भीषण गर्मी के तपन के बीच बिकरू गांव की हवा में भी बेचैनी का माहौल, वीरान पड़ा है खौफ का साम्राज्य।।

 
भीषण गर्मी के तपन के बीच बिकरू गांव की हवा में भी बेचैनी का माहौल, वीरान पड़ा है खौफ का साम्राज्य।।

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ, 04 जुलाई:- साल 2020 में कानपुर का बिकरू कांड बेहद चर्चित रहा, एक साल पहले बिकरु गांव किस रास्ते पर जाएगा इसे विकास दुबे तय करता था। आज एक साल बाद यह रास्ता तो उसी गांव की तरफ ही जा रहा है लेकिन बिकरु किस रास्ते पर जाएगा इसे अब वहां के रहने वाले लोग और लोकतंत्र की बहाली के बाद चुनी गई नई प्रधान तय कर रही हैं। कानपुर के इस गांव में भीषण गर्मी के बीच हवा में भी बेचैनी का माहौल है। आमतौर पर ऐसे गांवों में कोई खास बात नहीं होती, लेकिन बिकरू पिछले साल कुछ अलग वजहों से चर्चा में आया था।

आज भी गाँव के लोगो मे कायम है खौफ:- इस गांव में लोग अब भी सावधानी से चलते हैं, महिलाएं आधे खुले दरवाजों के पीछे से संदेह से देखती हैं और निश्चित रूप से आज भी अजनबियों का खुले हाथों से स्वागत नहीं किया जाता है। ठीक एक साल पहले कानपुर के पास बिकरू गांव गोलियों की आवाज से गूंज उठा था, जिसमें तीन जुलाई की तड़के आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी।

उस भीषण शुक्रवार को गांव में सुबह के सूरज ने गलियों में खून और लाशें देखीं थीं:- जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, पुलिस की तमाम गाड़ियाँ पहुंचने से गाँव जल्द ही पुलिसकर्मियों और मीडियाकर्मियों से भर गया चीख-पुकार और चीख-पुकार के बीच संदिग्ध आरोपियों के परिवार के सदस्यों को उनके घरों से बाहर निकाल दिया गया। नाम न बताने की शर्त पर एक युवती ने कहा, मैं उस दिन को कभी नहीं भूल सकती। मैं अब भी आधी रात को पसीने से तर हो जाती हूं। चीखें और गोलियां हवा में गूंजती हैं।

विकास दुबे का महल अब मलबे में दब चुका है:- विकास दुबे जिस महलनुमा घर में रहता था, वह पहले ही मलबे में दब चुका है। लोहे के तीन दरवाजे जमीन पर पड़े हैं। परिसर में कुछ लग्जरी कारें और दो ट्रैक्टर देखे जा सकते हैं। घटना के बाद मारे गए गैंगस्टर के परिवार में से कोई भी दोबारा उस ध्वस्त इमारत में नहीं गया है। गांव के रहवासी टूटे मकान के आसपास कहीं भी निकलने से कतरा रहे हैं। जिन परिवारों के विकास दुबे से दोस्ती थी, वे अब गैंगस्टर के साथ किसी भी तरह के संबंध को मानने से इनकार करते हैं।

बिकरु गाँव के लोगो के दिमाग मे अभी भी जिंदा है विकास:- 10 जुलाई 2020 को विकास दुबे पुलिस एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया था, विद्युत शवदाह गृह में उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था। लेकिन बिकरु गांव और आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जेहन में आज भी विकास दुबे जिंदा है, लोग यकीन मानने को तैयार नहीं है कि, विकास दुबे अब इस दुनिया में नहीं है। उनके अजीब अजीब तर्क हैं, उनका कहना है कि, विकास दुबे की दोनों पैरों में लोहे की रॉड पड़ी थी, विकास दुबे का जब अंतिम संस्कार किया गया तो उसकी लोहे की रॉड नहीं मिली, ऐसे में गांव और आसपास यह चर्चा आज भी जारी है कि विकास दुबे अभी भी जिंदा है।

बिकरु कांड का घटनाक्रम

02 जुलाई- रात करीब 12:45 पर गैंगस्टर विकास दुबे ने साथियों के साथ मिलकर 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी।

03 जुलाई- सुबह करीब 7 बजे पुलिस ने गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर कांशीराम नवादा गांव स्थित मंदिर में दबिश देकर विकास के दो अहम गुरू को अतुल दुबे और प्रेम प्रकाश पांडे को मुठभेड़ में मार गिराया।

05 जुलाई- सुबह 4 बजे पुलिस ने विकास के नौकर दयाशंकर उर्फ कल्लू को मुठभेड़ के दौरान कल्याणपुर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया, इसी दिन विकास पर घोषित इनाम की धनराशि बढ़ाकर एक लाख कर दी गई।

08 जुलाई- सुबह लगभग सात बजे हमीरपुर के मौदहा क्षेत्र में विकास दुबे के खास गुर्गे और पारिवारिक अमर दुबे को मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने ढेर कर दिया, इसी दिन सुबह करीब 8 बजे घटना से जुड़े बिकरु निवासी श्यामू बाजपेई को गांव से ही कुछ दूर पर बेला मार्ग के निकट मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया।

09 जुलाई- सुबह फरीदाबाद से गिरफ्तार प्रभात मिश्रा को STF ने तब मार गिराया जब मौका पाते ही उसने पुलिस पर हमला बोल दिया। इसी दिन विकास के एक अन्य साथी प्रवीण दुबे को पुलिस ने इटावा के पास मार गिराया। 09 जुलाई को ही बिकरू कांड का मास्टरमाइंड कुख्यात विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से गिरफ्तार कर लिया गया।

10 जुलाई- सुबह लगभग 6:30 बजे यूपी एसटीएफ की टीम ने विकास को उस समय ढेर कर दिया जब उसने मौका पाते ही एसटीएफ से पिस्तौल छीन भागने का प्रयास किया और बचाव में एसटीएफ पर फायरिंग शुरू कर दी।।