आज का इतिहास- आज के ही दिन सन 1857 में मंगल पांडेय ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जलाई थी विद्रोह की ज्वाला

छह मई को अश्वारोही दल के सैनिकों पर इन कारतूसों के उपयोग को थोपने का विचार किया, किंतु 90 में से केवल पांच सैनिकों ने ही कारतूसों को स्पर्श किया। बाद में सभी सैनिकों ने अंग्रेजों की आज्ञा ठुकरा दी। इस पर मुख्य सेनापति ने उन सैनिकों को 6 मई को न्यायालय से 8-10 साल के कड़े कारावास का दंड दिलवा दिया। इस घटना से दूसरे सैनिक क्षुब्ध हो गये। अब सैनिकों के लिये संयम रख पाना कठिन होने लगा। 
 
06 may ka itihas

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

शिक्षा, 06 मई:- 10 मई सन 1857 भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखी हुई है, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि मेरठ में यह विद्रोह छह मई 1857 को ही प्रारंभ हो गया था। 10 मई सन 1857 में अंग्रेजी फौज के भारतीय सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया। यह विद्रोह एक साल तक चला और उत्तर भारत के अधिकतर भागों में फैल गया। इसे भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम कहा गया। यह लड़ाई मुख्यतया दिल्ली लखनऊ, कानपुर, झांसी ओर बरेली में लड़ी गई। इस लड़ाई में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, अवध की बेगम हजरत महल, नाना साहब, मौलवी अहमद शाह, राजा बेनी माधव सिंह अजीमुल्ला खां और अनेक देश भक्तों ने भाग लिया।

06 मई को जली थी विद्रोह की ज्वाला- मेरठ में कुछ निराला ही तूफान उठ रहा था। वह था चर्बी वाले कारतूसों वाली घटना से उत्पन्न रोष। कारतूसों के बारे में सैनिक वास्तव में क्रोधित हैं या नहीं यह आजमाने के लिये अंग्रेजाें ने एक नई युक्ति सोची। उनके अनुसार छह मई को अश्वारोही दल के सैनिकों पर इन कारतूसों के उपयोग को थोपने का विचार किया, किंतु 90 में से केवल पांच सैनिकों ने ही कारतूसों को स्पर्श किया। बाद में सभी सैनिकों ने अंग्रेजों की आज्ञा ठुकरा दी। इस पर मुख्य सेनापति ने उन सैनिकों को 6 मई को न्यायालय से 8-10 साल के कड़े कारावास का दंड दिलवा दिया। इस घटना से दूसरे सैनिक क्षुब्ध हो गये। अब सैनिकों के लिये संयम रख पाना कठिन होने लगा। सैनिक छावनी में सैनिकों की कई गुप्त बैठकें हुई। 31 मई की क्रांति के लिये तय तिथि तक चुपचाप रहना उनके लिये कठिन था। अंत में 10 मई को मेरठ में विद्रोह की शुरूआत हो गई। सैनिकों की छावनी में मारो फिरंगी को, फिरंगियों को काटो के नारे गूँजने लगे। घुड़सवार अपने देशभक्त धर्मवीरों को जेल से छुटाने के लिए सबसे पहले आगे बढ़े। एक ही क्षण में कारागृह की दीवारों को चूर-चूर कर दिया गया। 11वीं टुकड़ी के कर्नल को 20वीं टुकड़ी के सैनिकों ने मार डाला।

आज का इतिहास

  • 1529- बंगाल के अफगान शासक नसरत शाह को गोगरा नदी के किनारे हुई लड़ाई में बाबर के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा।
  • 1589- महान गायक मियां तानसेन का निधन।
  • 1840- दुनिया की पहली गोंद लगी डाक टिकट ‘पेनी ब्लैक’ का ग्रेट ब्रिटेन में इस्तेमाल हुआ।
  • 1857- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल नेटिव इंफैंटरी की 34वीं रेजिमेंट को भंग किया। रेजिमेंट के सिपाही मंगल पांडेय ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया था।
  • 1861- मोतीलाल नेहरू का जन्म।
  • 1910- जॉर्ज पंचम, पिता एडवर्ड सप्तम की मृत्यु के बाद ब्रिटेन के सम्राट बने।
  • 1940- जॉन स्टेनबेक को उनके उपन्यास ‘द ग्रेप्स ऑफ रैथ’ के लिए पुलित्जर पुरस्कार मिला।
  • 1942- फिलीपीन में अमेरिकी सेना की अंतिम टुकड़ी ने जापान के समक्ष समर्पण किया।
  • 1944- गांधी जी को पुणे के आगा खां पैलेस से रिहा किया गया और यह उनके जीवन की अंतिम जेल यात्रा थी।
  • 1954- लंदन के बगीचे में कई महीने तक दौड़ने का अभ्यास करने वाले मेडिकल छात्र रोजर बैनिस्टर ने एक मील की दूरी को चार मिनट के भीतर पूरा करने का रिकार्ड बनाया। उन्होंने यह दूरी तीन मिनट 59.9 सेकंड में पूरी की।
  • 1960- ब्रिटेन की महारानी की छोटी बहन राजकुमारी मार्गरेट और एंथनी आर्मस्ट्रांग जोन्स का विवाह। लंदन के वेस्टमिन्स्टर एबे में संपन्न इस विवाह समारोह को करीब दो करोड़ लोगों ने टेलीविजन पर देखा।
  • 1976- उत्तर पूर्वी इटली में भीषण भूकंप से कम से कम 1000 लोगों की मौत। भूकंप के झटके तीन बार महसूस किए गए। इनमें सबसे ताकतवर भूकंप 6.5 तीव्रता का था। भूकंप का क्षेत्र इतना व्यापक था कि इसके झटके पोलैंड तक महसूस किए गए।
  • 2010- मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादियों में से जिंदा पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी की सजा सुनाई गई।
  • 2020- देश में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वाले लोगों की संख्या 1,694 हो गई, जबकि संक्रमण के मामले बढ़ कर 49,391 हो गये।