एक साधारण परिवार का युवक अनिल नागर कैसे बना जरायम की दुनिया का अनिल दुजाना

मोस्ट वॉन्टेड माफियाओं की गिनती कम करना यूपी में योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने शुरू कर दिया है। जिसमें अनिल दुजाना का नंबर-1 रहा है, आगे अब 61 में से बाकी बचे 60 में अगला नंबर किसका है? यह फिलहाल न पुलिस जानती है और न ही वो बाकी बचे 60 मोस्ट वॉन्टेड माफिया, जिनका आइंदा आज नहीं तो कल एक-एक करके नंबर लगना तय है या वो अनिल दुजाना, असद खान, गुलाम के हाल से सिहर कर सुधर जाएंगे। वरना अपना आगे का रास्ता वे खुद अपनी मर्जी से बनाएंगे।
 
Anil Dujana

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

हटके, 05 मई:- पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ‘माफिया डॉन’ और मोस्ट वॉन्टेड बदमाश अनिल नागर को, जरायम की दुनिया में हर कोई ‘अनिल दुजाना’ के ही नाम से जानता-पहचानता रहा था। असल में तो उसका नाम सरकारी कागजातों में अनिल नागर था, उसे उसके अपने चहेते अक्सर प्यार से कभी कभार अनिल गुर्जर के नाम से भी बुलाते थे। जबकि अनिल नागर के नाम से उसे पुलिस के अलावा और अपने परिवार या दुजाना गांव वालों के अलावा, शायद बहुत कम लोग ही जानते हों। देश की राजधानी दिल्ली से चंद मील की दूरी पर बसे, यूपी के दुजाना गांव का लड़का अनिल नगार, कैसे उस नौबत तक आ पहुंचा कि जिसे काबू करने के लिए, गुरुवार 04 मई को यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स जैसी दबंग फोर्स के शूटर्स को मोर्चा लेने के लिए मय हथियार मैदान में उतरना पड़ गया।

अनिल नागर कैसे बना अनिल दुजाना- पहले तो यह जानना जरूरी है कि अनिल दुजाना हाल ही में यूपी पुलिस द्वारा तैयार, सूबे के 61 मोस्ट वॉन्टेड माफियाओं की लिस्ट में शुमार था। इस हिसाब से यह भी कह सकते हैं कि उस ब्लैक लिस्ट में शामिल, मोस्ट वॉन्टेड माफियाओं की गिनती कम करना यूपी में योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने शुरू कर दिया है। जिसमें अनिल दुजाना का नंबर-1 रहा है, आगे अब 61 में से बाकी बचे 60 में अगला नंबर किसका है? यह फिलहाल न पुलिस जानती है और न ही वो बाकी बचे 60 मोस्ट वॉन्टेड माफिया, जिनका आइंदा आज नहीं तो कल एक-एक करके नंबर लगना तय है या वो अनिल दुजाना, असद खान, गुलाम के हाल से सिहर कर सुधर जाएंगे। वरना अपना आगे का रास्ता वे खुद अपनी मर्जी से बनाएंगे।

शादी में मामूली झगड़े में किया था दो युवकों का कत्ल- अब से करीब 15 साल पहले गांव की बारात में हुए मामूली झगड़े को लेकर, उसने जब दिन दहाड़े छपरौला पुलिस चौकी के सामने 2 युवकों का कत्ल किया। तब फिर उसके बाद से अनिल दुजाना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अनिल दुजाना ने भी उन एक साथ दो कत्ल करने के बाद, अपने नाम के बाद में लगा ‘गुर्जर और नागर’ दोनों को ही हटा दिया, और जोड़ लिया ठीक वैसे ही अपने नाम के बाद गांव का नाम ‘दुजाना’ जैसा हमेशा दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब के अधिकांश माफिया डॉन और बदमाश करते हैं।

अपने नाम के साथ अपने गाँव की पहचान ली जोड़- अनिल दुजाना ने अपने नाम के साथ अपने गांव की पहचान जोड़ ली। ऐसे अनिल दुजाना की क्राइम कुंडली अगर खंगालें तो पता चलता है कि उसके ऊपर 18 से ज्यादा तो मर्डर के ही मुकदमे लदे हुए थे, इसके अलावा उसके ऊपर दर्ज कुल मुकदमों के बारे में पुलिस और एसटीएफ से बात करें तो उनकी संख्या 60 से ऊपर निकल जाती है। अनिल दुजाना मूल रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ही यूपी के दुजाना गांव का रहने वाला था, यह गांव जिला गौतमबुद्ध नगर के ग्रेटर नोएडा इलाके में मौजूद थाना बादलपुर क्षेत्र में स्थित है। आईपीसी की शायद ही वो ऐसी कोई संगीन धारा बाकी बची हो, जिसके अंतर्गत इस माफिया डॉन के खिलाफ थानों में मुकदमे दर्ज होने से बाकी बचे हों। राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब-हरियाणा तक इसके आतंक की गूंज थी। मगर इसकी तलाश में अधिकांश दिल्ली और यूपी पुलिस ही जुटी रहती थी। डबल मर्डर से आपराधिक जीवन की खोटी शुरुआत करने वाले अनिल दुजाना ने बाद में, तब के कुख्यात बदमाश नरेश भाटी का दामन थाम लिया था। सुंदर भाटी और नरेश भाटी में ‘नेता’ बनकर कानून की नजरों में धूल झोंकने की मैली हसरत हमेशा बलवती रही, यह अलग बात है कि नरेश भाटी ने वो बाजी जिला पंचायत सदस्य बनकर जीत ली। जबकि सुंदर भाटी वहां मात खा गया। बाद में सुंदर भाटी ने जब नरेश भाटी को निपटा दिया तो, बिना कुछ करे धरे ही अनिल दुजाना और सुंदर भाटी एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए।

आपस मे ही होने लगे गैंगवार- कहा जाता है कि नरेश भाटी के निपटने के बाद उसके गैंग की कमान खुद-ब-खुद ही अनिल दुजाना के हाथ में आ गई थी। सुंदर भाटी और अनिल दुजाना जब बराबर के और अपने अपने गैंग के ‘उस्ताद’ बन गए तो, उनमें कानून और पुलिस से बचने का रास्ता तलाशने की होड़ लग गई। क्योंकि दोनों ही गैंगस्टर एक दूसरे गैंग के बदमाशों को मिलकर निपटवाने लगे थे। लिहाजा सुंदर भाटी और अनिल दुजाना ने इसका तोड़ निकाला कि वे, किसी भी तरह से जोड़ तोड़ करके कोई छोटा-मोटा इलेक्शन लड़कर ‘नेता-सफेदपोश’ बन सकें। इस काम में हाथ सुंदर भाटी ने भी आजमाया मगर किस्मत ने साथ नहीं दिया, जिला पंचायत सदस्य का इलेक्शन अनिल दुजाना ने तो कहते हैं कि जेल के अंदर रहते हुए ही लड़ा था। साल 2011 में दिल्ली से सटे यूपी के साहिबाबाद स्थित वैंक्वट हॉल में हुए खून खराबे के बाद, रणदीप भाटी, अमित कसाना से खूंखार गैंगस्टर भी अनिल दुजाना के करीब पहुंच गए। इसी बीच साहिबाबाद वैंक्वेट हाल में हुए खून खराबे के बदले के बतौर सुंदर भाटी गैंग ने दुजाना गांव के भीतर घुसकर अनिल दुजाना के छोटे भाई जयभगवान को मार डाला। फरवरी 2019 में अनिल दुजाना ने ग्रेटर नोएडा कोर्ट में बागपत की रहने वाली एक महिला से सगाई और फिर फरवरी 2021 में जेल से बाहर आने पर उससे शादी कर ली थी। जिस तरह से अनिल दुजाना नरेश भाटी का खास हुआ करता था, उसी तरह से लोनी (गाजियाबाद) का सतवीर गुर्जर का सुंदर भाटी करीबी हुआ करता था।