लखनऊ में फर्जी दस्तावेज बनाकर चोरी के आटो बेचने वाला गिरोह पकड़ा गया।

आटो चोरों के इस गिरोह के सात सदस्यों को पुलिस ने दबोच लिया है और उनके पास से 11 ऑटो व फर्जी रजिस्ट्रेशन पेपर सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं।
 
लखनऊ में फर्जी दस्तावेज बनाकर चोरी के आटो बेचने वाला गिरोह पकड़ा गया।

डा. एस. के. पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 15 सितम्बर।
लखनऊ के विभूतिखंड थाने की पुलिस ने सोमवार को एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो निष्प्रयोज्य ऑटो के फर्जी दस्तावेज तैयार करके चोरी के आटो बेचने का काम करता था।

इस गिरोह के सात सदस्यों को पुलिस ने दबोच लिया है और उनके पास से 11 ऑटो व फर्जी रजिस्ट्रेशन पेपर सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं। पुलिस ने सभी को जेल भेज दिया है। वहीं गिरोह के अन्य सदस्यों, जिसमें आरटीओ कर्मचारी व कबाड़ीवाले शामिल हैं, की तलाश की जा रही है।

डीसीपी पूर्वी चारू निगम ने कहा कि राजधानी में कूट रचित दस्तावेजों व नंबरों पर ऑटो चलने की जानकारी प्राप्त हुई थी। इसके बाद प्रभारी निरीक्षक विभूतिखंड संजय शुक्ला, एसआई अनिल सिंह व संजय कुमार शुक्ला के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया। टीम ने कई दिनों तक इस तरह के ऑटो पर नजर रखी।

बीते दिनों एक ऑटो को चालक सहित पिकप भवन के पास से दबोचा गया और उसकी निशानदेही पर पुलिस ने 10 और ऑटो बरामद किया। सभी आटो पर चेचिस नंबर गायब थे और सभी के रजिस्ट्रेशन नंबर फर्जी थे। उनके दस्तावेज भी गलत तरीके से बनाए गए थे।

पुलिस ने इस गिरोह के सात सदस्यों को दबोच लिया। इसमें आलमबाग के गढ़ी कनौरा निवासी असलम खान, पारा के न्यू काशीराम कॉलोनी का राघवेंद्र सिंह, गाजीपुर के सेक्टर-17 इंदिरानगर का राम मोहन सोनी, हरदोई के हरदेवगंज निवासी नागेंद्र मिश्रा, नहर कालोनी के पीछे आशानगर का वेद प्रकाश यादव, सराय थोक पश्चिमी का संजय कुमार, कासिमपुर हसनापुर का अभिषेक सिंह शामिल हैं।

एडीसीपी पूर्वी ने कहा कि जालसाजों व चोरों के गिरोह के पास से 11 ऑटो रिक्शा, दो फर्जी रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, चार आरसी बनाने व प्रिंटिंग के प्रयोग का पेपर, दो प्रिंटर, एक स्कैनर प्रिंटर, तीन लैपटॉप, एक मुहर बरामद हुई है।

इस गिरोह में सरोजनीनगर स्थित आरटीओ के गेट नंबर-तीन के सामने रहने वाले तीन कबाड़ी फौजी कबाड़ी, मुल्ला कबाड़ी, केशरीखेड़ा कृष्णानगर का अजय वर्मा, आलमबाग का गुड्डू और आरटीओ कार्यालय के कुछ कर्मचारी शामिल हैं।

एसीपी विभूतिखंड स्वतंत्र सिंह ने बताया कि इस गिरोह में दो तरह के लोग थे। एक ऑटो चोरी करने के बाद उसके फर्जी पेपर तैयार कर बेचते थे। दूसरा कबाड़ की गाड़ियों को खरीदकर जाली नंबरों व पेपर के जरिए बेचते थे।

एसीपी स्वतंत्र सिंह के मुताबिक चोरी करने के दौरान तीन-तीन का गिरोह होता था। दो सदस्य बतौर ग्राहक ऑटो बुक कराते थे। इसके बाद घर से कुछ दूर पहले उतर जाते। इसके बाद ऑटो चालक को झांसे में डालकर सामान उठवाकर घर तक जाते। वापस आने से पहले तीसरा सदस्य ऑटो लेकर भाग जाता था। इसके बाद एक दिव्यांग सदस्य वहां से गुजरता और पीड़ित व सहयोगी को दूसरी दिशा में ऑटो के जाने के बारे में जानकारी देकर भ्रमित कर देता।

साजिश के तहत चालक को एक से दो घंटे तक ऑटो की तलाश करवाने में लगे रहते। इसके बाद वहां से निकल जाते। इतनी देर में उनके साथी ऑटो को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा देते।

प्रभारी निरीक्षक विभूतिखंड संजय शुक्ला के मुताबिक जालसाजी करने वाले गिरोह में सदस्यों की संख्या करीब 15 है। जालसाजी के लिए कई चरण में काम करते थे। पहले चरण में 10 से 15 साल का समय पूरा करने के बाद निष्प्रयोज्य घोषित हो चुकी ऑटो की तलाश करते।

इसे नीलाम होने के बाद कबाड़ी के पास से खरीदते थे। उसे ठीक करने के बाद फर्जी नंबर की तलाश करते। इसके लिए भी पुराने नंबरों की सीरिज खंगाला जाता था। इनके निशाने पर वह नंबर होते थे जिसे आरटीओ ने ब्लैक लिस्टेड कर दिया हो।

इसके बाद आरटीओ के कर्मचारियों से मिलकर फर्जी नंबर व उसके पेपर की स्कैन कॉपी निकाल लेते थे। जिसके आधार पर नया जाली पेपर तैयार कर ऑटो बेच देते हैं।

आरोपियों ने पूछताछ में कई साल से यह काम करने की बात कुबूल की है। वेब माल चौकी प्रभारी अनिल सिंह के मुताबिक पुलिस के पास अब तक 60 गाड़ियों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेचने की जानकारी जालसाजों ने दी है। पुलिस इन गाड़ियों के बारे मे जानकारी जुटा चुकी है। इन गाड़ियों को फर्जी नंबर पर संचालित किया जा रहा है। पुलिस के मुताबिक गिरोह के सदस्यों द्वारा 10 से 12 हजार में कबाड़ की दुकान से ऑटो खरीदा जाता था। जिनको तैयार करने के बाद  50 से 60 हजार रुपये में बेच दिया जाता था।

पुलिस के मुताबिक इस गिरोह में हरदोई के आरटीओ विभाग के कुछ कर्मचारियों के नाम भी सामने आए हैं। जिनकी तलाश की जा रही है।

पुलिस के मुताबिक इस तरह के फर्जी तरीके से खरीदे गए ऑटो शहर के कुछ हिस्सों में ही संचालित करने के लिए कहा जाता था। इसके लिए नहरिया से दुबग्गा, नहरिया से राजाजीपुरम, चारबाग से कैसरबाग, इंदिरानगर से बीबीडी, बीबीडी से गोमतीनगर रूट प्रमुख है।

इसके अलावा कृष्णानगर, सरोजनीनगर, आशियाना, मोहनलालगंज इलाके में भी चोरी के ऑटो संचालित किये जाते हैं। पुलिस शहर में चलने वाले ऑटो के नंबरों की सूची तैयार कर रही है। जिनकी जांच कराई जाएगी।

जालसाजों के पास से बरामद दस्तावेजों की जांच की गई तो पता चला कि कागज पूरी तरह से सही है। उनके पास से आरटीओ में प्रयोग किए जाने वाला पंजीकरण पेपर मिला है। जिस पर शासन का लोगो लगा हुआ है। जालसाज इसे स्कैन करते थे। इसके बाद बार कोड व मुहर लगाते थे। फिर उसे एक दम असली बनाकर गाड़ी खरीदने वाले को देते थे। पुलिस के मुताबिक आरटीओ के कर्मचारी असली पंजीकरण पेपर दो हजार से तीन हजार रुपये में बेचते थे। पुलिस ऐसे कर्मचारियों की तलाश कर रही है।

पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने इस जालसाज व चोरों के गिरोह का पर्दाफाश करने वाली टीम को 20 हजार रुपये का इनाम दिया है। इस टीम में प्रभारी निरीक्षक संजय शुक्ला, एसआई अनिल कुमार सिंह, संजय कुमार शुक्ला, सुनील कुमार मौर्य, अजीत कुमार, हेड कांस्टेबल अनिल कुमार उपाध्याय, कांस्टेबल संदीप कुमार जायसवाल, मनोज कुमार व योगेश कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।