पेयजल योजना में 20 करोड़ की धांधली सामने आने पर मुख्यमंत्री द्वारा एफआईआर दर्ज करने का निर्देश।

बसपा शासनकाल में पेयजल योजना में हुई 20.43 करोड़ रुपये से अधिक की धांधली के मामले में अब दोषी अफसरों पर कानूनी शिकंजा कसेगा।
 
पेयजल योजना में 20 करोड़ की धांधली सामने आने पर मुख्यमंत्री द्वारा एफआईआर दर्ज करने का निर्देश।

डा. एस. के. पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 23 दिसम्बर।
ईओडब्ल्यू की जांच में पेयजल योजना में 20 करोड़ की धांधली सामने आने पर मुख्यमंत्री ने एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।

यूपी में जल निगम भर्ती घोटाले के बाद अब इस विभाग में हुई एक और धांधली सामने आई है।

बसपा शासनकाल में पेयजल योजना में हुई 20.43 करोड़ रुपये से अधिक की धांधली के मामले में अब दोषी अफसरों पर कानूनी शिकंजा कसेगा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आर्थिक अनियमितता के एक और बड़े मामले में एफआईआर दर्ज कर दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है। जल निगम भर्ती घोटाले के बाद अब इस विभाग में हुई एक और धांधली सामने आई है।

यूपी सरकार के निर्देश पर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) ने चित्रकूट के मऊ व बरगढ़ पेयजल योजना में हुई करोड़ों की अनियमितता के मामले में जल निगम के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता आरके वाजपेयी, एके सिंह, आरके त्रिपाठी, गिरीश चंद्र व एमसी श्रीवास्तव समेत 22 आरोपितों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की है।

यह एफआईआर ईओडब्ल्यू के लखनऊ सेक्टर के थाने में दर्ज कर विवेचना शुरू की गई है।

वर्ष 2010-11 व वर्ष 2011-12 में संचालित योजना का काम समय से पूरा नहीं किया गया था और उसमें धांधली की गई थी। शासन ने पूर्व में इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी थी। जांच में अनियमितता के साक्ष्य मिलने के बाद प्रकरण में एफआईआर दर्ज किए जाने की सिफारिश की गई थी, जिसे शासन ने मंजूरी दे दी।

डीजी ईओडब्ल्यू डॉ.आरपी सिंह ने बताया कि प्रकरण की जांच में सामने आया कि निर्माण कार्य में जल निगम की निर्माण एवं विद्युत यांत्रिक इकाई के साथ उप्र पावर कारपोरेशन के तत्कालीन अधिकारियों ने निर्माण कार्य में कोई रुचि नहीं ली थी।

अनुबंधित फर्म मैसर्स जिंदल वाटर इंफ्रा इस्ट्रक्चर लिमिटेड व ठेकेदार नरेंद्र कुमार गुप्ता को धनराशि का भुगतान कर कार्य कराने में अधिकारियों व फर्म ने कोई रुचि नहीं ली। बिना वाटर की सप्लाई हुए ही बड़ी संख्या में वाटर मीटर की खरीद की गई। जांच में प्रथम दृष्टया 20,43,91,616 रुपये की शासकीय धनराशि के गबन की बात सामने आई है।

ईओडब्ल्यू ने मामले में आरोपित जल निगम के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता आरके वाजपेयी, एके सिंह, आरके त्रिपाठी, गिरीश चंद्र व एमसी श्रीवास्तव, जल निगम अस्थायी निर्माण इकाई के प्रोजेक्ट मैनेजर विनय पाल सिंह, आशाराम आर्या, राम बिहारी, सहायक अभियंता एके भारतीय, बीबी निरंजन, जल निगम विद्युत यांत्रिक बांदा के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता एके अवस्थी, ओपी पांडेय, पीएन श्रीवास्तव, एसपी सिंह, जल निगम विद्युत यांत्रिक के तत्कालीन चित्रकूट के तत्कालीन अभियंता जेपी सिंह, सहायक अभियंता यशवीर सिंह, डीके सिंह, उप्र पावर कारपोरेशन के तत्कालीन अधिशाषी अभियंता अंकुर यादव, राजमणि विश्वकर्मा, जिंदल वाटर इंफ्रा इस्ट्रक्चर लिमिटेड के मुख्य अधिशाषी अधिकारी ऋषभ सेट्ठी, दिल्ली निवासी प्रबंध निदेशक ज्ञान बंसल व ठेकेदार चित्रकूट निवासी नरेंद्र कुमार गुप्ता के विरुद्ध गबन, षड्यंत्र व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

चित्रकूट में घर-घर पानी पहुंचाने की इस महत्वाकांक्षी योजना को दो साल में पूरा किया जाना था, लेकिन अफसरों के भ्रष्टाचार व अनदेखी के चलते परियोजना का काम आठ वर्षों तक अटका रहा। शासन ने इस प्रकरण की जांच जुलाई 2019 में ईओडब्ल्यू को सौंपी थी।

निरीक्षक सुजीत कुमार राय ने कई बार चित्रकूट जाकर मौके पर जांच की और जांच के दायरे में आए अधिकारियों व कर्मियों के बयान लिए। लंबी जांच के बाद करोड़ों का घपला सामने आया। यह भी सामने आया कि कम समय में जो काम कम लागत में पूरा हो जाना चाहिए था, अधिकारी उसे लटकाए रहे। बताया गया कि दो माह पूर्व ही परियोजना का काम पूरा हुआ है।