कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि जनता को भड़काने के बजाय अखिलेश यादव को पीड़ितों की मदद करना चाहिए।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि अखिलेश यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन अब वह बयानवीर नेता बन कर गैर-जिम्मेदारी वाले ट्वीट कर रहे हैं।
 
कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि जनता को भड़काने के बजाय अखिलेश यादव को पीड़ितों की मदद करना चाहिए।

डाo शक्ति कुमार पाण्डेय
विशेष संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

लखनऊ, 28 अप्रैल।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी को लेकर किए गए ट्वीट को अनुचित बताया है।

मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि अखिलेश यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन अब वह बयानवीर नेता बन कर गैर-जिम्मेदारी वाले ट्वीट कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सपा नेता को जिम्मेदारी भरा व्यवहार करते हुए जनता को भड़काने वाले ट्वीट करने से उन्हें बचना चाहिए। कोरोना महामारी के समय में जनता को भड़काने की बजाय अखिलेश को पीड़ितों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को एक ट्वीट कर प्रदेश सरकार पर ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया था।

अखिलेश यादव के इस आरोप के जवाब में कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने बेहद संयमित तरीके से अखिलेश को उनकी जिम्मेदारियों का अहसास कराया। कहा है कि लोकतंत्र में विपक्ष के नेता का काम सिर्फ सरकार की आलोचना करने का ही नहीं होता है।

सुरेश खन्ना ने कहा कि महामारी के समय सरकार के साथ सहयोग करते हुए विपक्ष को जनता की मदद भी करनी चाहिए। हाथ पर हाथ रखे हुए घर में बैठ कर सिर्फ बयान जारी करने के बचना चाहिए। अगर सपा नेताओं को कोरोना पीड़ितों की इतनी चिंता है तो आगे आएं और सरकार के प्रयासों में  हाथ बटाएं।

मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि गरीब से गरीब व्यक्ति के इलाज को लेकर सरकार निजी अस्पतालों को इलाज का सारा पैसा देने का ऐलान कर चुकी है। सरकार कोरोना संक्रमित हर व्यक्ति के बेहतर इलाज को लेकर अस्पतालों में बेड से लेकर अन्य सुविधाओं का इजाफा कर रही है।

पूरे पांच साल सत्ता में रहने के बाद भी अखिलेश यादव को प्रदेश के हर सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर लगवाने की सुध नहीं आई थी। प्रदेश सरकार वर्ष 2017 में जब सत्ता पर काबिज हुई थी तो सूबे के 36 जिलों के सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं था‌। आज राज्य के हर जिला अस्पताल में दस से अधिक वेंटिलेटर हैं।