पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद ही होगा हत्यारे आफताब का नार्को टेस्ट, क्या है पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट

अपने इस खौफनाक वारदात के लिए उसने बाकायदा एक रफ नोट बनाया था। इसमें कितने टुकड़े कहां ठिकाने लगाए, इसकी पूरी जानकारी वह रफ नोट पर लिखता था। दरअसल आफताब और श्रद्धा के छतरपुर फ्लैट से पुलिस को रफ साइट प्लान मिला है, इसी के आधार पर पुलिस बाकी बचे बॉडीपार्ट्स के लिए सर्च कर रही है। इसी रफ़ साइट प्लान के जरिये 150 से ज्यादा पुलिसकर्मी जंगल का चप्पा-चप्पा छान रहे हैं। वहीं इस रफ साइट नोट का जिक्र दिल्ली पुलिस ने अपनी रिमांड एप्लिकेशन में भी किया था।
 
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हत्यारे आफताब ने श्रद्धा की लाश के टुकड़ों का हिसाब-किताब और कहां ठिकाने लगाना है इसके लिए बाकायदा एक रफ नोट बनाया था।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

क्राइम, 24 नवंबर:- दिल्ली के महरौली में लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर हत्याकांड के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का पॉलीग्राफ टेस्ट का दूसरा और लास्ट सेशन बुधवार को नहीं हुआ, बताया जा रहा है कि आफताब को तेज फीवर था, जिसके चलते टेस्ट को टाल दिया गया। फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो गुरुवार को आफताब का टेस्ट हो सकता है। इसके बाद ही नार्को टेस्ट किए जाने की संभावना है। आपको बता दें कि बीते मंगलवार शाम यानी 22 नवंबर को अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर की हत्या के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का पहला पॉलीग्राफ टेस्ट किया गया था। दिन में शहर की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस को इसकी अनुमति दी थी। वहीं, जांचकर्ताओं को उस फ्लैट में खून के धब्बे मिले, जहां श्रद्धा और पूनावाला रहते थे, साथ ही पुलिस को अन्य साक्ष्य भी हाथ लगे थे। वही सूत्रों ने कहा कि पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए एक प्रश्नावली तैयार की गई है, ताकि इस जघन्य हत्याकांड में घटनाओं के क्रम का पता लगाया जा सके। पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद पुलिस के नार्को टेस्ट कराने की संभावना है, जिसकी अनुमति अदालत ने पिछले सप्ताह दी थी।

अभी मृतका के अंगों की है तलाश- पुलिस को वालकर का कटा हुआ सिर और शरीर के अन्य अंग नहीं मिले हैं। हालांकि, पुलिस को हत्या में इस्तेमाल हथियार सहित महत्वपूर्ण सबूतों के लिए सुराग मिलने की उम्मीद है, मामले में लगातार दिल्ली पुलिस की टीम आफताब से पूछताछ में जुटी हुई है। दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी महरौली थाने में पहुंचकर आफताब से लगातार इस मामले में पूछताछ कर रहे है।

क्या है पॉलीग्राफ टेस्ट- पॉलीग्राफ एक मशीन है जिसका प्रयोग झूठ पकड़ने के लिए होता है। ज्यादातर इसका उयपोग किसी अपराधी से सच बोलवाने के लिए किया जाता है। पॉलीग्राफ टेस्ट मशीन का नाम झूठ पकड़ने वाली मशीन और लाई डिटेक्टर भी कहते है। जॉन अगस्तस लार्सन ने इसकी खोज 1921 ई में की थी। भारत में पॉलीग्राफ परीक्षण का प्रयोग किसी के ऊपर करने से पहले कोर्ट से अनुमति प्राप्त करना जरूरी है। देश में इसका सफल प्रयोग कई लोगों पर किया जा चुका है। ‌‌‌परन्तु कुछ व्यक्ति इससे भी चालाकी करने में कामयाब हुए है। पॉलिग्राफ टेस्ट से यह भी पता लग जाता है कि व्यक्ति झूठ बोल रहा है या सच बोल रहा है, इस तरह की कई चीजों को परखा जाता है। जैसे व्यक्ति कि हर्ट रेट, ब्लड प्रेसर आदि से अनुमान लगाया जाता है।

कैसे होता है पॉलीग्राफ टेस्ट- पॉलीग्राफ टेस्ट के समय झूठ का पता लगाने के लिए मशीन को व्यक्ति की बॉडी से जोड़ दिया जाता है। फिर उसके हर्ट रेट, ब्लर्ड प्रेसर और दिमाग सिग्नल पर फोकस किया जाता है। फिर परीक्षण में एक प्रश्नकर्ता उस व्यक्ति से कुछ पहले कुछ सामान्य प्रश्न पूछता है फिर उसके बाद विषय से संबंधित प्रश्नों को पूंछता है। इस प्रक्रिया के दौरान यदि व्यक्ति झूठ बोलता है तो उसके दिमाग से एक सिग्नल P300 (P3) निकलता है। और उसके हर्ट रेट व ब्लर्ड प्रेसर बढ़ जाता है। जिसे ‌‌‌कम्प्यूटर में सेव यानि कि फीड कर लिया जाता है अर्थात मेजर कर लिया जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि व्यक्ति अपराधी नहीं है और फिर भी वह अपराध के विषय मे कुछ जानता है तो ऐसी परिस्थिति में भी उसके दिमाग से विशेष सिग्नल निकलेगा। जिससे प्रश्न कर्ता समझ जाएगा कि वह कुछ इसके बारे में जानता है। लेकिन यदि ‌‌‌व्यक्ति को अपराध के बारे मे कुछ नहीं पता है तो उसके दिमाग से विशेष प्रकार का सिग्नल नहीं निकलेगा।

क्या है नार्को टेस्ट- नार्को टेस्ट एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके ज़रिए इंसान को ट्रूथ सीरम दिया जाता है। मतलब एक खास तरह का इंजेक्शन दिया जाता है, जिसमें इंसान अपनी सोचने की प्रक्रिया को खत्म कर लेता है। वो बिल्कुल शून्य हो जाता है। हालांकि, इस सीरम के कई साइड इफेक्ट्स भी होते हैं, इसे देने के लिए एक्सपर्ट की टीम और डॉक्टर्स की टीम की मौजूदगी अनिवार्य है। कमजोर या मानसिक रूप से कमजोर लोगों को ये टेस्ट नहीं किया जाता है, सीरम लगने के बाद शख्स से सवाल किया जाता है। उसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी होती है। दरअसल, कई बार अपराधी, अपराध कर मुकर जाते हैं। ऐसे में पुलिस या जांच एजेंसियां नार्को टेस्ट करवाती है। ताकि अपराधी कोर्ट को गुमराह ना कर सके और लोगों को सच्चाई पता चल जाए, नार्को टेस्ट एक तरह का एनेस्थीसिया होता है जिसमें आरोपी न पूरी तरह होश में होता है और ना ही बेहोश होता है। नार्को टेस्ट के लिए कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। भारत में हाल के कुछ वर्षों से ही ये परीक्षण आरंभ हुए हैं, किन्तु बहुत से विकसित देशों में वर्ष 1922 में मुख्यधारा का भाग बन गए थे, जब राबर्ट हाउस नामक टेक्सास के डॉक्टर ने स्कोपोलामिन नामक ड्रग का दो कैदियों पर प्रयोग किया था।

आफताब श्रद्धा की लाश के टुकड़ों का रखता था हिसाब-किताब- आफताब श्रद्धा की लाश के टुकड़ों का हिसाब-किताब भी रखता था, अपने इस खौफनाक वारदात के लिए उसने बाकायदा एक रफ नोट बनाया था। इसमें कितने टुकड़े कहां ठिकाने लगाए, इसकी पूरी जानकारी वह रफ नोट पर लिखता था। दरअसल आफताब और श्रद्धा के छतरपुर फ्लैट से पुलिस को रफ साइट प्लान मिला है, इसी के आधार पर पुलिस बाकी बचे बॉडीपार्ट्स के लिए सर्च कर रही है। इसी रफ़ साइट प्लान के जरिये 150 से ज्यादा पुलिसकर्मी जंगल का चप्पा-चप्पा छान रहे हैं। वहीं इस रफ साइट नोट का जिक्र दिल्ली पुलिस ने अपनी रिमांड एप्लिकेशन में भी किया था। इसके अलावा पुलिस ने क्राइम स्पॉट यानी आफताब के घर से पुलिस ने एक साइट प्लान (नक्शा) भी रिकवर किया है, पुलिस का कहना है कि इससे श्रद्धा के केस में इन्वेस्टिगेशन और सर्च में मदद मिल सकती है।

मृतका का जबड़ा जंगल से मिला- आफताब ने जहां-जहां श्रद्धा के शव के टुकड़े ठिकाने लगाए, उन जगहों के बारे में घर के अंदर एक कच्चा नक्शा भी तैयार करके रखा था, जिससे आगे सर्च में मदद मिल सकती है। साथ में आफताब को रिमांड पर लेने के लिए दिल्ली पुलिस ने अदालत में जो अहम दलीले दीं। दिल्ली पुलिस से मंगलवार को साकेत कोर्ट में बताया था की श्रद्धा के शव के कई हिस्से आरोपी आफताब के डिस्क्लोजर/निशानदेही पर जंगल से रिकवर किए जा चुके हैं। दिल्ली पुलिस ने बताया कि श्रद्धा का जबड़ा बीती 20 नवंबर को जंगल से आफताब की निशानदेही पर ही रिकवर किया गया, पुलिस ने यह भी कहा कि मौका-ए-वारदात पर सीएफएसएल की टीम को भी निरीक्षण करने के लिए बुलाया गया था।