कितना खतरनाक है H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस, जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीक़े

एच3एन2 वायरस से बचाव के लिए किन चीज़ों को करना चाहिए और किन्हें नहीं करना चाहिए उसे लेकर भी आईसीएमआर ने सलाह दी है। ये एक सामान्य इन्फ़्लुएंजा वायरस है जो बारिश या सर्दियों के मौसम में होता है। अगर बच्चे, बूढ़े या बीमार रहने वाले लोगों में संक्रमण के लक्षण दिखते हैं तो उन्हें ज़ल्द से ज़ल्द डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
 
H3N2 influenza virus

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

सेहत, 11 मार्च:- H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस एक वायरस है, जो श्वसन में संक्रमण पैदा करता है। यह वायरस पक्षियों और जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है। पक्षियों और दूसरे जानवरों में इसके कई स्ट्रेन्स पैदा हो चुके हैं। H3N2 वायरस इन्फेलूएंजा-ए वायरस का सबटाइप है। WHO और अमेरिका के CDC के मुताबिक, यह मनुष्यों में इन्फ्लूएंजा का अहम कारण है।

H3N2 Virus के लक्षण क्या हैं- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एवियन, स्वाइन और दूसरे ज़ूनॉटिक इन्फ्लूएंजा संक्रमण, मनुष्यों में ऊपरी श्वसन में हल्के से लेकर गंभीर संक्रमण पैदा कर सकते हैं। इसमें हल्के सर्दी, बुखार से लेकर गंभीर निमोनिया, एक्यूट रेस्पीरेटरी डिसट्रेस सिंड्रोम, शॉक और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। H3N2 के आम लक्षण कुछ ऐसे हैं जैसे कंपकपी खांसी, बुखार, मतली (उल्टी), गले में दर्द/गले में खराश, मांसपेशियों और शरीर में दर्द कुछ मामलों में दस्त नाक बहना और छींक आना
अगर किसी व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द या तकलीफ, लगातार बुखार आना या खाना खाने में गले में दर्द होता है, तो जरूर है कि डॉक्टर को दिखाया जाए, ताकि सही इलाज हो सके।

H3N2 Virus कैसे फैलता है- एच3एन2 इंफ्लूएंजा अत्याधिक संक्रामक वायरस है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में मुंह या नाक से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है। हमारे छींकने, खांसने और यहां तक कि बोलने पर जो बूंदें निकलती हैं, वह आसपास मौजूद लोगों को संक्रमित कर सकती हैं। एक संक्रमित सतह को छूने के बाद अपने मुंह या नाक को उसी हाथ से छू लेने से भी आप संक्रमित हो सकते हैं। गर्भवति महिलाएं, नौजवां बच्चे, उम्रदराज लोग और जो लोग पहले से गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, उनमें इस वायरस से संक्रमित होने का जोखिम और बढ़ जाता है।

H3N2 संक्रमण से बचने के लिए क्या सावधानी बरतें- इंडियन काउंसिल फ़ॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक़ कमज़ोर इम्युनिटी ख़ासकर बच्चे, बूढ़े और बीमार लोगों में इसके गंभीर लक्षण देखे जा सकते हैं।

01- प्लस ऑक्सीमीटर की मदद से लगातार ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें।
02- अगर ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 95 प्रतिशत से कम है तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं।
03- अगर ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 90 प्रतिशत से कम है तब इन्टेंशिव केयर की ज़रूरत पड़ सकती है।
04- ख़ुद दवाई लेना ख़तरनाक हो सकता है।
05- अगर बच्चों और बूढ़ों को बुख़ार और कफ़ जैसी समस्या होती है तो उन्हें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए
06- चूंकि ये संक्रमण वायरस से होता है इसलिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा है कि एंटिबायटिक के इस्तेमाल की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि एंटिबायटिक सिर्फ़ बैक्टीरिया में कारगर होते हैं।

H3N2 के संक्रमण को कैसे रोकें- आईसीएमआर ने संक्रमण को रोकने के उपाय बताए हैं, इसमें अधिकतर उन उपायों को ही बताया गया है जिन्हें कोरोना महामारी के दौरान लगातार अपनाए जाने की सलाह दी जाती थी। एच3एन2 वायरस से बचाव के लिए किन चीज़ों को करना चाहिए और किन्हें नहीं करना चाहिए उसे लेकर भी आईसीएमआर ने सलाह दी है। ये एक सामान्य इन्फ़्लुएंजा वायरस है जो बारिश या सर्दियों के मौसम में होता है। अगर बच्चे, बूढ़े या बीमार रहने वाले लोगों में संक्रमण के लक्षण दिखते हैं तो उन्हें ज़ल्द से ज़ल्द डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

नोट- किसी भी परिस्थिति में अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले, यहाँ दी गई जानकारी से भी अलग लक्षण हो सकते है।