पुलिस थाने में हुई मिठाई लाल की हत्या का असली गुनहगार कौन, विधायक धीरज ओझा ने किया बड़ा ऐलान

 

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

प्रतापगढ़:- जिले में शनिवार को रानीगंज थाने के अंदर पुलिस कस्टडी में हुई अधेड़ की हत्या के मामले में आज रानीगंज विधायक धीरज ओझा, मृतक मिठाई लाल के घर पहुंचे और परिवार को शोक संवेदना व्यक्त करते हुए हर संभव मदद का भरोसा दिया उन्होंने प्रयागराज पहुंचकर शव का अंतिम संस्कार करवाया और मृतक के बेटे को ₹50 हज़ार नगद देने का साथ नौकरी का आश्वासन, हैंडपंप समेत किसान बीमा योजना के तहत ₹5 लाख देने का वादा भी किया।

लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या इन वायदे और सहायता राशि से मिठाई लाल के परिवार को न्याय मिल पाएगा क्योंकि मिठाई लाल की हुई थाने में मौत का मामला संदिग्ध होता जा रहा है।

पुलिस इस पूरे मामले को एक अलग रूप देते हुए मानसिक विक्षिप्त के ऊपर पूरा आरोप मढ़ रही है जबकि परिवार के लोग विपक्षियों पर हत्या का आरोप लगा रहे हैं।

इन सबके बीच थानाध्यक्ष की भूमिका भी संदेह के घेरे में इसलिए है क्योंकि इतनी बड़ी घटना के बाद वह अपने अधिकारियो को इसकी सूचना तत्काल देने की बजाय इलाज़ के लिए प्रतापगढ से प्रयागराज का चक्कर कटवाते रहे जिससे समय बर्बाद हुआ और घायल का इलाज समय से नही ही पाया।

दूसरी पहलू की बात करे तो थाने की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी थानाध्यक्ष की होती है, और थाने के अंदर फावड़ा कहाँ से आया। घटना के वक्त 24 घंटे की ड्यूटी देने वाला पहरेदार कहां था।

जिसको पुलिस मानसकि रूप से विछिप्त बता रही है आखिर वह अपना सही नाम और पता कैसे पुलिस बताया और अपने 70 किलोमीटर दूर अपने घर से साइकिल चलाकर रानीगंज इलाके में आत्महत्या क्यों करना चाहता था? क्या इसके पूर्व आरोपी के खिलाफ किसी थाने में मुकदमा दर्ज है ? क्या किसी डॉक्टर ने हत्यारोपी को मानसिक रोगी का सार्टिफिकेट दिया है? शायद इसका जबाब पुलिस के पास नही है या फिर देना नही चाहती। कही तेज़ तर्रार एसपी अभिषेक सिंह को उन्ही के मातहत गुमराह तो नही कर रहे है, क्योंकि कल शाम 7 बजे के करीब हुई मिठाई लाल की मौत की पुष्टि थानाध्यक्ष ने रात 10 बजे किया था।

यदि सब कुछ ठीक है तो आखिर मिठाई लाल की मौत के बाद उसके शव को आमापुर बर्रा क्यों नही लाने दिया गया औऱ उसका अंतिम संस्कार प्रयागराज में ही क्यों कर दिया गया यह कई सवाल है जिसका जबाब पुलिस को देना होगा।