सांगीपुर की घटना के आरोपियों की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने लगाई अन्तरिम रोक।

माननीय उच्च न्यायालय ने कहा कि जब तक विवेचना के दौरान आरोपियों के अपराध में संलिप्त होने के पुख्ता सबूत न मिलें तब तक गिरफ्तारी न की जाए और आरोपीगण विवेचना के दौरान पूंछतांछ में पूरा सहयोग देंगे।
सांगीपुर की घटना के आरोपियों की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने लगाई अन्तरिम रोक।

सांगीपुर की घटना के आरोपियों की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने लगाई अन्तरिम रोक।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

प्रयागराज, 3 नवम्बर।

माननीय उच्च न्यायालय ने कहा कि जब तक विवेचना के दौरान आरोपियों के अपराध में संलिप्त होने के पुख्ता सबूत न मिलें तब तक गिरफ्तारी न की जाए और आरोपीगण विवेचना के दौरान पूंछतांछ में पूरा सहयोग देंगे।

उल्लेखनीय है कि सांगीपुर ब्लाक सभागार में पचीस सितंबर को एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान भाजपा तथा कांग्रेस समर्थकों मे भिड़ंत हो गयी थी। घटना को लेकर सांसद संगमलाल गुप्ता के सेक्रेटरी सुनील कुमार, देवेन्द्र प्रताप सिंह, अभिषेक कुमार मिश्रा, ओमप्रकाश पाण्डेय द्वारा पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी तथा क्षेत्रीय विधायक आराधना मिश्रा मोना समेत कई कांग्रेस समर्थकों के खिलाफ मारपीट व हमले की एफआईआर दर्ज करायी गयी थी।

सांगीपुर के तत्कालीन कोतवाल तुषार दत्त त्यागी द्वारा भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरुद्ध एफआईआर लिखाई गई। हालांकि कोतवाल तुषार दत्त त्यागी ने दर्ज कराये गये मुकदमें मे प्रमोद तिवारी तथा विधायक मोना की घटना में किसी भी प्रकार की भूमिका नही दर्शायी।

पुलिस ने इस मामले में नौ आरोपियों को अज्ञात के रूप मे चिन्हिंत कर जेल भेज दिया था। जबकि एक अन्य आरोपी को बाद में गिरफ्तार किया था।

पुलिस द्वारा आरोपियों के यहां दबिश को लेकर चंद्रशेखर सिंह समेत कई अन्य ने पुलिस कार्रवाई को गलत ठहराते हुए हाईकोर्ट मे याचिका दायर की।

हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति श्री डीके उपाध्याय एवं न्यायमूर्ति श्रीमती सरोज यादव की डिवीजन बेंच ने एफआईआर दर्ज कराने वालों की मेडिकल रिपोर्ट का भी अवलोकन किया।

मेडिकल रिपोर्ट में साधारण चोटों को प्रदर्शित देख हाईकोर्ट ने इस पर पुलिस द्वारा धारा 307 लगाये जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया।

डिवीजन बेंच ने सरकारी पक्ष से यह भी सवाल पूछा है कि वह बताए कि एक ही समय पर घटी एक ही घटना मे छः एफआईआर लिखाये जाने का क्या औचित्य है।

अधिवक्ता ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने बताया कि एफआईआर के खिलाफ दायर याचिका के समर्थन में बहस करते हुए हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीबी पाण्डेय तथा सहायक अधिवक्ता शैलेन्द्र कुमार ने घटना के सभी तथ्यों को प्रस्तुत किया।

आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने के आदेश को लेकर बुधवार को यहां कांग्रेसी खेमे में खुशी देखी गई।