एटीएस ने रविवार को 20 जिलों में छापेमारी करके पीएफआई के 70 सदस्यों को हिरासत में लिया।
एटीएस ने रविवार को 20 जिलों में छापेमारी करके पीएफआई के 70 सदस्यों को हिरासत में लिया।
डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क
लखनऊ, 8 मई
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि पूंछताछ में अभी तक कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। आगे की पूछताछ आरोपियों से की जा रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्य उत्तर प्रदेश को फिर से दहलाने की साजिश में जुटे थे।
रविवार को आतंक निरोधी दस्ते (एटीएस) की तरफ से 20 जिलों में की गई छापेमारी के बाद बरामद किए गए कई दस्तावेजों में इसके प्रमाण मिले हैं।
एटीएस ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भी जांच में शामिल कर लिया है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में पीएफआई की तरफ से फिर से दंगा भड़काने की साजिश की सूचना भी एनआईए ने ही एटीएस को दी थी।
एनआईए ने 26 अप्रैल को आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों की गिरफ्तारी को लेकर उत्तर प्रदेश व पंजाब सहित चार राज्यों में छापेमारी की थी।
उत्तर प्रदेश में रामपुर के काशीपुर गांव में पीएफआई के सक्रिय सदस्य की गिरफ्तारी को लेकर की गई छापेमारी के बाद एनआईए के हाथ कई अहम सुराग लगे थे जिसकी सूचना एटीएस की दी गई थी।
इसके बाद एटीएस की तरफ से गुप्त रूप से अभियान चलाने से पहले पूर्व में गिरफ्तार किए गए पीएफआई के सदस्यों से दोबारा पूछताछ की गई तो 213 लोगों के नाम सामने निकल कर आए थे।
फिर एटीएस ने रविवार को 20 जिलों में छापेमारी करके 70 लोगों को हिरासत में लिया और 50-50 हजार रुपये के ईनामी परवेज अहमद व रईस अहमद को वाराणसी से गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार आरोपियों ने अभी तक की पूछताछ में बताया है कि वाराणसी में संगठन के 100 से ज्यादा सदस्य हैं। इनमें 23 सक्रिय हैं। इनकी गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
प्रतिबंधित संगठन पीएफआई उत्तर प्रदेश में आठ वर्षों से सक्रिय है। बहुचर्चित हाथरस कांड की जांच के बाद पुलिस को पीएफआई द्वारा दंगा भड़काने के सबूत मिले थे। इसी सिलसिले में एसटीएफ ने बीती तीन मार्च को पीएफआई के सक्रिय सदस्य केरल निवासी कमाल केपी को गिरफ्तार किया गया था।
इसी प्रकार कानपुर के बेकमगंज इलाके में पिछले साल जून में दंगा भड़काने के मामले में पीएफआई के सदस्यों की भूमिका सामने आई थी। जफर हाशिमी के साथ इनके संदेशों को पुलिस ने पकड़ा था। इसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया था।
यूपी के विभिन्न जिलों में पीएफआई के सक्रिय सदस्यों का जाल लगातार फैलता जा रहा था। पीएफआई को प्रतिबंधित करने के बाद एटीएस व पुलिस तथा एनआईए ने कई बार इसके सदस्यों की गिरफ्तारी करके संगठन के कुचक्र को तोड़ा था लेकिन इस बार नए सिरे कोई बड़ा कांड कराने का षड्यंत्र रचा जा रहा था।
22 सितंबर 2022 को दस राज्यों में एक साथ छापेमारी करके 106 सक्रिय सदस्यों को हिरासत में लिया गया।
24 सितंबर 2022 को देश विरोधी गतिविधियों में सक्रिय पीएफआई के छह सदस्यों को वाराणसी व मेरठ से गिरफ्तार किया गया। यह वाराणसी में किसी बड़े कांड को अंजाम देने की योजना में लगे थे।
27 सितंबर 2022 को लखनऊ में पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष के बाद एनआईए ने उसके करीबी अब्दुल माजिद को गिरफ्तार किया।
11 अक्टूबर 2022 में पीएफआई से जुड़े आठ आतंकियों की गिरफ्तारी सहारनपुर, शामली व उत्तराखंड से की गई। पीएफआई के बैनर तले रहकर यह अलकायदा व जमातउल मुजाहिद्दीन के लिए काम कर रहे थे।
31 दिसंबर 2022 को एटीएस ने अलकायदा व जमातउल मुजाहिद्दीन के लिए काम करने वाले अजहरुद्दीन को सहारनपुर से गिरफ्तार किया।
31 दिसंबर को 2022 में उत्तर प्रदेश, दिल्ली व महाराष्ट्र में पुलिस ने 17 को गिरफ्तार करके 100 करोड़ रुपये हवाला रैकेट का भंडाफोड़ किया था। यह धनराशि देश विरोधी गतिविधियों के लिए विदेशों से भेजी गई थी।
जांच पड़ताल में पता चला कि युवाओं को देश विरोधी व आतंकी गतिविधियों में शामिल करने से पहले पीएफआई के सक्रिय सदस्य फेसबुक व इंटरनेट मीडिया के माध्यमों से उनके ब्रेन वाश करते थे।
इस काम के लिए इन्हें केरल से लेकर अन्य राज्यों में होने वाले कार्यशालाओं में प्रशिक्षण दिया जाता था। साथ ही उन्हें हर केस के लिए हिसाब से धनराशि भी दी जाती थी। इसकी जांच भी एटीएस ने शुरू कर दी है।
हाल ही में बड़े पर्दे पर रिलीज हुई द केरल स्टोरी की तर्ज पर सक्रिय सदस्यों की तरफ से पीएफआई के साथ युवाओं को जोड़ा जाता था। रविवार को गिरफ्तार किए गए परवेज व रईस अहमद इसी काम में जुटे थे। एटीएस ने इनकी एक साल की गतिविधियों को खंगालना शुरू कर दिया है।
साथ ही हिरासत में लिए 70 अन्य लोगों की भी इसी तरह छानबीन की जा रही है। डिजिटल मीडिया पर यह लोग कौन-कौन सी वेबसाइटों पर सक्रिय थे। फेसबुक के अलावा इंटरनेट मीडिया के कौन-कौन से माध्यमों का इस्तेमाल कर रहे थे। इनके बैंक खातों में बीते दो सालों में कितनी धनराशि कहां-कहां से भेजी गई थी।
इन्होंने कितनी धनराशि कहां-कहां पर किसको स्थानांतरित की है इसकी भी जांच की जा रही है। युवाओं का ब्रेन वॉश करने के बाद उन्हें कार्यशालाओं में शामिल किया जाता था। उससे पहले उनकी गतिविधियों पर सक्रिय सदस्यों की तरफ से नजर रखी जाती थी।
रविवार को की गई छापेमारी के बारे में एटीएस के मुखिया एडीजी नवीन अरोड़ा ने कहा कि केन्द्रीय व राज्य की एजेंसियां आरोपितों से पूछताछ कर रही हैं। इनके बैंक खातों से लेकर इंटरनेट मीडिया पर बने इनके खातों की भी जांच की जा रही है। काफी जानकारियां मिली हैं
नोएडा, सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद, कानपुर, लखनऊ, बहराइच, गोरखपुर, वाराणसी व आजमगढ़ की एटीएस की टीमों ने अभियान चलाया था।