बीमा में बोनस देने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड लखनऊ में एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार।

आरोपी पेशे से वकील है, जो इस गिरोह के पहले पकड़े जा चुके 10 जालसाजों की पैरवी भी करता था। पुलिस ने उसे जेल भेज दिया है।
बीमा में बोनस देने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड लखनऊ में एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार।

डा. एस. के. पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 4 फरवरी।
लखनऊ में एसटीएफ की साइबर टीम ने बीमा में बोनस देने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया।

पकड़ा गया आरोपी पेशे से वकील है जो इस गिरोह के पहले पकड़े जा चुके 10 जालसाजों की पैरवी भी करता था। पुलिस ने उसे जेल भेज दिया है।

एसटीएफ प्रभारी एसएसपी अनिल कुमार सिसोदिया ने ठगी के गिरोह के मास्टरमाइंड रामेंद्र मिश्रा को गिरफ्तार करने के लिए टीम बनाई थी।

टीम ने मंगलवार को जालसाज रामेंद्र मिश्रा को पॉलीटेक्निक चौराहे से दबोच लिया। उससे पूछताछ में सामने आया कि गिरोह बीमा में बोनस देने, जीवन भर हेल्थ इंश्योरेंस दिलाने व कंपनियों में निवेश करने पर कम समय में दोगुना का फायदा देने के नाम पर रिटायर्ड अधिकारियों से करोड़ाें की ठगी करता था। उनके खिलाफ गाजीपुर व विकासनगर में पहले से मुकदमे दर्ज हैं।

एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक, इस गिरोह के 10 सदस्यों को अगस्त 2020 में ही गिरफ्तार किया गया था जो जेल में बंद हैं।

जालसाजों ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के रिटायर्ड अपर निदेशक सीबी चौरसिया से 40 लाख और रिटायर्ड डिप्टी एसपी रंजीत सिंह बोरा से 41,4,474 रुपये की ठगी की है।

जालसाजों ने रकम को दोगुना करने का लालच देकर फर्जी कंपनियों – एलायंज ग्रीन सिटी, आरआईएल डेवलपर्स, एमडीआई ई-कामर्स, मैक्स लाइफ म्युचल फाउंडेशन, गोल्डेन आरकिड, वेट फोलिओ सर्विस के नाम पर कई खाते बैंकों में खोलकर ठगी की रकम को इन्हीं खातों में जमा कराते थे।

मास्टरमांइड रामेंद्र मिश्रा ने एसटीएफ के सामने कुबूल किया कि उसके गिरोह के सभी सदस्यों का काम बंटा है। वेद प्रकाश फर्जी नाम व पते पर कंपनियों का रजिस्ट्रेशन करवाता था। कंपनियों के नाम पर खाते भी खुलवाता था। इन कंपनियों के नाम पर खोले गए खातों के एटीएम व चेक बुक दस्तखत कराकर अभिनव सक्सेना को दिया जाता था।

नेहा सक्सेना पीएनबी मेट लाइफ में काम करती थी। वह अपने पति रितेश के साथ मिलकर इंश्योरेंस से संबंधित उपभोक्ताओं के डाटा निकालकर देती थी। इसके बाद कॉल सेंटरों के जरिए उनसे संपर्क किया जाता था। रकम दोगुना करने का लालच दिया जाता था। फिर रकम हासिल कर आपस में बांट लेते थे।

कॉल सेंटर में काम करने के नाम पर प्रिया व मीनाक्षी दिल्ली, मुंबई की इंश्योरेंस कर्मचारी बनकर अलग-अलग नाम से कॉल करती थी।

इस गिरोह के निशाने पर रिटायर्ड अधिकारी रहते थे। उपभोक्ताओं को विश्वास दिलाने के लिए प्रिया व मिनाक्षी इंश्योरेंश कंपनी के कर्मचारियों से मेल मिलाप कर उनके नंबर से कॉल करते थे। इसके बाद एसएमएस और व्हाट्सएप करते थे। जब विश्वास हो जाता तो अभिनव व मिनाक्षी कस्टमर से मिलते थे।

जो ग्राहक नकदी जमा नहीं करता था। चेक देता था तो उससे पीएनबी, मैक्स लाइफ, आरएलआई के नाम से चेक लेते थे। इसके बाद मैक्स लाइफ के आगे म्युचल फाउंडेशन, पीएनबी के आगे सर्विसेज लिखकर फर्जी खोले गये कंपनियों के खाते में जमा कर भुगतान करा लेते थे। मैक्स लाइफ म्युचल फाउंडेशन का मालिक रामेंद्र मिश्रा हैं।

एसटीएफ के मुताबिक, बोनस व मुनाफा न मिलने पर कार्यालय जाने की बात जो ग्राहक करता था उसके पास आईआरडीए का अधिकारी बनकर कस्टमर केयर के जरिए कॉल कर शिकायत दर्ज कराई जाती थी। इसके बाद रामेंद्र मिश्रा खुद वकील बनकर उनसे मिलता था। सिविल सूट दायर करने व रूपया वापस दिलाने व जीएसटी के नाम पर भी दो से तीन साल तक ठगी की जाती थी।

अगस्त 2020 में जब गिरोह के दस सदस्य गिरफ्तार किये गये तो रामेंद्र ने अपना ठिकाना बदल दिया। इसके बाद अपने गिरोह के सदस्यों के जमानत के लिए पैरवी करता रहा। गिरोह ने पांच सालों के अंदर करोड़ों रुपये की ठगी किया है।