जब तकनीकें नहीं थीं, तब प्रेग्नेंसी और गर्भ में पल रहे संतान के बारे में लोग कैसे पता करते थे

पुराने समय में इस्तेमाल किए जानेवाले ये नुस्खे अब चलन से बाहर हो चुके हैं, प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए होम किट बेहद किफायती कीमतों में उपलब्ध है। हालांकि गर्भ में लिंग की जांच करना या कराना अब कानूनन जुर्म है। गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान एक्ट, 1994 के तहत गर्भाधारण पूर्व या बाद लिंग चयन और जन्म से पहले लिंग परीक्षण करना कानूनन जुर्म है, भ्रूण परीक्षण के लिए सहयोग करना और यहां तक कि प्रचार करना या विज्ञापन देना भी जुर्म है। इसके लिए 3 से 5 साल तक की जेल और 10 हजार से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
 
गर्भावस्था

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

हटके, 19 फरवरी:- मां बनना महिलाओं के लिए बेहद बड़ी खुशी होती है, प्रेग्नेंसी की खबर न केवल दंपती बल्कि पूरे परिवार के लिए बहुत बड़ी गुड न्यूज होती है। प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए आजकल कई सारे तरीके हैं, एक छोटी-सी किट, उसपे यूरिन की दो बूंद और प्रेग्नेंसी का तुरंत पता लग जाता है। गर्भ में पल रहा बच्चा बेटा है या बेटी, इसकी जांच कानून के दायरे में अपराध है, लेकिन पहले अल्ट्रासाउंड के जरिये लोग इसका पता लगा लेते थे। अब जरा सोचिए कि जब ऐसी तकनीकें नहीं थीं, तब प्रेग्नेंसी और गर्भ में पल रही संतान के बारे में लोग कैसे पता करते होंगे! कहते हैं तब प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए प्रोसेस बिल्कुल ही अलग होती थीं। कई बार तो जानलेवा भी, पहले इसका पता लगाने के लिए विभिन्न किस्म के अनुष्ठान होते थे। कभी-कभी इस प्रक्रिया में टाइम लगता था, तो कुछ की जान खतरे में पड़ जाती थी।

चेहरे का रंग- हिप्पोक्रेट्स ने दो तरीके सुझाए, प्रसव में महिला का रंग बच्चे के लिंग का भी संकेत दे सकता है। चेहरे पर पीलापन है तो लड़की का जन्म होगा और गुलाबी है लड़के का जन्म होगा।

गेहूं और जौ पर पेशाब- प्राचीन मिस्र में एक बार एक महिला को गर्भावस्था का निर्धारण करने के लिए एक बहुत ही नायाब तरीका पेश किया गया था। गर्भवती महिला को दो प्रकार के अनाज मसलन गेहूं और जौ से भरे थैलों पर पेशाब करना पड़ता था। इस घटना में जौ पहले अंकुरित हुआ तो लड़का पैदा होना चाहिए और अगर गेहूं पहले हुआ तो लड़की पैदा होगी। अगर बीज अंकुरित नहीं हुए, तो समझा जाता था कि कोई गुड न्यूज नहीं है।

ब्रेस्ट के निप्पल की दिशा- इसके अलावा प्रसव के दौरान महिला के निप्पल की दिशा देखकर भी बच्चे के लिंग की जांच की जाती थी। अगर निपल्स नीचे की ओर है तो लड़की होगी और ऊपर की ओर है तो लड़का होगा।

खरगोश की यौन गतिविधि- 1927 में चिकित्सकों बर्नार्ड सोंडेक और सेल्मर एशहाइम ने एक पद्धति का अभ्यास किया था। उन्होंने खरगोशों का उपयोग करने का सुझाव दिया। मां के पेशाब को सिरिंज से मादा खरगोश के शरीर में इंजेक्ट किया गया, जिसके बाद अगले कुछ दिनों तक उसकी यौन गतिविधियों पर नजर रखी गई और फिर अंदाजा लगाया गया।

मेंढक में यूरिन इंजेक्ट- एक और विधि थी। हॉगबेन परीक्षण, जो बहुत ही पुराना है, महिलाओं के मूत्र को एक सिरिंज से मादा मेंढक की त्वचा में इंजेक्ट किया जाता। यह पता चला कि यदि कोई महिला गर्भवती है, तो 5-12 घंटों के बाद मेंढक एक छोटे से आकार का सफेद अंडा पैदा करेगा। इस परीक्षण के परिणामों पर बिना शर्त विश्वास किया गया।

कॉकटेल का नुस्खा- प्राचीन ग्रीस में गर्भावस्था परीक्षणों का अभी तक आविष्कार नहीं हुआ था। मतली, उल्टी, बीमारी, भूख की कमी और मासिक धर्म की कंटीन्यूटी ब्रेक से ही पता लगाया जाता था। प्रसिद्ध प्राचीन यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स ने गर्भावस्था का पता लगाने के लिए अपने मरीजों को एक विशेष कॉकटेल पीने की पेशकश की। इसको पीने के बाद अगर गर्भवती महिला को ऐंठन महसूस हुई तो गुड न्यूज़ वर्ना कोई उम्मीद नहीं।

रूस की करामाती ‘माला’- प्राचीन रूस में गर्भावस्था का निर्धारण करने के लिए एक बहुत ही अनोखा तरीका निकाला गया था। प्राचीन रूस में एक शादी के दौरान लड़की के गले में एक छोटा धागा या माला डाली जाती थी, जब वे छोटे हो गए और उन्हें हटाना पड़ा, तो लड़की को गर्भवती माना जाने लगा। जानकारों की राय में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में थायरॉयड ग्रंथि में वृद्धि आम है।

गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान एक्ट, 1994- पुराने समय में इस्तेमाल किए जानेवाले ये नुस्खे अब चलन से बाहर हो चुके हैं, प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए होम किट बेहद किफायती कीमतों में उपलब्ध है। हालांकि गर्भ में लिंग की जांच करना या कराना अब कानूनन जुर्म है। गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान एक्ट, 1994 के तहत गर्भाधारण पूर्व या बाद लिंग चयन और जन्म से पहले लिंग परीक्षण करना कानूनन जुर्म है, भ्रूण परीक्षण के लिए सहयोग करना और यहां तक कि प्रचार करना या विज्ञापन देना भी जुर्म है। इसके लिए 3 से 5 साल तक की जेल और 10 हजार से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। गर्भवती महिला का जबरन गर्भपात कराना भी जुर्म है, जिसके लिए धारा 313 के तहत आजीवन कारावास और जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं धारा 314 के तहत गर्भपात के क्रम में अगर महिला की मौत हो जाती है तो 10 साल की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।