लखनऊ में कृष्णानगर पुलिस ने एक फर्जी इंटेलिजेंस अधिकारी को गिरफ्तार किया।

फर्जी इंटेलिजेंस अधिकारी सीबीआई, आईबी या एंटी करप्शन का अधिकारी बताकर सरकारी विभागों में लोगों के काम करवाता था और इसकी एवज में लोगों से धन उगाही करता था।
 
लखनऊ में कृष्णानगर पुलिस ने एक फर्जी इंटेलिजेंस अधिकारी को गिरफ्तार किया।

डा. एस. के. पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 18 सितम्बर।
लखनऊ में कृष्णानगर पुलिस ने एक फर्जी इंटेलिजेंस अधिकारी को पकड़ा है जो इसी की आड़ में लोगों को ठगता है।

वह सीबीआई, आईबी, एंटी करप्शन या अन्य जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर लोगों से ठगी कर रहा है। यह जालसाज विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को अर्दब में लेकर उनसे काम करवाता था और काम करवाने के एवज में लोगों से धन उगाही कर रहा था।

पकड़े गए अभियुक्त के पास से विभिन्न प्रकार के कई फर्जी दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। पूछताछ के दौरान पता चला कि उसके खिलाफ इससे पहले अलीगंज थाना पर धोखाधड़ी का केस दर्ज है।

इंस्पेक्टर धीरेन्द्र कुमार उपाध्याय ने बताया कि अभियुक्त के पास से भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज, जाँच एजेंसियों के आईकार्ड बरामद हुए हैं। जाली दस्तावेज बरामद होने के संबंध में पुलिस ने अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया।

अभियुक्त ने अब तक किस किस को ठगा है इसकी जानकारी और इसके गिरोह में शामिल लोगों के बारे में जानकारी की जा रही है।

प्रभारी निरीक्षक कृष्णानगर ने बताया कि जालसाज अभियुक्त का नाम पता इस प्रकार है- अशोक श्रीवास्तव पुत्र स्वर्गीय ललन लाल निवासी ग्राम करोज थाना डुमराव बक्सर बिहार, वर्तमान पता एलडीए कॉलोनी कानपुर रोड लखनऊ।

पकड़ा गया अभियुक्त स्थान बदल बदलकर खुद को सीबीआई, आईबी, एंटी करप्शन का अधिकारी बताकर जनता के लोगों के साथ धोखा करता है। इससे पहले भी इसके द्वारा इसी तरह के कई अपराध किए गए हैं। इस संबंध में अलीगंज थाने में मुकदमा पंजीकृत है। फर्जी दस्तावेजों के संबंध में पुलिस ने एक और मुकदमा पंजीकृत कर उसे जेल भेज दिया।

इंस्पेक्टर ने बताया कि पकड़ा गया अभियुक्त जनता के लोगों के बीच जाकर उनके बीच बैठकर स्वयं कभी सीबीआई कभी आएगी कभी एंटी करप्शन का अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करता था। लोगों से कहता था कि यह बात किसी और लोगों से नहीं बताना वरना मैं काम नहीं करा पाऊंगा।

गोपनीयता बरतने की बात कहने पर लोग उसे गुप्तचर शाखा का अधिकारी या उसके सीबीआई, आईबी, एंटी करप्शन का अधिकारी होने का सहज ही विश्वास कर लेते थे और उस कारण उसकी अच्छी पकड़ एवं सक्षम अधिकारी का विश्वास करते हुए लोग अपनी समस्याओं को प्रार्थना पत्र के रूप में प्रस्तुत कर देते थे जो संबंधित विभाग के अधिकारी को संबोधित होता था।

पूछताछ करने पर अभियुक्त ने बताया कि इससे पहले प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण सिक्योरिटी सॉल्यूशंस में काम करता था। लेकिन वर्तमान में इसी तरीके से लोगों से धन उगाही कर रहा था।

अभियुक्त के घर की तलाशी के दौरान उसके पास से विभिन्न पदाधिकारियों की मोहरें, इंकपैड, सीबीआई और आईबी के आईकार्ड, पुलिस कलर का स्टीकर, एक फाइल जिसमें 100 रुपये के स्टांप, जनता के व्यक्तियों के प्रत्यावेदन दस्तावेज आदि पाये गये।

इस संबंध में पूछने पर उसने बताया कि वह जनता के लोगों के बीच खुद को एजेंसियों का अधिकारी बताकर विभागों में रोग दिखाकर पैरवी करता था। इसके एवज में उसे पैसे मिलते थे।