कोरोना काल मे कोविड के डर से लोगो ने एक साल में 500 करोड़ की एंटीबायोटिक दवाओं का किया सेवन

कई बार होता है कि किसी को कोई इंफेक्शन हुआ और उसने ये दवा ली और तुरंत आराम लग गया। ऐसी सुरत में लोग थोड़ी सी भी परेशानी होने पर इन दवाओं का सेवन करने लगते हैं, चूंकि उन्हें इनसे आराम लगने लगता है तो वे दवाओं के साइड इफेक्ट पर भी ध्यान नहीं देते हैं। जबकि ऐसी दवाओं का नुकसान हो सकता है। इन दवाओं से शरीर में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस हो सकता है, यानी दवाओं का अधिक सेवन होने से ये बाद में असर करना भी बंद कर सकती है। साथ ही हार्ट के फंक्शन और पेट संबंधित परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
 
एंटीबायोटिक दवाइयां

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

सेहत, 24 नवंबर:- कोरोना महामारी की शुरुआत के दौरान ही लोगों में इस बीमारी का डर कुछ ऐसा हुआ कि देश में एंटीबायोटिक दवाओं की खरीद काफी बढ़ गई। ये दवाएं बुखार, गले में खराश, बैक्टीरियल इंफेक्शन और स्किन इंफेक्शन के इलाज में काम आती है, हालाकि इन एंटीबायोटिक दवाओं को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मंजूरी भी नहीं मिली थी, लेकिन कोविड के डर के कारण लोगों ने दवाएं खरीदी और उनका इस्तेमाल भी किया। लैंसट रीजनल हेल्थ जनरल साउथ ईस्ट एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 2019 में 500 करोड़ एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन किया गया था। इस रिसर्च में बताया गया है कि सबसे ज्यादा एजिथ्रोमाइसिन दवा का उपयोग किया गया, ये 500 एमजी की एक टैबलेट होती है। जो एंटीबायोटिक का काम करती है, देश में करीब 8 प्रतिशत लोगों ने इस दवा का सेवन किया था।

क्या कहते है डॉक्टर- डॉक्टरों का कहना है कि एजिथ्रोमाइसिन दवा कई प्रकार के इंफेक्शन को काबू में करती है, इससे निमोनिया फेफड़ों में संक्रमण और कई प्रकार की एलर्जी से बचाव होता है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों ने बिना सोचे समझे और इन दवाओं के साइड इफेक्ट की जानकारी न लेकर इनका सेवन किया है। इस रिसर्च के हेड डॉ शाफी का कहा है कि इन दवाओं का इस्तेमाल संभलकर करना चाहिए, इन टैबलेट का सेवन तभी किया जाना चाहिए जब शरीर में कोई अज्ञात बैक्टीरिया का प्रवेश हो गया हो या मरीज की जान को खतरा हो। सामान्य बैक्टीरियल इंफेक्शन या नॉर्मल एंटीबायोटिक के रूप में इन दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए, शाफी ने कहा कि इस रिसर्च में पता चला है कि इन एंटीबायोटिक दवाओं में से केवल 45 फीसदी दवाएं हीं सेंट्रल ड्रगस स्टेंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन के मानकों का पालन करती हैं। कई मामलों में ड्रग्स कंट्रोलर संस्था के मानक भी पूरे नहीं किए जाते हैं।

डॉक्टर यह भी कहते है कि- यह दवाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती है और लोग इन्हें खरीद कर रख लेते हैं, कई बार होता है कि किसी को कोई इंफेक्शन हुआ और उसने ये दवा ली और तुरंत आराम लग गया। ऐसी सुरत में लोग थोड़ी सी भी परेशानी होने पर इन दवाओं का सेवन करने लगते हैं, चूंकि उन्हें इनसे आराम लगने लगता है तो वे दवाओं के साइड इफेक्ट पर भी ध्यान नहीं देते हैं। जबकि ऐसी दवाओं का नुकसान हो सकता है। इन दवाओं से शरीर में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस हो सकता है, यानी दवाओं का अधिक सेवन होने से ये बाद में असर करना भी बंद कर सकती है। साथ ही हार्ट के फंक्शन और पेट संबंधित परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जरूरी है कि लोग बिना वजह या डॉक्टरों की सलाह के बिना इस प्रकार की एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन न करें।

सेहत को पहुँचा सकती है नुकसान- डॉक्टर बताते हैं कि अधिक मात्रा या बिना वजह एंटीबायोटिक दवाओं को लेने से ये दवाएं शरीर के फायदेमंद बैक्टीरिया को भी खत्म कर देती हैं। जिससे कई तरह की बीमारियों के होने की आशंका रहती है, कई बार एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस हो जाता है। ऐसे में एक मरीज को एक बार जो एंटीबायोटिक दी गई है वह दूसरी बार कम असर या कई मामलों में बिलकुल भी असर नहीं करती है। इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर कोई एंटीबायोटिक डॉक्टर ने दी है तो कोर्स पूरा होने के बाद बिना वजह इनका सेवन न करें, अगर फिर से बीमारी हो गई है तो बिना डॉक्टरी सलाह के ये दवा ने ले। पहले डॉक्टर से परामर्श करें अगर एंटीबायोटिक दवा लेने की सलाह दी गई है तभी इनका सेवन करें। किसी परिचित या परिवार के सदस्य की सलाह के हिसाब से दवाएं कभी न लें।