जिस देश मे कंकड़-पत्थर के नहीं बल्कि सोने के है पहाड़, उस देश की 90 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे

इस अफ्रीकी देश का जिक्र होते ही आंखों के सामने गरीबी की तस्वीर नजर आने लगती है। पिछले साल जो सबसे गरीब देशों की सूची जारी की गई, उसमें सूडान का नंबर 40वां था। अनुमान के मुताबिक वैश्विक प्रति व्यक्ति आय को देखें तो 90 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे होगी। वो भी तब जब सूडान की मिट्टी में सोना बिखरा पड़ा है, यहां कंकड़-पत्थर के नहीं बल्कि सोने के ‘पहाड़’ हैं।
 
why is sudan burning
आखिर क्यों जल रहा है सूडान- जिस देश की मिट्टी में सोना बिखरा पड़ा, जिस देश के लोगो को ईश्वर ने दिया एक वरदान क्या वही अब लोगों के लालच की वजह से बन रहा श्राप।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

हटके, 28 अप्रैल:- कुछ साल पहले आई बॉलीवुड की एक फिल्म ‘तुम्बाड’ तो आपको याद ही होगी, कहानी है जहां फिल्म के मुख्य किरदार को एक शापित देवता से सोने का खजाना मिल जाता है। समय के साथ लालच बढ़ता है और आखिर में इसकी कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है। इन दिनों सूडान में जो कुछ हो रहा है, उसे देख यकायक ही यह फिल्म याद आ जाती है। इस अफ्रीकी देश का जिक्र होते ही आंखों के सामने गरीबी की तस्वीर नजर आने लगती है। पिछले साल जो सबसे गरीब देशों की सूची जारी की गई, उसमें सूडान का नंबर 40वां था। अनुमान के मुताबिक वैश्विक प्रति व्यक्ति आय को देखें तो 90 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे होगी। वो भी तब जब सूडान की मिट्टी में सोना बिखरा पड़ा है, यहां कंकड़-पत्थर के नहीं बल्कि सोने के ‘पहाड़’ हैं।

सोने की लालच ले डूबेगी- मगर लगता है कि ‘तुम्बाड’ की तरह लालच सूडान को भी ले डूबा है, अफ्रीका में सबसे ज्यादा सोने का भंडार सूडान के पास ही है। ईश्वर ने इस देश को एक ‘वरदान’ दिया था, लेकिन यहां के लोगों के लालच की वजह से उसे ‘श्राप’ बनते देर ना लगी। आज जो सूडान सुलग रहा है, उसके पीछे यही लालच है। 1956 में जब सूडान अंग्रेजों से आजाद हुआ तब यहां तेल के विशाल भंडार का पता चला। साथ ही सोने की खदानें भी मिलीं। 2011 में दक्षिण सूडान अलग देश बना तो अधिकतर कच्चे तेल का खजाना उसके हाथों में चला गया। मगर ऐसा नहीं था कि सूडान अचानक से गरीब हो गया, अगले ही साल दार्फूर में जेबल अमीर नाम की जगह में सोने की नई खदान का पता चला। लोगों को जैसे ही भनक लगी, हजारों लोग फावड़ा-कुदालें लेकर पहुंच गए। ठीक तुम्बाड फिल्म की तरह। कुछ तो अमीर बन गए, लेकिन बाकियों को श्राप लग गया, कोई कुचलकर मारा गया तो कोई जहरीले पारे और आर्सेनिक के संपर्क में आकर जान गंवा बैठा।

सुलग रहा सूडान- बाद में कबायली नेता मूसा हलील ने बंदूक की नोक पर इसे कब्जे में ले लिया। 800 से ज्यादा लोगों का कत्लेआम किया और खदान को कब्जे में ले लिया। मूसा ओमर अल बशीर का समर्थक माना जाता था, उसने बशीर सरकार के अलावा दूसरों को भी सोना बेचना शुरू कर दिया। साल 2017 में RSF ने यहां पर अपना कब्जा जमा लिया। इसी के दम पर मोहम्मद हमदान दगालो ने अपनी ताकत को बढ़ाया। देखते ही देखते दगालो की पावर आसपास के देशों तक फैलने लगी। दगालो को हेमेदती भी कहा जाता है, 2019 में अल बशीर की सरकार गिरी तो सूडान की कमान दो ऐसे शख्स के हाथों में चली गई, जिनके हाथों में बंदूक थी। हेमेदती और अल बुरहान। आज जो संघर्ष हो रहा है, वो इन्हीं दोनों के बीच है। साल 2022 में सूडान ने 18 टन (16,330 किलो) सोने का प्रोडक्शन किया। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड था, सूडान में सोना तो इतना कि अगर कानूनी रूप से इस्तेमाल हो तो सूडान को अमीर होते समय नहीं लगेगा। दुनिया के रईस देशों की नजरें भी इसी वजह से सूडान पर रहती हैं। मगर विडंबना यह है कि 75 से 80 फीसदी तक सोने की तस्करी देश से बाहर हो जाती है। CNN की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन से जंग के बीच रूस सूडान से सोना गैर कानूनी तरीके से तस्करी कर रहा है। रूस ने इसके लिए सूडान के सैन्य शासकों से हाथ मिला लिया है, रूस अकेला नहीं है। UAE सूडान से सोना आयात करने में सबसे आगे है।