आखिर किस हेट स्पीच की वजह से सपा नेता आजम खान को मिली तीन साल की सजा

भड़काऊ भाषण में कहा था की मोदी जी आपने ऐसा माहौल बना दिया कि मुसलमानों का जीना दूभर हो गया है। बहुत उमस की जिंदगी गुजार रहे हैं, जो कांग्रेस का कैंडिडेट खड़ा हुआ है, वह सिर्फ मुसलमानों में वोट न मांगे। कुछ हिंदू भाइयों में जाकर भी वोट मांगे, सारा दिन मुसलमानों में वोट मांग रहा है ताकि, मुसलमानों का वोट काटकर भारतीय जनता पार्टी को जिता सके।
 
आयोग आजम खां को छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य भी घोषित कर सकता, जा सकती है विधानसभा सदस्यता

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ, 28 अक्टूबर:- सपा नेता आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम नही ले रही है, मोहम्मद आजम खां को तीन साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता जाना तय हो गया है। इसके अलावा आजम खां को आयोग छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य भी घोषित कर सकता है क्योंकि उन्हें दो साल से अधिक की सजा हुई है। आजम की सदस्यता समाप्त होने के छह माह के अंदर रामपुर शहर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होगा। सपा नेता मोहम्मद आजम खां पर यूं तो सौ से अधिक केस दर्ज हो चुके हैं। लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आजम खां अपने मुकदमों में कानूनी जंग लड़ रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच गुरुवार को भड़काऊ भाषण मामले में उन्हें तीन साल की सजा हो गई। कानून के जानकारों और प्रशासन में ऊंचे पदों पर बैठे अफसरानों की मानें तो आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का यह पहला केस है, जिसमें किसी दोषी को अधिकतम तीन साल की सजा कोर्ट ने मुकर्रर की है। इसी के साथ आजम खां की उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता भी खतरे में पड़ गई है। उन्हें कोर्ट से तीन साल की सजा दिए जाने पर विधानसभा की सदस्यता से निष्कासित किया जाना तय है।

बेटे अब्दुल्ला आजम खां की विधानसभा से सदस्यता हो चुकी है समाप्त- आजम खां के बेटे और स्वार से मौजूदा विधायक अब्दुल्ला आजम खां की सदस्यता 2019 में समाप्त हो चुकी है। हालांकि, तब हाईकोर्ट के फैसले पर उनके निर्वाचन को शून्य करार दिए जाने पर उनकी सदस्यता समाप्त हुई थी। आजम खान को सजा केवल उनके लिए नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है। आजम खान सपा में अखिलेश यादव के बाद सबसे कद्दावर नेता माने जाते हैं। गुरुवार की दोपहर करीब दो बजे एमपीएमएलए की विशेष अदालत ने सुनवाई शुरू करने के बाद आजम को दोषी ठहराते ही कस्टडी में ले लिया था। चार बजे के करीब अदालत ने फैसला सुनाया। इस दौरान आजम खां कस्टडी में ही रहे। आपको बता दे कि आजम के खिलाफ तीन धाराओं में केस दर्ज हुआ था। तीनों ही मामलों में उन्हें दोषी माना गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजम पर भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि भाषण के दौरान आजम खां ने पीएम मोदी और सीएम योगी पर भी आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था।

कब का है यह मामला- भड़काऊ भाषण का यह मामला वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का है। आजम खां लोकसभा का चुनाव लड़़ रहे थे। तब सपा और बसपा का गठबंधन था। आजम खां चुनाव जीत गए थे। चुनाव प्रचार के दौरान उनके खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन के कई मामले विभिन्न थानों में दर्ज हुए थे। इसमें एक मामला मिलक कोतवाली में हुआ था। इसमें उन पर आरोप है कि उन्होंने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और तत्कालीन जिलाधिकारी के लिए अपशब्द कहे। धमकी दी और दंगा भड़काने का प्रयास किया। उनके द्वारा वर्ग विशेष से धर्म के नाम पर वोट की अपील की गई। इन आरोपों के साथ वीडियो अवलोकन टीम के प्रभारी अनिल कुमार चौहान की ओर से आजम खां के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। वही भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने कहा कि आजम खान को सजा से देश में एक नजीर बनेगी। अब चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधि भड़काऊ भाषण देने से बचेंगे और चुनावी राजनीति में ये एक बड़ा सुधार होगा। आजम खान के खिलाफ हेट स्पीच की शिकायत चुनाव आयोग से आकाश सक्सेना ने ही की थी। आकाश सक्सेना इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में रामपुर से आजम खान के खिलाफ भाजपा के टिकट पर लड़े थे।

क्या कहा था आजम खान ने- आजम खां ने 07 अप्रैल 2019 को मिलक क्षेत्र के खाता नगरिया गांव में आयोजित जनसभा में हेट स्पीच दी थी। जिस पर रामपुर प्रशासन से लेकर आयोग तक एक्टिव हो गया था और दो दिन बाद यानि 09 अप्रैल 2019 को इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी। आजम पर दर्ज एफआईआर के अनुसार उन्होंने भड़काऊ भाषण में कहा था- मोदी जी आपने ऐसा माहौल बना दिया कि मुसलमानों का जीना दूभर हो गया है। बहुत उमस की जिंदगी गुजार रहे हैं, जो कांग्रेस का कैंडिडेट खड़ा हुआ है, वह सिर्फ मुसलमानों में वोट न मांगे। कुछ हिंदू भाइयों में जाकर भी वोट मांगे, सारा दिन मुसलमानों में वोट मांग रहा है ताकि, मुसलमानों का वोट काटकर भारतीय जनता पार्टी को जिता सके। इसके साथ ही तमाम धर्म विशेष के लोगों को भड़काने वाली तमाम बातें कहीं थी। आगे अपने भाषण में डीएम पर हमलावर होते हुए कहा था- तुम्हें दिख रहा है कि रामपुर में कैसा कलेक्टर आया है और अपने साथ तीन अधिकारी कैसे लेकर आया है। एक महीने के अंदर इस कलेक्टर ने रामपुर के नरक बना दिया है। इसने रामपुर में दंगा कराने की कोई कसर नहीं रखी। इस जैसे जाने कितने कलेक्टर मेरे दफ्तर में खड़े रहते थे और भी काफी कुछ अमर्यादित टिप्पणी की गई थी। बयान में शामिल इन सभी अंशों को कोर्ट में पेश करके मजबूती के साथ पैरवी की गई थी।

मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह ने कहा- आजम खां को सजा होने के बाद तत्कालीन डीएम रामपुर एवं मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह ने कहा कि प्रशासन कभी भी कोई कार्रवाई द्वेष भावना से नहीं करता। उस समय हम लोग निर्वाचन आयोग के लिए कार्य कर रहे थे। इन्होंने लगातार संवैधानिक संस्था और सिस्टम को टारगेट करते हुए बहुत कुछ कहा था। उस वक्त हमारी वीडियो निगरानी टीम के पास जो फैक्ट थे उनके आधार पर एफआईआर हुई, कोर्ट में प्रशासन ने मजबूत साक्ष्य पेश किए थे, स्पीच की रिकार्डिंग की हार्ड डिस्क भी पेश की गई थी। माननीय न्यायालय ने उस पर संज्ञान लिया और प्रशासन के डाक्यूमेंट्री फैक्ट को सही माना।