महन्थ की मौत की जांच सुप्रीम कोर्ट जज से कराएं: प्रमोद तिवारी।

कांग्रेस वर्किग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी तथा कांग्रेस विधान मण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा 'मोना' ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि की मौत की जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई द्वारा कराये जाने की मांग किया है।
 
महन्थ की मौत की जांच सुप्रीम कोर्ट जज से कराएं: प्रमोद तिवारी।

महन्थ की मौत की जांच सुप्रीम कोर्ट जज से कराएं: प्रमोद तिवारी

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

कांग्रेस वर्किग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी तथा कांग्रेस विधान मण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने प्रयागराज बाघम्बरी गद्दी के महन्थ व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि की मौत की जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई द्वारा कराये जाने की मांग किया है।

मीडिया प्रभारी ज्ञान प्रकाश शुक्ल द्वारा निर्गत संयुक्त बयान में नेता द्वय ने यह सवाल उठाया कि वाई श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त महंत नरेन्द्र गिरि के कमरे को बिना पुलिस को सूचना दिये किसके कहने पर खोलकर उनका पार्थिव शरीर उतारा गया।

प्रमोद तिवारी एवं आराधना मिश्रा मोना ने सरकार से इस पहलू को भी स्पष्ट किये जाने की मांग की है कि यदि महंत नरेन्द्र गिरि जी ने आत्महत्या की होती तो वह पंखे पर कैसे लटके क्योंकि जमीन से छत की ऊंचाई तक किसी स्टूल आदि के सहारे से ही पहुंचा जा सकता था।

कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रदेश की जनता और संत महात्मा यह जानना चाहेगें कि जब वहां स्टूल अथवा कोई अन्य ऐसी वस्तु नही मिली जिससे वह गले मे फंदा डालकर लटकते।

विधायक आराधना मिश्रा मोना तथा सीडब्ल्यूसी मेंबर प्रमोद तिवारी ने यह भी सवाल उठाया कि महंत जी के शिष्य व उनसे प्रतिदिन मिलने वाले निकटतम लोगों के कथन के अनुसार महंत जी की जब उंगलियां काम नही कर रही थीं और वह कागजों पर हस्ताक्षर करने मे असमर्थ थे तो आखिर सात पृष्ठ का सुसाइड नोट वह कैसे लिख सकते हैं।

श्री तिवारी एवं आराधना मिश्रा मोना ने यह भी सवाल उठाया कि महंत नरेन्द्र गिरि के अनेक शिष्य व समर्थक उनकी मृत्यु को आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या बता रहे हैं तो पुलिस इसे सूचना पाते ही ‘आत्महत्या’ और क्यों और किसके कहने पर कह रही है।

श्री तिवारी एवं विधायक मोना ने पुलिस की भूमिका को संदेहास्पद ठहराते हुए यह भी कहा है कि जब कथित सुसाइड नोट में तीन नाम लिखे हैं तो दर्ज एफआईआर एक ही शिष्य के खिलाफ क्यों नामजद हुई है।

प्रमोद तिवारी तथा आराधना मिश्रा मोना ने जारी बयान मे कहा है कि बाघम्बरी गद्दी और हनुमान मंदिर की सम्पत्ति को लेकर भूमाफिया महंत जी के विरूद्ध षडयंत्र कर रहे थे और हरिद्वार कुंभ के समय भी उनके साथ षडयंत्र कर उन्हें गददी से हटाने का प्रयास हुआ था। ऐसे में यह स्पष्ट होना चाहिये कि महंत नरेन्द्र गिरि के विरूद्ध षडयंत्र के आलोक में यह घटनाचक्र किन परिस्थितियों मे घटित होना संभव है।

श्री तिवारी एवं कांग्रेस विधानमण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने इस बात पर दुख जाहिर किया कि प्रदेश में मौजूदा मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान योगी आदित्यानाथ के कार्यकाल में महंत नरेन्द्र गिरि जी की संदिग्ध मौत के पूर्व प्रदेश मे बीस साधु संत या मंदिर के पुजारियों की भी हत्याएं हो चुकी है।

नेताद्वय ने स्पष्ट कहा कि योगी शासन में उत्तर प्रदेश जघन्य अपराधों मे लगातार देश मे प्रथम पायदान पर है।

प्रमोद तिवारी व आराधना मिश्रा मोना ने सरकार पर इस घटना को लेकर करारा प्रहार करते हुए कहा कि जब प्रदेश मे वाई श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति की मौत संदिग्ध हालत में हो सकती है तो आम जनता की सुरक्षा योगी शासन में कैसे हो सकती है।

श्री तिवारी एवं आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने योगी सरकार के कानून व्यवस्था को लेकर सभी दावों को थोथा बताते हुए कहा कि महन्त नरेन्द्र गिरि को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि इस घटनाचक्र के सभी पहलुओं व तथ्यों को निष्पक्ष जांच के जरिए देश के सामने लाया जाना हर हाल मे सुनिश्चित हो।