मुजफ्फरनगर सहारनपुर स्टेट हाईवे पर भयानक सड़क दुघर्टना में छः मजदूरों की मौत।

मजदूरों का आवागमन थमने का नाम नहीं ले रहा।
 

डा. एस. के. पाण्डेय
राज्य संवाददाता

लखनऊ, 14 मई।
सूचना मिली है कि मुजफ्फरनगर-सहारनपुर स्टेट हाइवे पर बुधवार देर रात बड़ा सड़क हादसा हो गया, जिसमें रात करीब 1 बजे 8 प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) को एक रोडवेज बस ने रौंद दिया। ये सभी मजदूर पंजाब से पैदल बिहार लौट रहे थे। इस हादसे में 6 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बाकी गभीर रूप से जख्मी हैं। उन्हें मेरठ मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

बताया जा रहा है कि बिहार में गोपालगंज जिले के रहने वाले कुछ मजदूर पंजाब से पैदल अपने घर की तरफ लौट रहे थे। यह हादसा मुजफ्फरनगर के घलौली चेकपोस्ट से आगे रोहाना टोल प्लाजा के पास हुआ।

सिटी कोतवाली प्रभारी के मुताबिक, हादसे में मरने वालों की शिनाख्त हरक सिंह (51), उनका बेटा विकास (22), गुड्डु (18), वसुदेव (22), हरीश (28) और विरेंद्र (28) के तौर पर हुई है। पुलिस उनके परिवार वालों से भी संपर्क करने की कोशिश में है।

इधर उन्नाव जिल के सोनिक क्षेत्र अंतर्गत सदर कोतवाली क्षेत्र के दही चौकी साइड एक स्थित बैटरी बनाने वाली फैक्टरी के सुपरवाइजर की मौत के मामले में परिजनों ने बुधवार को मुआवजे की मांग कर फैक्टरी गेट पर शव रखकर हंगामा किया। सिटी मजिस्ट्रेट व कोतवाल के हस्तक्षेप के बाद 2.10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की हामी पर परिजन शव अंतिम संस्कार के लिए लेकर चले गए। इस दौरान करीब 3 घंटे हंगामा चला।

बताया जा रहा है कि माखी थाना क्षेत्र के सदवाखेड़ा गांव निवासी संतोष (40) पुत्र छोटेलाल करीब 20 साल से औद्योगिक क्षेत्र दही चौकी स्थित बैटरी बनाने वाली दीप इंडस्ट्री में सुपरवाइजर था। 11 मई सोमवार को फैक्टरी से बैटरी लोडकर ट्रक लखीमपुर के लिए निकला। सुपरवाइजर संतोष भी माल उतरवाने के लिए ट्रक के साथ गया था। रात लगभग 1 बजे लखनऊ के निकट ट्रक व डीसीएम की टक्कर में संतोष की मौत हो गई। ट्रॉमा सेंटर में पोस्टमार्टम के बाद बुधवार सुबह परिजन शव लेकर फैक्टरी गेट पर पहुंचे और 12 लाख रुपए मुआवजे की मांगकर हंगामा शुरू किया।

सूचना पर दही चौकी प्रभारी प्रेमनारायण मौके पर पहुंचे। फैक्टरी प्रबंधन की ओर से कोई जवाब न मिलने और हंगामा बढ़ता देख चौकी प्रभारी ने कोतवाल दिनेश चंद्र मिश्र व सिटी मजिस्ट्रेट चंदन पटेल को जानकारी दी। सिटी मजिस्ट्रेट व कोतवाल के पहुंचने के बाद फैक्टरी प्रबंधन ने 2.10 लाख की आर्थिक मदद व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की बात कही। जिस पर परिजन शांत हो शव अंतिम संस्कार को लेकर चले गए। संतोष की मौत से उसकी 4 बेटी व एक बेटे के सिर से पिता का साया उठ गया। सभी का रो-रोकर बुरा हाल है।

लॉकडाउन में सबसे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति मजदूरों की है। रोजगार व उद्योग धंधे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। महाराष्ट्र, पंजाब व मध्य प्रदेश से मजदूर व कामगारों के आने का सिलसिला लगातार बना हुआ है। भूख- प्यास भी उनके कदम नहीं थाम पा रही है। सैकड़ों श्रमिक पैदल तो तमाम ट्रक में सवार होकर गुजरे। कार, ऑटो, बाइक व साइकिल से भी लोग लगातार हाईवे से गुजरते रहे।

एक सूत्र ने बताया कि बुधवार को 100 से अधिक ट्रकों में सवार होकर मजदूर शिवपुरी के रक्सा बॉर्डर से गुजरे। सभी ट्रक लोगों से ठसाठस भरे थे। वे भूख प्यास से बेहाल थे। उनका दर्द साफ झलक रहा था। जो पैदल जा रहे थे उनका तो और भी बुरा हाल था।