5 वर्षीय मासूम से 7 वर्ष के बालक ने किया दुष्कर्म, लेकिन पुलिस आरोपी को नही कर सकती गिरफ्तार

पुलिस ने बताया तो पूरे मामले की विवेचना के बाद बालक को परिजन की उपस्थिति में थाने बुलाया जाएगा और पेश करने वाले थाने पर तैनात पुलिस कर्मी को ही वाल कल्याण अधिकारी नियुक्त कर सिविल ड्रेस में ले जाकर जे.जे.बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा और उस बालक का आरोपी या अभियुक्त जैसे शब्दो से भी नही बुलाया जा सकता उसको जब तक वाल अपचारी नाम से बुलाया जा सकता है।
 
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ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

क्राइम, 21 सितंबर:- महिलाओं और बच्चियों को लेकर बढ़ते अपराध पर सरकार ने कई अहम कदम उठाए और अपराध पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस कठोर से कठोर कार्यवाही कर रही है, लेकिन कानपुर देहात में एक ऐसा मामला सामने आया है कि पुलिस अपराध करने वाले के ऊपर कार्यवाही नही कर पा रही है और कानूनी दावपेंच में उलझ गई है, जिले के अकबरपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव में 5 साल की मासूम बच्ची के साथ 7 साल से कम उम्र के लड़के ने बलात्कार जैसे संगीन घटना को अंजाम दे दिया तो वहीं पुलिस से हुई शिकायत के बाद पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी तो वही पुलिस को जब घटना करने वाले आरोपी का पता चला तो पुलिस अधिकारी दंग रह गए और अब पुलिस कानूनी राय लेकर कर कार्यवाही करने की बात कह रही है।

क्या है मामला- दरअसल कानपुर देहात के कोतवाली अकबरपुर क्षेत्र के एक गांव के रहने वाली अनामिका देवी (काल्पनिक नाम) ने दिनांक 16/09/23 को शाम को पुलिस से प्रार्थना पत्र देते हुए शिकायत दर्ज कराई कि घर के पास रहने वाले 7 साल से कम उम्र के गुड्डू (काल्पनिक नाम) ने उनकी 5 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म किया है, अनामिका देवी के मुताबिक घर के बाहर उनकी 5 वर्षीय बच्ची खेल रही थी तभी घर के पास का रहने वाला 7 वर्षीय गुड्डू उनकी बच्ची को खेलने के बहाने अपने घर ले गया उस समय उसके घर मे कोई नही था। उसके साथ गलत काम किया जब बच्ची रोते हुए घर पहुँची तो परिजन पूछने लगे तो कपड़ो में लगे खून दाग देख सब डर गए तो घर के लोगो जब बच्ची से पूछा तब बच्ची ने आपबीती सुनाई तो उसने बताया कि गुड्डू ने उनके साथ गलत काम किया है। जिसके बाद बच्ची की हालत को देखते हुए अनामिका देवी ने पूरे मामले पर पुलिस से शिकायत की जिसके बाद पुलिस मुकदमा दर्ज कर आनन फानन में बच्ची को मेडिकल परीक्षण के लिए जिलाअस्पताल भेज दिया, लेकिन पुलिस ने आरोपी की अभी तक गिरफ्तारी नही की है, तो वही आरोपी की गिरफ्तारी पुलिस के लिए गुत्थी बनती जा रही है।

आखिर पुलिस क्यो नही कर पा रही गिरफ्तार- घटना की जांच कर रहे अकबरपुर कोतवाल सतीश सिंह ने बताया कि एक गांव में 5 वर्षीय बच्ची के साथ 7 साल से कम उम्र के लड़के द्वारा दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया है जिसकी शिकायत के बाद मुकदमा संख्या 395/2023 धारा 376A 376B 4/5 पास्को ACT के तहत पंजीकृत कर जांच की जा रही है। आरोपी की गिरफ्तारी न होने की वजह ये है IPC83 के तहत 7 वर्ष से लेकर 12 वर्ष के बालक द्वारा किया गया कोई कृत अपराध की श्रेणी में नही आता है परंतु शिशु (बालक) के अपरिवक्य समझ के कारण कोई बात अपराध नही है। परन्तु अपराध की गंभीरता को देखते हुए बालक का में मेन्यूटी लेवल (मेन्टल स्टेटस) की जांच कराई जाती है कि उसके द्वारा किस तरह का अपराध किया गया है और बालक द्वारा घटना को कारित करने के प्रति उसकी क्या सोच थी, लेकिन इस घटना को कारित करने वाले 7 साल से कम उम्र के बच्चे को IPC धारा 82 के तहत गिरफ्तार नही किया जा सकता है, भारतीय दंड संहिता IPC धारा 82 में 7 साल से कम उम्र के बच्चे द्वारा कारित किया गया अपराध को अपराध नही माना जा सकता है क्यो की बालक की उम्र 7 साल से कम है, जिसके चलते बालक को परिजनों के उपस्थित में थाने बुलाया गया था। पूछताछ कर वापस घर वालो को सुपुर्द कर दिया है जांच कर बाद बालक को जे.जे.बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा और जुविनाइल जस्टिस ही अंतिम निर्णय लेंगे।

आखिर क्या है भारतीय दंड संहिता IPC की धारा 82 और 83- धारा 82 सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य, कोई बात अपराध नहीं है, जो सात वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की जाती है। IPC Section 82 की, जो कहती है, अगर बच्चे की उम्र सात साल से कम है, और वह कोई अपराध कर देता है। तब उस बच्चे को क्या सजा होगी? मान के चलिए, एक पांच साल बच्चा है, उसने गलती से किसी को चाकू मार दिया या किसी को डंडा मार दिया या किसी की आंख फोड़ दी। अगर इस उम्र का बच्चा कोई अपराध कर देता है, चाहे वो दो साल का बच्चा है, चाहे वो तीन साल का बच्चा है, चाहे वो चार साल का बच्चा है, चाहे वो पांच साल का बच्चा है, चाहे वो छह साल का बच्चा है, चाहे उसकी उम्र सात साल की होने वाली है। अगर वह कोई अपराध कर देता है। तो उसको कोई भी सजा नहीं होगी। क्योंकि उसकी उम्र सात साल से कम है। 

82 का उदहारण- मान के चलिए, एक छह साल का बच्चा है, वो पड़ोस के घर में खेलते हुए गोल्ड की चैन उठा लाया। उस घर में कैमरे लगे हुए थे। पड़ोसी ने वो कैमरे में देख लिया और उस बच्चे पर चोरी का आरोप लगा दिया। ऐसे में बच्चे को चोरी के मामले में सजा नहीं मिलेगी भले ही पडोसी सबूत दिखाए। क्योंकि बच्चे की उम्र सात साल से कम है। उसको IPC Section 82 का फायदा मिलेगा।

धारा 83- सात वर्ष से ऊपर किंतु बारह वर्ष से कम आयु के अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य, कोई बात अपराध नहीं है, जो सात वर्ष से ऊपर और बारह वर्ष से कम आयु के ऐसे शिशु द्वारा की जाती है जिसकी समझ इतनी परिपक्व नहीं हुई है कि वह उस अवसर पर अपने आचरण की प्रकृति और परिणामों का निर्णय कर सके। IPC की धारा 83 जो बात करती है, वह सात से बारह साल की आयु के बच्चों की बात करती है। यानी के ऐसे बच्चे जिनकी आयु सात वर्ष से ऊपर और बारह वर्ष से कम है। अगर इस उम्र के बच्चे कोई अपराध करते है, तो उनको सज़ा नहीं मिलेगी। क्योंकि उनके पास maturity नहीं है। अभी भी उनका दिमाग सही से डेवलप नहीं हुआ है। अभी उनकी मानसिक स्थिति पूरी तरीके से विकसित नहीं हुई है। इस स्थिति में उनको पूरी की पूरी अपराधी दायित्व से मुक्ति मिलेगी। किंतु यदि उनमे maturity level acquire हो गया है। अब यह maturity level acquire का पता लगाना बड़ा ही टेड़ा काम होता है। जो जज बच्चों के मामले को देखते हैं, उनके लिए भी बड़ा मुश्किल काम होता है, ये पता लगाना की बच्चे का maturity level acquire हो गया है, या नहीं।

83 का उदाहरण- मान के चलिए एक बच्चे ने किसी के घर से सोने की रिंग चोरी की जिसकी बाजार में कीमत सात हज़ार है। उस बच्चे की आयु 9 वर्ष है। उस बच्चे ने वो रिंग दो हज़ार में बेच दी। ठीक वैसे ही किसी दूसरे बच्चे ने भी चोरी की उसकी आयु 10 वर्ष है। उसने भी इतने ही कीमत की रिंग चोरी की और उस रिंग को उसने किसी दुकानदार को बीस रुपए की टॉफ़ी या चॉकलेट में दे दी। अब यहां पर दोनों बच्चों में से 9 साल वाले बच्चे की maturity अधिक है, क्योंकि उसको पता था, कि रिंग महंगी है, इसलिए उसने वो रिंग दो हज़ार में बेची। और दूसरा बच्चा जो 10 वर्ष का था। वो रिंग बीस रुपए की टॉफ़ी या चॉकलेट में किसी को दे आया। और बीस रुपए की टॉफ़ी या चॉकलेट लेकर ही खुश हो गया। अब यहां पर आपको समझ में आ गया होगा, की किसका maturity level अभी भी नहीं हुआ है। ऐसे में 10 साल वाले बच्चे को छूट मिल जाएगी। लेकिन 9 साल वाले बच्चे को छूट नहीं मिलेगी।

कैसे किया जाएगा बालक को पेश- पुलिस ने बताया तो पूरे मामले की विवेचना के बाद बालक को परिजन की उपस्थिति में थाने बुलाया जाएगा और पेश करने वाले थाने पर तैनात पुलिस कर्मी को ही वाल कल्याण अधिकारी नियुक्त कर सिविल ड्रेस में ले जाकर जे.जे.बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा और उस बालक का आरोपी या अभियुक्त जैसे शब्दो से भी नही बुलाया जा सकता उसको जब तक वाल अपचारी नाम से बुलाया जा सकता है।