साहित्यिक,सामाजिक एवं आध्यात्मिक प्रेरणा के संवाहक वरिष्ठ साहित्यकार स्व.चन्द्रमणि पांडेय 'चन्द्र' की जयंती मनाई गई।

इस अवसर पर 'सत्प्रेरणा' कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसकी शुरुआत माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन के द्वारा की गई।
 

साहित्यिक,सामाजिक एवं आध्यात्मिक प्रेरणा के संवाहक वरिष्ठ साहित्यकार स्व.चन्द्रमणि पांडेय 'चन्द्र' की जयंती मनाई गई।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय 
राज्य संवाददाता 
ग्लोबल भारत न्यूज 

प्रतापगढ़, 17 सितम्बर।

इस अवसर पर 'सत्प्रेरणा' कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसकी शुरुआत माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन के द्वारा की गई।

मुख्य अतिथि सदर विधायक राजेंद्र कुमार मौर्य ने स्व.चंद्रमणि जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि वह समाज में एक आदर्श व्यक्तित्व थे। 

उन्होंने हिंदी साहित्य की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ-साथ अध्यात्म के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किया| 

वरिष्ठ भाजपा नेता व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आलोक कुमार पाण्डेय ने कहा कि स्व.चंद्रमणि पाण्डेय का व्यक्तित्व विराट था। समाज और राष्ट्र से संबंधित ज्वलंत विषय पर अनेक रचनाएं उन्होंने लिखी| 

उन्होंने कहा कि सरलता और सहजता की प्रतिमूर्ति चंद्रमणि  पांडेय का पूरा जीवन प्रेरणादायी है और यह  कार्यक्रम  हम सबके लिए संकल्प दिवस है कि हम समाज को सत्य के मार्ग पर ले चलें और यशस्वी राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दें|  यह जयंती समारोह आने वाले वर्षों में अनवरत चलता रहेगा। 

काव्य गोष्ठी का शुभारंभ बच्चा बाबू की वाणी वंदना से हुआ । वरिष्ठ साहित्यकार सुनील प्रभाकर ने अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि चंद्रमणि पांडेय जी हमेशा सभी को उत्साहित करने का कार्य करते थे| 

शीतला प्रसाद सुजान ने सुनाया - 'चलती रहेगी दुनिया बदलते रहेंगे चेहरे, कल और होगा कोई जहां हम हैं आज ठहरे। 

जौनपुर से आये निर्मल नदीम ने जो लोग तेरे इश्क़ के बीमार नहीं हैं, दुनिया मे जीने के भी हकदार नहीं हैं। 

युवा साहित्यकार सर्वेश सिंह ने मेरे सारे संघर्षों की जान बाबू जी, मैं जो सर उठाकर चलता हूँ वो शान बाबू जी। मेरा पैन,मेरा आधार बाबू जी। पढ़कर वाहवाही लूटी। 

इं.चंद्रकांत तिवारी शाश्वत ने लिख रहा हूँ मैं एहसास की पंक्तियां, जब तलक तात हैं कर ले हैं मस्तियां पढ़कर तालियां बटोरी। 

राज नरायण शुक्ल 'राजन' की रचना "आप मंदिर में जाएं जरूरी नहीं, फूल माला चढ़ाएं जरूरी नहीं। अपने माता - पिता, गुरु की सेवा करें, रोज गंगा नहाएं जरूरी नहीं"...ने खूब वाहवाही लूटी। 

डॉ.अनुज नागेंद्र ने पढ़ा "सूरते दुनिया निखरती जा रही है, हां मगर तहजीब घटती जा रही है"।

सुरेश सम्भव ने लोक परंपरा से जुड़ी रचना पढ़ी।

समारोह में समाज में विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान देने वाले लोगों व नारी शक्ति को सम्मानित किया गया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता सुखदेव तिवारी व संचालन अनूप अनुपम ने किया। 

आयोजक डॉ. सौरभ पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। 

भाजपा जिला अध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव, भाजपा नेता दिनेश गुप्ता, भाजपा नेता सिंधुजा मिश्रा, भाजपा नेता डॉक्टर राकेश सिंह ने भी विचार व्यक्त करते हुए अपने विचार रखें| 

इस अवसर पर प्रो.बृजभानु सिंह, डॉ. चेत प्रकाश पाण्डेय, पूर्व मंत्री अवधेश मिश्र, शिवशंकर सिंह, राजेश सिंह, शरद केसरवानी, संजीव आहूजा, पूर्व महामंत्री जूबाए त्रिपाठी, डा.सुधांशु उपाध्याय, डा.कामायनी उपाध्याय, शिशिर खरे,  गिरजा शंकर मिश्रा, सूर्यकांत निराला, डॉक्टर दीप्ति पांडेय, रेनू पांडेय, अनामिका उपाध्याय, पिंकी दयाल, प्रिया त्रिपाठी, मनोज सिंह, अजय पांडेय, योगेश शर्मा, रघुवीर प्रसाद उपाध्याय, विनोद कुमार द्विवेदी, संजय तिवारी, डॉ संतोष शुक्ला, राजेश मिश्र, सुरेंद्र प्रसाद पांडेय, राजेश जायसवाल, गोविंद खंडेलवाल, अश्विनी केशरवानी, उदय भान सिंह, समाजशेखर, आलोक आजाद, नितेश खंडेलवाल आदि मौजूद रहे।