डॉक्टर, वकील और पुलिसकर्मियों ने मिलकर कर दिया जिंदा इंसान का फर्जी पोस्टमार्टम।।

 
डॉक्टर, वकील और पुलिसकर्मियों ने मिलकर कर दिया जिंदा इंसान का फर्जी पोस्टमार्टम।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

राजस्थान/दौसा, 12 अक्टूबर:- आमतौर पर इंसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद या दुर्घटना के बाद या हत्या के बाद पोस्टमार्टम करवाया जाता है जिससे उसकी की मौत का कारण स्पष्ट हो सके और मौत की जांच में सहयोग मिले। पर एक यैसे चौकाने वाले मामले का खुलासा पुलिस ने किया है जहाँ बीमा क्लेम की रकम लेने के चलते जिंदा व्यक्ति का फर्जी पोस्टमार्टम कराने वाली गैंग का पर्दाफाश किया गया है, यही नहीं उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर 10 लाख रुपये का क्लेम भी उठा लिया गया। ऐसा एक नहीं बल्कि कई मामले हो तो हैरानी होना स्वाभाविक है। राजस्थान के दौसा जिले में ऐसा हुआ है। दौसा पुलिस ने ऐसे ही फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने वाले गिरोह से जुड़े 15 लोगों को गिरफ्तार किया है, इनमें वकील, पुलिसकर्मी, डॉक्टर और कंपनी सर्वेयर आदि शामिल हैं, अभी करीब 8 आरोपी इस मामले में फरार चल रहे हैं। पुलिस पूरे मामले की पड़ताल में जुटी है।

कैसे करते थे फर्जीवाड़े का खेल:- फर्जी पोस्टमार्टम गिरोह की पूरी क्राइम कुंडली समझने के लिए हम आपको वर्ष 2016 में दर्ज हुए एक मुकदमे के बारे में बताते हैं, दरअसल दिल्ली के रहने वाले अरुण नामक व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत का मामला कोतवाली थाने में दर्ज कराया गया था। इस मामले में जांच अधिकारी रमेशचंद और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर सतीश गुप्ता, एडवोकेट चतुर्भुज मीणा की मिलीभगत सामने आई। पता चला कि अरुण व्यक्ति की मौत ही नहीं हुई है और वह अभी भी जिंदा है, इसके बावजूद भी उसका एक्सीडेंट दिखाया गया और दस्तावेजों में फर्जी पोस्टमार्टम भी कर दिया गया। इतना ही नहीं वकील और बीमा कंपनी के सर्वेयर के जरिये 10 लाख रुपये का क्लेम भी ले लिया गया।

सीआईडी सीबी और जयपुर रेंज आईजी ऑफिस ने भी की जांच:- इस पूरे मामले का पता लगने के बाद एसओजी और सोशल पुलिस ने वर्ष 2019 में डॉक्टर, पुलिस, वकील आदि को गिरफ्तार कर लिया था। मामले की विस्तृत जांच की गई तो इस तरह के कई मामले सामने आये जिनमें सड़क दुर्घटना नहीं होने के बावजूद भी कागजों में सड़क दुर्घटना दिखाई गई, व्यक्ति को मृत बताकर उसका फर्जी पोस्टमार्टम किया गया। दौसा पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर इसकी जांच शुरू की, उसके बाद इन मामलों की जांच सीआईडी सीबी और जयपुर रेंज आईजी ऑफिस के द्वारा भी की गई। लंबी जांच पड़ताल के बाद पुलिस ने कुल 3 मामलों का खुलासा किया है।

एसपी ने प्रेसवार्ता कर किया पूरे मामले का खुलासा:- दौसा पुलिस अधीक्षक अनिल बेनीवाल ने प्रेस वार्ता करके बताया कि 2016 में बेजवाड़ी निवासी रामकुमार मीणा का फर्जी एक्सीडेंट और फर्जी पोस्टमार्टम दिखाया गया था। रामकुमार की मौत दस्तावेजों में दिखाई गई मौत से 3 माह पहले ही हार्ट अटैक से हो गई थी। इसी तरह 2016 में भांवता गांव निवासी जनसीराम और नाथूलाल की मौत सड़क दुर्घटना में बताकर फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की गई थी। जबकि जनसीराम की हार्ट अटैक से और नाथूलाल की मृत्यु कैंसर से हुई थी, ये दोनों ही मौतें फर्जी पोस्टमार्टम की डेट से कई माह पूर्व हो गई थी।

वर्ष 2019 में भी हुई इन तीन आरोपियों की गिरफ्तारी:- पुलिस ने इन मामलों में आरोपी डॉक्टर सतीश गुप्ता, पुलिस के एएसआई रमेश चंद, एडवोकेट चतुर्भुज मीणा सहित कुल 15 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन तीनों मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी वर्ष 2019 में भी इसी तरह के एक प्रकरण में हो चुकी है, लेकिन गिरफ्तारी के बाद जमानत पर बाहर आए पुलिसकर्मी ने नौकरी से वीआरएस भी ले लिया है। वहीं डॉक्टर को बहाल कर दिया गया था, उसे ऑन ड्यूटी पुलिस ने अब अन्य मुकदमों में गिरफ्तार कर लिया है।

तीन मामलों में 30 लाख रुपये का क्लेम उठा चुके हैं:- आरोपी अलग-अलग समय में तीन मामलों में 30 लाख रुपये का क्लेम उठा चुके हैं, गिरफ्तारी के बाद आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। वहां से डॉक्टर सतीश गुप्ता, एएसआई रमेश चंद, एडवोकेट चतुर्भुज मीणा और दलाल मनोहर मीणा को 2 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है। शेष को जेल भेज दिया गया है।।