बेहद अनूठा होता है सारस के जोड़ो का प्यार, एक के वियोग में दूसरा तोड़ देता है दम

रामायण की प्रथम कविता का श्रेय सारस को है। इसकी शुरुआत प्रणयरत सारस युगल के वर्णन से हुई है। महर्षि वाल्मीकि इसके दृष्टा हैं। तभी शिकारी ने प्रणयरत सारस युगल को मार दिया। जोड़े के दूसरे सारस ने जीवन साथी की मौत पर वियोग में वहीं प्राण त्याग दिए।
 
Sati Bird Story

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

हटके, 01 मई:- प्यार के इन परिंदों की कहानी भी कुछ कम नही है, जो एक-दूसरे के वियोग में अपने प्राण त्याग देते है। दुनिया का सबसे लंबा उड़ने वाला पक्षी सारस क्रेन, ये आमतौर पर जोड़े में देखे जाते हैं। इनका समर्पण अद्भुत होता है, जो एक की मौत पर दूसरा भी अपने प्राण छोड़ देता है। सारस क्रेन भारत का एकमात्र गैर-प्रवासी पक्षी है। इसकी कुछ अन्य खूबियां भी हैं, जो इन्हें दूसरी पक्षियों से अलग बनाती हैं, ये खुले आर्द्र भूमि और दलदली इलाकों में रहना पसंद करते हैं, रही बात खाने की तो ये जड़ों, कंद, कीड़ों को अपना आहार बनाते हैं। इसे उत्तर प्रदेश में राजकीय पक्षी का दर्जा हासिल है। यह खेत, नदी, तालाब, मैदान आदि मेें पाया जाता है। सारस का सांस्कृतिक महत्व भी है। रामायण की प्रथम कविता का श्रेय सारस को है। इसकी शुरुआत प्रणयरत सारस युगल के वर्णन से हुई है। महर्षि वाल्मीकि इसके दृष्टा हैं। तभी शिकारी ने प्रणयरत सारस युगल को मार दिया। जोड़े के दूसरे सारस ने जीवन साथी की मौत पर वियोग में वहीं प्राण त्याग दिए। इस पर महर्षि ने शिकारी को श्राप दे दिया था।

निष्छल प्रेम की प्रतिमूर्ति सारस क्रेन- प्यार के इन परिंदों की कहानी भी किसी रोमांटिक फिल्मी कहानी से कम नहीं है, सारस के जोड़े में प्यार की मजबूती इतनी ज्यादा होती है कि जब एक सारस दम तोड़ देता है तो दूसरा उसके वियोग में मर जाता है। आम तौर पर एक के वियोग में दूसरे के दम तोड़ने की कहानी सिर्फ फिल्मों में देखने को मिलती है, जबकि परिंदों का यह जोड़ा प्यार की इन कहानियों को असल जिंदगी में जीता है। निष्छल प्रेम की प्रतिमूर्ति सारस क्रेन की पहचान विश्व में उड़ने वाले सबसे बड़े पक्षी के रूप है, सारस भले ही बोलकर अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकता है, लेकिन वे अपने जोड़े के साथ जिंदगीभर हर मुश्किल समय में दूसरे के साथ खड़े रहते हैं।

रामायण की प्रथम पंक्ति में है उल्लेख- सारस पक्षी का अपना विशिष्ट सांस्कृतिक महत्व भी है, विश्व के प्रथम ग्रंथ रामायण के प्रथम श्लोक का श्रेय सारस पक्षी को जाता है। रामायण का आरंभ एक प्रणयरत सारस-युगल के वर्णन से होता है, प्रातःकाल की बेला में जब महर्षि वाल्मीकि सारस युगल को देख रहे थे तभी एक शिकारी द्वारा इस जोड़े में से एक सारस की हत्या कर दी जाती है। जोड़े का दूसरा पक्षी उसके वियोग में अपने प्राण दे देता है, ऋषि उस शिकारी को को श्राप देते हैं और उनके द्वारा दिए गए श्राप की ये दो पंक्तियां विश्व के महानतम ग्रंथ रामायण की प्रथम पंक्तियां बनती हैं।

धरती का सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी- सारस का औसत भार 7.2 किलो ग्राम तक होता है, इनकी लंबाई 176 सेमी. (5.6 - 6 फीट) तक हो सकती है। इनके पंखों का फैलाव 250 सेमी. (8.5 फीट) तक होता है, अपने इस विराट आकार के कारण इसको धरती के सबसे बड़े उड़ने वाले पक्षी की संज्ञा दी गई है। नर और मादा में ऐसा कोई साफ फर्क दिखाई नहीं देता है, लेकिन जोड़े में मादा को इसके अपेक्षाकृत छोटे शरीर के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है।

विश्वभर में सारस की 8 प्रजातियां- पूरे विश्व में इसकी कुल 8 प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें से 4 भारत में पाई जाती हैं। पांचवी साइबेरियन क्रेन भारत में से वर्ष 2002 में ही विलुप्त हो गई थी। भारत में सारस पक्षियों की कुल संख्या लगभग 5 से 10 हजार तक ही है।

यह अपने जीवनकाल में मात्र एक बार जोड़ा बनाते है- इस पक्षी को प्रेम और समर्पण का प्रतीक मानते हैं, यह पक्षी अपने जीवनकाल में मात्र एक बार जोड़ा बनाता है। जोड़ा बनाने के बाद सारस युगल जीवनभर साथ रहते हैं, यदि किसी कारण से एक साथी की मृत्यु हो जाती है तो दूसरा बहुत सुस्त होकर खाना पीना बंद कर देता है जिससे प्रायः उसकी भी मृत्यु हो जाती है।।