाकी इंडिया आगे आया था। हाकी इंडिया ने इलाज के लिए पांच लाख रुपये देने का निर्णय लिया था।

इसके साथ ही उनके घरवालों ने यूपी सरकार से भी मदद की गुहार लगाई थी। हाकी इंडिया के पदाधिकारियों के मुताबिक दस मई को दिल्ली में लाकडाउन खुलने पर पैसा ट्रांसफर होना था।

मॉस्को ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के अहम सदस्य रहे रविन्दर पाल सिंह के लिए हॉकी ही सब कुछ था। मॉस्को के बाद वह 1984 के लॉस एंजिलिस ओलंपिक में भी खेले थे।

सीनियर टीम में आने से पहले 1979 जूनियर विश्व कप भी खेले। सेंटर हॉफ पोजीशन पर खेलने वाले रविन्दर पाल सिंह दो ओलंपिक के अलावा 1980 व 1983 में चैम्पियंस ट्रॉफी और 1982 विश्व कप व 1982 एशिया कप में भी खेले।

इसके बाद कमर में दर्द के कारण उनको अंतरराष्ट्रीय हॉकी जगत से विदा लेना पड़ा। दो ओलंपिक के अलावा उन्होंने कराची में चैंपियंस ट्रॉफी (1980, 1983), 1983 में हांगकांग में सिल्वर जुबली 10-नेशन कप, 1982 में मुंबई में विश्व कप और कराची में 1982 एशिया कप में  किया था।

सीतापुर जिले के निवासी रविन्दर पाल सिंह अविवाहित थे और कमर में दर्द की शिकायत के बाद हॉकी से नाता तोड़ लिया था। 65 वर्षीय रविन्दर पाल सिंह ने भारतीय स्टेट बैंक में सेवा करने के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृति ली थी।