राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रतापगढ़ का नामकरण सोने लाल पटेल के नाम पर कहां तक युक्तिसंगत है?

यदि उत्तर प्रदेश सरकार ने "सोनेलाल पटेल राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रतापगढ़" का नाम बनाए रखा तो 2022 के विधानसभा के चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
 
राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रतापगढ़ का नामकरण सोने लाल पटेल के नाम पर कहां तक युक्तिसंगत है?

राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रतापगढ़ का नामकरण सोने लाल पटेल के नाम पर कहां तक युक्तिसंगत है?

परशुराम उपाध्याय
वरिष्ठ पत्रकार

यदि उत्तर प्रदेश सरकार ने “सोनेलाल पटेल राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रतापगढ़” का नाम बनाए रखा तो 2022 के विधानसभा के चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

उत्तर प्रदेश शासन ने जनपद प्रतापगढ़ मुख्यालय पर नवनिर्मित स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय प्रतापगढ़ के साथ डॉक्टर सोनेलाल पटेल का नाम जोड़ने के प्रस्ताव को न जाने किन परिस्थितियों में मंजूरी देकर आनन-फानन में उद्घाटन की तिथि भी घोषित कर दिया।

इसकी जानकारी होने पर यह प्रकरण जंगल में आग की तरह फैला और जनपद के राष्ट्रचिंतकों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, विभिन्न संगठनों के संचालकों, अधिवक्ताओं व विभिन्न राजनीतिक दलों के जागरूक नेताओं ने मेडिकल कॉलेज प्रतापगढ़ के साथ डॉक्टर सोनेलाल पटेल का नाम जोड़ने पर कड़ी आपत्ति किया। चारों तरफ से आ रहे विरोध के स्वर और सुसज्जित बयानों से बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि लोग प्रतापगढ़ के इतिहास अथवा विकास में एक नए पैसे का भी योगदान न देने वाले का नाम किसी भी दशा में बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं हैं।

चर्चाओं के अनुसार उत्तर प्रदेश शासन में अपना दल के साथ हुए राजनीतिक गठबंधन से प्रभावित होकर तुष्टीकरण की राजनीति का लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से आनन-फानन में इस नामकरण को मंजूरी प्रदान की गई है। जनपद प्रतापगढ़ के कोने-कोने से उठ रहे विरोध के स्वर, धीरे धीरे भयंकर रूप लेते दिखाई पड़ रहे हैं।

अधिवक्ताओं,बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों तथा समाजसेवी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने आवाज बुलंद कर डॉक्टर सोनेलाल पटेल के नाम को किसी भी हालत में हटाकर जनपद के इतिहास में अभूतपूर्व योगदान देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, राष्ट्र भक्तों, आध्यात्मिक व धार्मिक विभूतियों, समाजसेवियों व राष्ट्रीय स्तर पर प्रतापगढ़ का नाम रोशन करने वाले राजनेताओं के नाम सुझाकर अपनी विशुद्ध भावनाओं की अभिव्यक्ति करके उत्तर प्रदेश शासन के समक्ष एक एक विषम परिस्थिति पैदा कर दिया है।

यदि उत्तर प्रदेश शासन डॉक्टर सोनेलाल पटेल का नाम परिवर्तित करती है तो गठबंधन का धर्म निभा रहे राजनीतिक दल अपना दल का उसे कोपभाजन भी होना पड़ सकता है। उसे इस बात का भी डर है कि ऐसा करने पर कहीं एक विशेष जाति के बलबूते खड़े किये गये अपना दल के परंपरागत वोटर नाराज होकर खिसक न जाएं।

दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के समक्ष बड़ी संख्या में उभर रहे विरोध के स्वर पर विराम लगाने को लेकर धर्मसंकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। फिलहाल उद्घाटन का कार्यक्रम उत्तर प्रदेश शासन ने स्थगित कर दिया है।

जहां सामाजिक संगठन “अखिल भारतीय ब्राह्मण परिषद” ने आपत्ति जताया है वहीं कचहरी में युवा अधिवक्ता दिनेश पांडेय के नेतृत्व में तथा तहसील लालगंज में शिक्षाविदों द्वारा बैठकें आयोजित करके स्पष्ट कर दिया गया है कि मेडिकल कॉलेज के साथ डॉक्टर सोनेलाल पटेल का नाम जोड़े जाने का कोई औचित्य नहीं है। परशुराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप शुक्ला एवं युवा अधिवक्ता अभिषेक तिवारी ने अपने तमाम सहयोगियों के साथ “बेल्हा नागरिक स्वाभिमान संघर्ष मोर्चा” का गठन करके शहर के शहीद उद्यान (कंपनी गार्डन) से विरोध का स्वर उठाते हुए रूटमार्च शहर के मध्य घंटाघर तक ले जाकर स्पष्ट कर दिया कि उत्तर प्रदेश शासन का यह निर्णय किसी भी आम नागरिक के दिल के अंदर स्थान नहीं पा सकेगा।

संघर्ष मोर्चा ने ऐलान कर दिया है कि यह संघर्ष तब तक चलता रहेगा जब तक कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा डॉक्टर सोनेलाल पटेल का नाम हटाकर मेडिकल कॉलेज प्रतापगढ़ के साथ किसी अन्य चर्चित विभूति का नाम नहीं जोड़ दिया जाता।

उधर भारतीय जनता पार्टी के युवा तेजतर्रार नेता, पूर्व विधायक बृजेश सौरभ एवं भाजपा युवा नेता बिंदेश्वरी प्रसाद तिवारी उर्फ पिंटू के तीखे स्वर भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं।

लगता है कि अब यह मामला प्रतापगढ़ की आन, बान, शान से जुड़ गया है। पूर्व विधायक के अनुसार, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा घोषित नाम किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पूर्व विधायक बृजेश सौरभ ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने विरोधी स्वर को धार देते हुए उत्तर प्रदेश के मुखिया और भारत के प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी जिलाधिकारी को सौंप कर संघर्ष का ऐलान कर दिया है। यहां तक कि डॉक्टर सोनेलाल पटेल के दामाद आशीष पटेल को चैलेंज करते हुए उनकी प्रतिक्रिया पर भी शब्दभेदी बाण चलाए जा रहे हैं।

तकरीबन सभी विरोधी स्वर एक बिंदु पर केंद्रित हैं कि डॉक्टर सोनेलाल पटेल का प्रतापगढ़ के इतिहास व विकास में कोई योगदान नहीं है। ऐसे व्यक्ति का नाम लाकर तुष्टीकरण की राजनीति किया जाना उचित नहीं है, जिसे प्रतापगढ़ का आम नागरिक कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा।

भारत रक्षा अभियान के राष्ट्रीय महासचिव एवं भारतीय जनता पार्टी के तेजतर्रार नेता विजय मिश्र गुरुजी ने भी इस प्रकरण को बड़ी गंभीरता से लेकर उत्तर प्रदेश शासन के मुखिया आदित्यनाथ योगी एवं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि मेडिकल कॉलेज प्रतापगढ़ के साथ डॉक्टर सोनेलाल पटेल का नाम न जोड़कर किसी ऐसी महाविभूति का नाम जोड़ा जाए, जिसने अपने आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक, शैक्षिक, राजनैतिक आदि क्षेत्रों में योगदान करके जनपद का नाम रोशन किया हो। ऐसा होता है तो प्रस्ताव को जनपद प्रतापगढ़ का आम नागरिक सहज भाव से स्वीकार कर लेगा।

आम नागरिकों में उभर रहे आक्रोश की जो तस्वीरें सामने आती दिखाई पड़ रही हैं, उससे लगता है कि प्रतापगढ़ में जन आंदोलन की स्थिति बन सकती है।

यदि मेडिकल कॉलेज प्रतापगढ़ के नामकरण जैसे महत्वपूर्ण बिंदु पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालने वाली भारतीय जनता पार्टी गंभीरता से विचार करके डॉक्टर सोनेलाल पटेल के स्थान पर किसी अन्य विभूति का नाम प्रस्तावित नहीं करती है तो निकट भविष्य में 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में जनपद प्रतापगढ़ सहित पूरे उत्तर प्रदेश में भाजपा को इसका खामियाजा भोगना पड़ सकता है।