प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फ्रॉड कंपनियों और उनके निदेशकों की परिसंपत्तियां जब्त करने की तैयारी शुरू कर दी।

पुलिस की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा को भी आर्थिक अपराध के मामलों गिरफ्तार कर जेल भेजने और सजा दिलाने का अधिकार, है लेकिन संपत्तियां जब्त करने का अधिकार नहीं है।
 
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फ्रॉड कंपनियों और उनके निदेशकों की परिसंपत्तियां जब्त करने की तैयारी शुरू कर दी।

डा. एस. के. पाण्डेय
विशेष संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 21 मार्च।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा लेकर भाग जाने वाली फ्रॉड कंपनियों और उनके निदेशकों की परिसंपत्तियां जब्त करने की तैयारी शुरू कर दी है। फिलहाल ऐसी चार कंपनियां उसके निशाने पर हैं।

पिछले दो महीने में ईडी ने इन सभी चार कंपनियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग की जांच शुरू की है। ईडी ने मेसर्स शाइन सिटी इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड की कुल परिसंत्तियों के साथ ही उसके प्रबंध निदेशकों एवं प्रमुख अधिकारियों की निजी संपत्तियों का ब्योरा भी जुटाया है।

निवेशकों के साथ हुई ठगी से संबंधित पूरी रकम एक हजार करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। कंपनी के निदेशकों एवं अधिकारियों के विरुद्ध लखनऊ व प्रयागराज जिले में 226 मुकदमे दर्ज हैं।

मुकदमों में कंपनी के कई अधिकारियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। एमडी राशिद नसीम के बारे में बारे में बताया जाता है कि वह दुबई में है। पता चला है कि सस्ते दामों पर भूखंड देने के नाम पर ठगी करने के अलावा कंपनी ने सस्ते दरों में लक्जरी गाड़ियां उपलब्ध कराने और वर्चुअल करेंसी (बिटक्वाइन) के नाम पर भी निवेशकों को झांसा दिया है। लगभग 36.54 करोड़ रुपये अवैध तरीके से देश से बाहर भेजने का मामला भी ईडी की जांच में शामिल है।

मेसर्स आर. संस इंफ्रालैंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ पीएमएलए के तहत मुकदमे की जांच भी तेजी से चल रही है। इस कंपनी के दो निदेशकों आशीष श्रीवास्तव व अंकुर श्रीवास्तव समेत अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा सैकड़ों करोड़ों रुपये की ठगी किए जाने का आरोप है। ईडी को पता चला कि कंपनी ने झांसा देकर लगभग 600 ग्राहकों से 24 करोड़ रुपये जुटाए हैं। अब कंपनी व उसके निदेशकों की चल-अचल संपत्तियों की पहचान की जा रही है।

इसी प्रकार ईडी ने आगरा की रियल एस्टेट कंपनी मेसर्स कल्पतरु बिल्डटेक के निदेशकों जय किशन राणा, अशोक राणा, मंजीत कुमार, बिपिन सिंह यादव, राजकुमार यादव और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया। अब इनकी चल-अचल संपत्तियां को चिह्नित कर जब्त किया जाएगा। कंपनी ने मथुरा में एक आवासीय फ्लैट परिसर के निर्माण के नाम पर निवेशकों के 7.39 करोड़ रुपये हड़प लिए हैं।

इसी तरह पोंजी स्कीम के जरिए निवेशकों से करोड़ों की ठगी करने वाली मेसर्स गैब ग्राम विकास क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी और उसके सचिव गिरीश शर्मा भी ईडी के रडार पर हैं। इस सोसाइटी ने भी निवेशकों से भारी जमा स्वीकार करके करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) को भी आर्थिक अपराध के मामलों गिरफ्तार कर जेल भेजने और कोर्ट से सजा दिलाने का अधिकार, है लेकिन संपत्तियां जब्त करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकारी ईडी के ही पास है।