नेताजी सुभाष चंद्र बोस की राजनीतिक विचारधारा पर एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ में व्याख्यान का आयोजन हुआ।

यह कार्यक्रम ऑनलाइन मोड पर आयोजित किया गया, जिसमें निदेशक एमिटी स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग, प्रो. जगबीर सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की राजनीतिक विचारधारा पर एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ में व्याख्यान का आयोजन हुआ।

डा. एस. के. पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 5 मार्च।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की राजनीतिक विचारधारा पर एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ में व्याख्यान का आयोजन हुआ।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती समारोह वर्ष के अवसर पर एमिटी स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज (एएलएस), एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ परिसर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की राजनीतिक विचारधारा पर आज एक ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया।

यह कार्यक्रम ऑनलाइन मोड पर आयोजित किया गया, जिसमें निदेशक एमिटी स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग, प्रो. जगबीर सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।

मुख्य अतिथि प्रो जगबीर सिंह ने कहा कि जैसा कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य और आधुनिक विचारधारा के समय में चर्चा के दौरान यह साफ हो जाता है कि इतिहास में भारत के अस्तित्व को बचाने और बढ़ाने में किसनेे अधिक प्रभावी योगदान दिया है। आप सच को अधिक समय तक छुपाकर नहीं रख सकते।

प्रो जगबीर ने यह भी चर्चा की कि आजादी के बाद भीे नेताजी के विचार उतने ही प्रासंगिक और महत्वपूर्ण हैं जितने कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान थे।

प्रो. जगबीर ने महात्मा गांधी और नेताजी के बीच उनके प्रारंभिक जीवन, निर्वासन और विभाजन पर भी चर्चा की। अंत में, उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिए गए संदेशों में से कुछ को साझा किय। उन्होंने बताया कि नेताजी ने कहा था ‘एक व्यक्ति राष्ट्र के लिए अपने विचारों के खातिर मर सकता है, लेकिन यह विचार उसकी मृत्यु के बाद, हजारों जीवन में खुद को जीवित रखेगा।

अतिथियों का स्वागत करते हुए, प्रो. कुमकुम रे, निदेशिका एएलएस ने प्रसिद्ध गीत कदम-कदम बढ़ाए जा ’ को उद्धृत करते हुए कहा कि यह अफ़सोस की बात है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृतियों को इतिहास की किताबों और यादों से मिटाने का प्रयास किया गया। भले ही विक्टोरिया मेमोरियल, कलकत्ता में उनके जीवन से जुडी प्रदर्शनी हों, भले ही वह विश्व स्तरीय टाइम मैगज़ीन का चेहरा हों, लेकिन यह इस मुद्दे को हल नहीं करता है कि भारतीय धीरे-धीरे उन्हें क्यों भूल रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि नेताजी बराबर की लड़ाई में विश्वास करते थे, नेताजी ने राष्ट्र को जीवित रखने के लिए युवाओं को संदेश दिया था – स्वतंत्रता की रक्षा के लिए जो असंख्य बलिदानों पर आधारित है उसकी रक्षा के लिए हमेशा दृढ़ रहना होगा।

प्रो कुमकुम रे ने कहा कि हमें नेताजी के करीबियों और उनकी मां, पत्नी और बेटी के योगदानों को भी याद रखना चाहिए। स्वतंत्र भारत के लोगों को नेताजी के सशक्त शब्दों को याद रखना चाहिए – “हिंदुस्तान का सर आसमान में उठाए जा।”

कार्यक्रम के दौरान एएसएल की सोनम श्रीवास्तव द्वारा नेताजी के जीवन, उनकी राजनीतिक उपलब्धियों और नीतियों, उनके विचारों पर आधारित एक पावर पॉइंट प्रस्तुति दी गई।

कार्यक्रम में एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ परिसर के विभिन्न विभागों के छात्रों ने भाग लिया, जिसमें से आठ प्रतिभागियों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर तैयार किए वृत्तचित्र प्रस्तुत किए।

अंत में प्रियांशी श्रीवास्तव, फैकल्टी एएसएल द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।