नशे में धुत प्रॉपर्टी डीलर ने एसयूवी से पूरे परिवार को रौंद दिया। चार की दर्दनाक मौत।

लखनऊ के विकासनगर में हुए इस हादसे की वजह नशा और रफ्तार थी। सीसीटीवी फुटेज से इसकी पुष्टि हुई। पुलिस ने बताया कि हादसे के बाद एसयूवी के स्पीडोमीटर का कांटा 150 पर फंसा मिला है।
 


नशे में धुत प्रॉपर्टी डीलर ने एसयूवी से पूरे परिवार को रौंद दिया। चार की दर्दनाक मौत।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 1 जून।

हादसे की वजह नशा और रफ्तार थी। प्रॉपर्टी डीलर बेतहाशा नशे में था। फुटेज से इसकी पुष्टि हुई। पुलिस ने बताया कि हादसे के बाद एसयूवी के स्पीडोमीटर का कांटा 150 पर फंसा मिला है।

मंगलवार देर रात विकासनगर गुलाचीन मंदिर मोड़ के पास राजेन्द्र पाल की बेकाबू रफ्तार एसयूवी ने दंपति की स्कूटी को टक्कर मार दी और भागने की कोशिश में 100 मीटर तक स्कूटी को घसीटता चला गया। 

आखिर में डिवाइडर से टकराकर एसयूवी बंद हो गई तो वह भाग निकला। हादसे में दंपती व उनके दो बेटों की मौत हो गई। आनन फानन पुलिस की मदद से क्षत-विक्षत शवों को ढका और फिर मॉर्च्युरी ले गए। 

बुधवार को पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द किए गए। पुलिस ने राजेंद्र पाल पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है।

मूलरूप से सीतापुर के लहरपुर तंबौर (गांव हैथा) निवासी राम सिंह (35) विकासनगर सेक्टर तीन में किराये के मकान में पत्नी ज्ञानवती (32) व बेटे राज (13) व अंश (8) के साथ रहते थे। 

मंगलवार को वह परिवार समेत अलीगंज में बड़े मंगल पर मेला देखने गए थे। रात करीब दो बजे स्कूटी से लौट रहे थे। जैसे ही विकासनगर मोड़ से लेखराज की तरफ मुड़े वैसे ही टेढ़ी पुलिया की तरफ से आ रही बेकाबू रफ्तार एसयूवी ने स्कूटी में टक्कर मार दी। स्कूटी समेत पूरा परिवार एसयूवी में फंस गया और सबकी मौत हो गई।

अनुमान के मुताबिक हादसे के वक्त एसयूवी 100-120 किमी. प्रति घंटा की थी। स्कूटी में टक्कर मारने के बाद चालक ने एसयूवी को रोकने का प्रयास ही नहीं किया। इस बारे में जब उससे पूछताछ की गई तो उसने कहा कि अगर वह गाड़ी रोकता तो राहगीर मार-पीट करते। इसलिए गाड़ी रोकने के बजाय दौड़ा दी।

पुलिस ने स्कॉर्पियो के नंबर से जानकारी जुटाई तो पता चला कि एसयूवी राजेंद्र पाल नाम के शख्स की है। जो तालकटोरा का रहने वाला है। कुछ ही घंटे में पुलिस उसे गिरफ्तार कर थाने ले आई थी। मेडिकल में शराब पीने की पुष्टि हुई। 

पूछताछ में राजेंद्र ने बताया कि वह प्रॉपर्टी का काम करता है। बख्शी का तालाब में उसका दफ्तर है। उसने वहीं पर शराब पी थी। उसके बाद वहां से निकला था। पुलिस ने दोपहर बाद उसको कोर्ट में पेश किया, जहां से जेल भेजा गया।

राम सिंह पिछले 13 वर्षों से विकासनगर में रहकर एक टेंट हाउस में मैनेजर के तौर पर काम करते थे। हादसे की जानकारी पर उसके भाई अनिल, अमर व मनीष पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। साथ में अन्य परिजन भी थे। चार लाशों को देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया। मातम पसर गया। जिस स्कूटी से राम सिंह गया था वह टेंट हाउस मालिक वीरू की थी।

प्रत्यक्षदर्शी टेंट हाउस के मालिक के भाई विनय ने बताया कि "मैं भी बड़े मंगल पर मंदिर गया था। देर रात घर लौट रहा था। मेरे आगे राम सिंह स्कूटी से चल रहा था। जैसे वह तिराहा पार करने लगे वैसे ही रफ्तार में आई एसयूवी स्कूटी समेत चारों को उड़ा ले गई। पीछे-पीछे मैं भागा तो देखा कि इधर उधर लोग छिटक कर गिर रहे हैं। कुछ पल के लिए मैं सन्न रह गया। समझ नहीं आया कि हुआ क्या। फिर चंद पल बाद देखा कि चार लाशें पड़ी हुई हैं।"

विनय ने आगे बताया कि एसयूवी चालक कब वहां से भाग गया पता ही नहीं चला। उन्होंने व अन्य राहगीरों ने पुलिस को सूचना दी। 

विनय के मुताबिक, जब चारों को एंबुलेंस में लादा जा रहा था, तभी ऐसा लग रहा था कि उनमें जान नहीं बची है। राम सिंह विनय के भाई के टेंट हाउस में 12 साल से नौकरी कर रहा था। 

विनय ने बताया कि राम सिंह बहुत ईमानदारी से नौकरी करता था। पूरे परिवार का खर्च उसी पर निर्भर रहा था।

हादसे की जानकारी पर राम सिंह के भाई व अन्य परिजन मोर्चरी पहुंचे। उन्होंने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। यहां तक कि परिचित से रुपये गाड़ी बुक कर लखनऊ आए थे। शव ले जाने के लिए एंबुलेंस के लिए भी पैसे नहीं थे। 

आखिरकार टेंट हाउस मालिक ने दो एंबुलेंस बुक की। इससे चारों शव ले जाए गए। अंतिम संस्कार चंदा लेकर किया गया। इसमें परिचित, रिश्तेदारों व अन्य गांव वालों ने मदद की।

राम सिंह के पड़ोसियों व परिचितों ने बताया कि राम सिंह का परिवार खुशहाली के साथ जीवन जी रहा था। दोनों बेटों को पढ़ाने पर बहुत जोर देते थे। जवान बेटे, बहू व पोताें की अर्थी का कंधा देने वाले बुजुर्ग दादा की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे।

फुटेज में सामने आया कि स्कूटी के घिसटने से चिंगारी निकल रही थी। एक के बाद एक राम सिंह, फिर ज्ञानवती और उनका छोटा बेटा छिटक कर इधर उधर गिर गए। राज आखिर तक फंसा रहा। 

जब एसयूवी रुकी तो उसके नीचे स्कूटी थी और राज के सिर से खून ही खून निकल रहा था। जहां से टक्कर मारी थी और जहां पर एसयूवी रुकी वहां तक खून फैला था।

चूंकि चारों का शरीर खून से सना था। कोई हरकत नहीं थी। शरीर भर में जख्म ही जख्म थे। लिहाजा किसी की हिम्मत नहीं पड़ रही थी कि उनको उठाकर अस्पताल तक भिजवा सकें। 

जब पुलिसकर्मी पहुंचे तब वह किसी तरह से चारों को एंबुलेंस में डालकर अस्पताल पहुंचाया। सबसे अधिक बेबसी तब दिखी जब राज एसयूवी के नीचे दबा था और उसको निकालना मुश्किल हो रहा था। लोग उठाने का प्रयास कर रहे थे क्योंकि उनकी आंखों के सामने उसकी जान निकल रही थी, लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे थे।

पुलिस की अब तक की जांच के मुताबिक, एसयूवी में अकेला राजेंद्र था। हालांकि लोगों में चर्चा थी कि एसयूवी में तीन लोग सवार थे। अगर ये सच है तो सवाल है कि वो कौन लोग थे। 

पुलिस का कहना है कि फुटेज से स्पष्ट हो गया है कि गाड़ी राजेंद्र ही चला रहा था। उसके हाथों ही हादसा हुआ है। इसलिए उस पर कार्रवाई की गई है। अन्य किसी के होने की पुष्टि नहीं हुई है।