पश्चिम बंगाल में फैलने वाला एडिनोवायरस क्या है, लक्षण-इलाज और बचाव के तरीके क्या है

इस वायरस से बचने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर पर कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से हाथ धोना चाहिए। गंदे हाथों से आंख, नाक और मुंह को छूने से बचना चाहिए, जो लोग बीमार हैं, उनके संपर्क में आने से भी बचकर रहना चाहिए। अगर आप बीमार हैं तो घर पर ही रहें, खांसते या छींकते समय टीशू का इस्तेमाल करें। अपने बर्तन दूसरों के साथ शेयर करने से भी बचें। सीडीसी के मुताबिक, एडिनोवायरस की कोई खास दवा या इलाज मौजूद नहीं है, ज्यादातर एडिनोवायरस इन्फेक्शन में हल्के लक्षण होते हैं और दर्द या बुखार की दवा से ये ठीक हो जाता है।
 
Adinovirus

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

सेहत, 05 मार्च:- पश्चिम बंगाल में गर्मी बढ़ने के साथ डॉक्टर भी एडिनोवायरस के संक्रमण को कम करने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन बुखार और सांस की समस्या से पीड़ित बच्चों की मृत्यु कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है, रविवार की सुबह फिर से बच्चों की मौत की खबर आई। बीसी रॉय चिल्ड्रन हॉस्पिटल (बीसी रॉय अस्पताल) में दो और बच्चों की मौत हो गई, कोलकाता में 5 बच्चों की मौत हो गई। इस तरह से पिछले नौ दिनों में बच्चों की मृत्यु की आंकड़ा 40 से पार कर गया है। राज्य सरकार ने ऐतिहाती कदम उठाये हैं, लेकिन मृत्यु दर कमने का नाम नहीं ले रही है। माटियाबर्जु और मिनाखा के दो बच्चों की मृत्यु हो गई, माटियाबुर्ज से सटे नदियल थाना क्षेत्र की निवासी अतीफा खातुन को पिछले रविवार को बुखार के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था, हालांकि कुछ दिनों के लिए उपचार के बावजूद उनकी शारीरिक स्थिति में सुधार नहीं हुआ। बच्चे के परिवार का दावा है कि स्वास्थ्य लगातार गिरता गया, सुबह सात माह के बच्चे की मौत हो गई।

एडिनोवायरस है क्या- एडिनोवायरस इन्फेक्शन एक वायरल बीमारी है जो एडिनोवायरस की वजह से होती है। ये रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट यानी सांस की नली पर हमला करता है, इससे संक्रमित होने पर आम कोल्ड जैसा संक्रमण होता है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, एडिनोवायरस से किसी भी उम्र का व्यक्ति कभी भी संक्रमित हो सकता है। छोटे बच्चों को इससे ज्यादा खतरा है। पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि दो साल तक के बच्चों को इसका सबसे ज्यादा खतरा है। इससे बड़ी उम्र के बच्चों के इससे संक्रमित होने के कम चांसेस हैं।

इसके लक्षण क्या हैं- इससे संक्रमित होने पर कॉमन कोल्ड या फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसके अलावा बुखार, गले का सूखना, एक्यूट ब्रोंकाइटिस जैसी समस्या भी आती है। इन सबके अलावा निमोनिया, आंखों में गुलाबीपन (कॉन्ज्यूक्टिविटीज), डायरिया, उल्टी और पेट दर्द जैसी शिकायत भी होती है। कुछ लोगों को ब्लेडर इन्फेक्शन भी हो सकता है।

कैसे फैलता है ये वायरस- चूंकि ये वायरल बीमारी है इसलिए किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है। हवा के जरिए भी खांसने या छींकने से ये फैल सकता है। अगर किसी सतह पर एडिनोवायरस मौजूद है और उसे आप छूते हैं या उसके संपर्क में आते हैं तो वायरस की चपेट में आ सकते हैं। सीडीसी के मुताबिक, कई बार एडिनोवायरस संक्रमित व्यक्ति के मल से भी फैल सकता है, उदाहरण के लिए डायपर बदलने के दौरान। कई बार स्विमिंग पूल से भी ये फैल सकता है, लेकिन ये कम आम है। 

इलाज और बचाव के तरीके क्या- सीडीसी का कहना है कि इस वायरस से बचने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर पर कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से हाथ धोना चाहिए। गंदे हाथों से आंख, नाक और मुंह को छूने से बचना चाहिए, जो लोग बीमार हैं, उनके संपर्क में आने से भी बचकर रहना चाहिए। अगर आप बीमार हैं तो घर पर ही रहें, खांसते या छींकते समय टीशू का इस्तेमाल करें। अपने बर्तन दूसरों के साथ शेयर करने से भी बचें। सीडीसी के मुताबिक, एडिनोवायरस की कोई खास दवा या इलाज मौजूद नहीं है, ज्यादातर एडिनोवायरस इन्फेक्शन में हल्के लक्षण होते हैं और दर्द या बुखार की दवा से ये ठीक हो जाता है।