यूपी में मौसम की मार और कर्ज के बोझ से परेशान दो किसानों ने फांसी लगाकर दी जान

किसानों की आत्महत्या के मामलों में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है। इन आत्महत्याओं के पीछे कई कारण हैं जिनमे प्रमुख है अनियमित मौसम की स्थिति, ऋण बोझ, परिवार के मुद्दों तथा समय-समय पर सरकारी नीतियों में बदलाव। इसके मुख्य कारण मौसम की स्थिति, उच्च ऋण, स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों, व्यक्तिगत समस्याएं, सरकारी नीतियों आदि में बढ़ती असमानता हैं। ज्यादातर किसान परिवार के एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति होते हैं। उन्हें परिवार की मांगों और जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए लगातार दबाव का सामना करना पड़ता है।
 

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ, 30 मई:- यह बहुत दुख की बात है लेकिन यह सच है कि किसानों की आत्महत्या के मामलों में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है। इन आत्महत्याओं के पीछे कई कारण हैं जिनमे प्रमुख है अनियमित मौसम की स्थिति, ऋण बोझ, परिवार के मुद्दों तथा समय-समय पर सरकारी नीतियों में बदलाव। इसके मुख्य कारण मौसम की स्थिति, उच्च ऋण, स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों, व्यक्तिगत समस्याएं, सरकारी नीतियों आदि में बढ़ती असमानता हैं। ज्यादातर किसान परिवार के एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति होते हैं। उन्हें परिवार की मांगों और जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए लगातार दबाव का सामना करना पड़ता है और उसे पूरा करने में असफल होने की वजह से अक्सर तनाव में रहने वाला किसान आत्महत्या का कदम उठा लेता है। भारत में किसान आत्महत्या के मामलों की बढ़ती संख्या के लिए ज़िम्मेदार अन्य कारकों में कम उत्पादन की कीमतें, सरकारी नीतियों में बदलाव, खराब सिंचाई सुविधाएं और शराब की लत शामिल है।

यूपी के दो किसानों ने आत्महत्या

पहला मामला- उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से एक किसान की फसल बर्बाद हो गई। ऐसे में किसान फसल नुकसान का सहन नहीं कर पाया और उसने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली, इस घटना से पूरे गांव में सनसनी फैल गई है। परिजनों का रो- रोकर बुरा हाल हो गया है। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है। जबकि, शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। सकीट थाना क्षेत्र के कुंजपुर गांव है, मृतक की पहचान 35 वर्षीय असवेंद्र के रूप में हुई है। वह खेती बारी का काम करता था, कहा जा रहा है कि बारिश और ओलावृष्टि से उसके गेहूं के गट्ठर सड़ गए थे। उससे बहुत अधिक आर्थिक नुकसान हुआ, जिसे वह बर्दाशत नहीं कर पाया और फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों का कहना है कि उसे अपनी आजीविका को लेकर चिंता में था, यही वजह है कि उसने अपनी जिन्दगी समाप्त कर ली।

दूसरा मामला- वहीं, लखनऊ के रहीमाबाद में भी एक किसान ने फसल के नुकसान पहुंचने पर खुदकुशी कर ली। मृतक की पहचान सुशील सिंह उर्फ अन्ना के रूप में हुई है, उसने बैंक से 8 लाख रुपये लोन लेकर आम की खेती शुरू की थी। खास बात यह है कि किसान के अपने आम के बाग नहीं थे, उसने लीज पर बाग लेकर खेती शुरू की थी। उसे उम्मीद थी कि बंपर पैदावार होगी, जिससे वह अच्छी कमाई करेगा। लेकिन, अचानक आई आंधी की वजह से पेड़ पर लगे सभी कच्चे आम गिर गए, ऐसे में सुशील सिंह फसल नुकसान को बर्दाशत नहीं कर पाया और पंखे से लट कर जान दे दी।