हाथरस गैंगरेप केस सीबीआई के हवाले। जबलपुर से परिवार में आकर चार दिन रहीं “भाभीजी” आखिर कौन थीं?

केंद्र सरकार की डीओपीटी विभाग के नोटिफिकेशन के बाद सीबीआई ने हाथरस केस को टेकओवर कर लिया है और जल्द ही सीबीआई हाथरस केस की विधिवत जांच शुरू कर देगी।
 

डा. एस. के. पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 11 अक्टूबर।
केंद्र सरकार ने हाथरस गैंगरेप केस को सीबीआई गाजियाबाद के हवाले कर दिया है,। जो देशद्रोह जैसे आरोपों की भी जांच करेगी।

दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के जबलपुर से हाथरस पहुंच कर चार दिन रही “भाभीजी” का मकसद क्या था इस रहस्य का भी पर्दाफाश होना अभी बाकी है।

फिलहाल हाथरस में हुए उग्र धरना प्रदर्शन के बाद यूपी पुलिस द्वारा दर्ज राजद्रोह और राज्य सरकार के खिलाफ साजिश रचने जैसे सभी मामलों की भी जांच सीबीआई करेगी।

हाथरस गैंगरेप और हत्या मामले की जांच के दौरान अब सीबीआई की गाजियाबाद यूनिट उन मामलों में केस को दोबारा रजिस्टर्ड करेगी, जिन्हें यूपी पुलिस ने दर्ज किया था। इसके अलावा हाथरस में हुए उग्र धरना प्रदर्शन के बाद यूपी पुलिस द्वारा दर्ज राजद्रोह और राज्य सरकार के खिलाफ साजिश रचने जैसे सभी मामलों की भी जांच सीबीआई करेगी।

मामले का सबसे अजीबोगरीब पहलू यह है कि पुलिस ने कई दिनों बाद कतिपय स्थानीय नेताओं के दबाव में आरोपियों के तीन और नाम जोड़ दिए और बलात्कार की धारा भी जोड़ दिया। जबकि गांव के सूत्रों ने बताया कि लड़की के परिजनों ने ही विजातीय युवक से सम्पर्क रखने के आरोप में स्वयं ही लड़की की पिटाई कर दिया था।

केंद्र सरकार की डीओपीटी विभाग के नोटिफिकेशन के बाद सीबीआई ने हाथरस केस को टेकओवर कर लिया है और जल्द ही सीबीआई हाथरस केस की विधिवत जांच शुरू कर देगी।

योगी सरकार ने हाथरस कांड की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की थी कि सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में हो। अधिकारियों ने कहा कि जैसे ही केस रजिस्टर्ड होगा, सीबीआई की टीम फरेंसिक जांच दल के साथ तुरंत हाथरस रवाना कर दी जाएगी।

अभी तक हाथरस कांड की जांच एसआईटी कर रही थी। हाल ही में इस जांच को पूरा करने के लिए यूपी सरकार ने 10 दिनों का और वक्त दे दिया था, ताकि सच सामने आ सके। माना जा रहा था कि इस मामले में लगातार बढ़ते पेंच की वजह से सरकार ने ये फैसला लिया था, लेकिन अब ये मामला सीबीआई के पास पहुंच गया है।

हाथरस में कथित बलात्कार पीड़िता के दाह संस्कार के वक्त का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें साफ दिख रहा है कि पुलिस व प्रशासन के लोगों ने पीड़िता के शव को जल्दी जलाने के लिए ज्वलनशील पदार्थ का भी इस्तेमाल किया गया।

वीडियो में दिख रहा है कि किसी कनस्तर से चिता पर लिक्विड का छिड़काव किया जा रहा है। इस वीडियो में वर्तमान एसएचओ लक्ष्मण सिंह भी शव जलाते दिखाई दे रहे हैं। कोतवाली चंदपा के और भी कई पुलिसकर्मी वीडियो में कैद हुए हैं।

दूसरी तरफ पता चला है कि हाथरस केस में पीड़ित परिवार के घर में 4 दिनों तक रहने वाली जिस कथित भाभी का नक्सली कनेक्शन बताया जा रहा है वो जबलपुर की रहने वाली डॉक्टर राजकुमारी बंसल है। राजकुमारी बंसल जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर है।

पता चला है कि बातचीत में डॉक्टर राजकुमारी बंसल ने स्वीकार किया कि वो हाथरस जाकर पीड़ित परिवार के घर में रही थी, जबकि वह न तो उनकी रिश्तेदार हैं और न ही उसका किसी भी तरह से हाथरस से कोई कनेक्शन है। आरोप लगाया गया है कि उसके नक्सली कनेक्शन हैं। आखिरकार उसका मकसद क्या था यह जांच का विषय है।

डॉक्टर बंसल ने स्वीकार किया कि वो छुट्टी लेकर 4 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक पीड़ित परिवार के घर में रही थी और इस दौरान उसने पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद भी की।

फिलहाल डॉक्टर राजकुमारी बंसल ने अपने संबंध नक्सलियों से होने का खण्डन किया है और अपने फोन की टैपिंग का आरोप लगाकर पुलिस की सायबर सैल में शिकायत करने की बात कही है।

हाथरस मामले में दंगा भड़काने का जबलपुर से कनेक्शन सामने आने के बाद मानो खलबली सी मच गई है. यूपी एसआईटी की टीम जिस महिला का कनेक्शन हाथरस से जोड़ रही है उस डॉक्टर राजकुमारी के हाथरस जाने और बिना अनुमति के इस प्रकार के सामाजिक आंदोलन का हिस्सा होने पर मेडिकल अस्पताल कॉलेज के डीन डॉ. प्रदीप प्रसाद ने संज्ञान लिया है।

मीडिया से बातचीत करते हुए डीन डॉ. प्रदीप प्रसाद ने पूरे मामले को लेकर डॉक्टर राजकुमारी बंसल को शो कॉज नोटिस जारी करने की बात कही है। उनका मानना है कि कोई भी शासकीय सेवक इस प्रकार के आयोजनों का हिस्सा नहीं हो सकता है‌। वह कॉलेज से 3 अक्टूबर से लेकर 6 अक्टूबर की कैजुअल लीव लेकर गई हुई थीं। लेकिन वे इस बात से अनभिज्ञ थे कि डॉ. राजकुमारी हाथरस के पीड़िता के परिवार से मिलने जा रही हैं‌।

सम्भावना जताई जा रही है कि इस तथाकथित “भाभी” को टुकड़े टुकड़े गैंग द्वारा हाथरस में पीड़ित परिवार को भड़काने और इलाके में जातीय दंगा फैलाने के लिए इस्तेमाल किया गया था और भाभीजी मीडिया और अधिकारियों से घूंघट में रहकर ही बातचीत किया करती थीं। लोगों ने बाद में गौर किया कि “भाभी” की भाषा तो स्थानीय नहीं थी। तब लोगों ने मामले में रची गई गम्भीर साजिश की आशंका जाहिर किया।