पीएफआई कमांडर अन्सद बदरुद्दीन व ट्रेनर फिरोज खान की पेन ड्राइव व डायरी से बड़े राज खुलने की संभावना।

पेन ड्राइव और डायरी के पन्नों में मलयालम भाषा में कई कोडवर्ड भी हैं। दोनों से पुलिस कस्टडी रिमांड पर आमने-सामने पूछताछ के दौरान इनसे जुड़े राज सामने आएंगे।
 
पीएफआई कमांडर अन्सद बदरुद्दीन व ट्रेनर फिरोज खान की पेन ड्राइव व डायरी से बड़े राज खुलने की संभावना।

डा. एस. के. पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 18 फरवरी।
लखनऊ में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कमांडर अन्सद बदरुद्दीन व ट्रेनर फिरोज खान के पास से मिली पेन ड्राइव से बड़े राज खुलने की संभावना है।

दोनों के पास से बरामद डायरी के कुछ पन्नों में पीएफआई के विभिन्न राज्यों के सदस्यों के भी नाम दर्ज हैं। डायरी के पन्नों में मलयालम भाषा में कई कोडवर्ड भी हैं, जिनके अर्थ समझने का प्रयास किया जा रहा है।

पेन ड्राइव में कई मीडिया रिपोर्ट व अखबारों में प्रकाशित खबरों की प्रति भी सेव हैं, जिनमें कई ह‍िंंदूवादी नेताओं व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारियों पर अलग-अलग स्थानों पर हुए हमले व उनकी हत्या की घटनाओं से संबंधित हैं।

पंजाब व राजस्थान समेत अन्य स्थानों पर हुई इन घटनाओं की मीडिया रिपोर्ट भी है। दोनों से पुलिस कस्टडी रिमांड पर आमने-सामने पूछताछ के दौरान इनसे जुड़े राज सामने आएंगे।

इस पूरे मामले की विवेचना एटीएस को सौंपी जा चुकी है। एटीएस अब दोनों आरोपितों के कब्जे से बरामद विस्फोटक की फोरेंसिक जांच भी कराएगी। हालांकि एसटीएफ भी उसके रडार पर आते मामलों की जांच पूर्ववत करती रहेगी।

एसटीएफ के अधिकारियों के अनुसार दोनों आरोपित राजस्थान व बिहार भी गए थे। राजस्थान में अन्सद बदरुद्दीन का गहरा नेटवर्क है। कई कोडवर्ड के बाद मस्ट अटैक शब्द भी लिखा है।

डायरी के पन्नों पर दर्ज कई कोडवर्ड के अर्थ समझने के लिए मलयालम भाषा के जानकारों की भी मदद ली जा रही है। दोनों के मोबाइल नंबरों का ब्योरा भी खंगाला जा रहा है। दूसरी ओर इनके संपर्क में आए पीएफआई के कुछ सक्रिय सदस्यों के बारे में भी छानबीन तेज की गई है।

पता चला है कि दोनों ने अलग-अलग जिलों में युवकों के छोटे-छोटे ग्रुप बनाने के बाद उन्हें वाट्सएप ग्रुप के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में रहने के निर्देश दिए थे।

पॉपुलर फ्रंट इंडिया (पीएफआई) के दो सदस्यों की गिरफ्तारी और मुकदमा दर्ज करने के बाद एटीएस को दोनों अभियुक्तों को सात दिनों की कस्टडी रिमांड भी दे दी गई है।

दोनों का बांग्लादेश कनेक्शन सामने आने से यह मामला और भी संवेदनशील हो गया है।

उनके विरुद्ध एटीएस ने अपने लखनऊ थाने में आईपीसी की धारा 120बी, 121ए, 13/16/18/20 विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 3/25 आयुध अधिनियम और 3/4/5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

यह भी पता चला है कि फिरोज ने गुडंबा थाना क्षेत्र में ही किराए पर मकान भी ले लिया था। एटीएस यह पता करने का प्रयास कर रही है कि दोनों लखनऊ में किस-किस के संपर्क में थे और अन्य राज्यों में उनके नेटवर्क में कौन-कौन है?