मुख्तार अंसारी के दो दर्जन गुर्गों ने अपनी गाड़ियां बुलेट प्रूफ करवाईं।

सूत्रों ने बताया कि बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद सबसे ज्यादा दहशत में आए इन लोगों ने स्कार्पियो और फार्च्यूनर गाड़ियों को मेरठ व पंजाब से बुलेटप्रूफ कराया गया है।
 
मुख्तार अंसारी के दो दर्जन गुर्गों ने अपनी गाड़ियां बुलेट प्रूफ करवाईं।

डा. एस. के. पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 28 सितम्बर।
सूचना मिली है कि मुख्तार अंसारी के दो दर्जन गुर्गों ने अपनी गाड़ियां बुलेट प्रूफ करवा ली हैं।

दो साल पहले बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद सबसे ज्यादा दहशत में आए बाहुबली मुख्तार अंसारी के करीब दो दर्जन गुर्गों ने अपनी गाड़ियां बुलेटप्रूफ करवा रखी हैं।

सूत्रों ने बताया कि स्कार्पियो और फार्च्यूनर गाड़ियों को मेरठ व पंजाब से बुलेटप्रूफ कराया गया है। अधिकतर गुर्गों ने गाड़ियां अपने करीबियों के नाम से खरीदी हैं।

यह खुलासा सुरेन्द्र कालिया और प्रदीप सिंह के पास ऐसी गाड़ी बरामद होने से हुआ। दोनों के पास बुलेटप्रूफ करवाने के कोई दस्तावेज नहीं मिले।

12 जुलाई को आलमबाग में अजंता अस्पताल के बाहर हरदोई के हिस्ट्रीशीटर सुरेन्द्र कालिया ने बुलेटप्रूफ स्कार्पियो पर फायरिंग करवाई थी। पड़ताल में यह गाड़ी कालिया के दोस्त की निकली। इस गाड़ी को बुलेट प्रूफ करवाने का कोई भी दस्तावेज सुरेन्द्र नहीं दे सका था।

22 सितम्बर को मुख्तार गिरोह के खिलाफ चले अभियान में रिटायर्ड डिप्टी एसपी के बेटे प्रदीप सिंह के फ्लैट पर बुलेटप्रूफ फार्च्यूनर गाड़ी की चाभी मिली। यह गाड़ी भेनुमती अपार्टमेंट में बरामद हुई थी। इसके भी कागजात पुलिस को नहीं मिले। पुलिस ने यह गाड़ी सीज कर दी। इसी तरह मुख्तार के करीबी एक पूर्व विधायक के गुर्गे के पास भी बुलेटप्रूफ गाड़ी पुलिस को पता चली।

पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय ने इस बारे में मातहतों से बात करके बुलेटप्रूफ गाड़ी के बारे में कई जानकारियां जुटाईं। इसमें ही सामने आया कि अधिकतर बुलेटप्रूफ गाड़ियां मुख्तार अंसारी के गुर्गों के पास है। इस खुलासे के बाद ही पुलिस ने इस दिशा में पड़ताल तेज कर दी है।

डीसीपी चारु निगम का कहना है कि मुख्तार के गिरोह की धरपकड़ के दौरान बुलेटप्रूफ गाड़ी मिली थीं। ये प्रदीप की बतायी जा रही हैं। इस बारे में पड़ताल की जा रही है।

पड़ताल कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2016 में बजरंगी के साले पुष्पजीत सिंह और फिर 2017 में ठेकेदार मो. तारिक की हत्या ने बजरंगी को कमजोर कर दिया था। हमेशा साथ देने वाले बजरंगी के कमजोर होने से मुख्तार खेमा काफी परेशान हो गया था।

उक्त दो हत्याओं से आशंका होने लगी थी कि यूपी में जल्द ही बड़ी गैंगवार होगी। पर, नौ जुलाई 2018 को बागपत जेल में बजरंगी की हत्या से अंडरवर्ल्ड का समीकरण बदल गया। अधिकारी कहते हैं कि बजरंगी की हत्या से मुख्तार इतनी दहशत में आ गया कि वह पंजाब की जेल से यूपी की जेलों में स्थानान्तरण ही नहीं करवाना चाहता।

बताया जा रहा है कि बजरंगी की हत्या के बाद से ही मुख्तार गिरोह के गुर्गों ने अपनी गाड़ियों को बुलेटप्रूफ करवाना शुरू कर दिया है।

वर्ष 2003 में वाराणसी में एक कंपनी के माध्यम से कई माफियाओं ने गाड़ियां बुलेटप्रूफ करवाईं थी। इस कम्पनी का कार्यालय कुछ दिन के लिए ही वाराणसी में खुला था। यहां से एजेन्ट मेरठ में बुलेटप्रूफ बनाने वाली इकलौती कम्पनी से काम कराते थे। एक गाड़ी को बुलेटप्रूफ करने का खर्च 15 से 20 लाख रुपये आता है।